विग्रहराज द्वितीय

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विग्रहराज द्वितीय चौहान वंश के राजा थे इनका राज्य अभिषेक 971 में हुआ था इन्होंने 998 तक शासन किया और उनके शासन काल के समय कई बार बाहरी आक्रमण हुए लेकिन इनहोने आक्रमणों का बड़ी वीरता से सामना किया और विदेशी आक्रमणकारियों को भारत भूमि में घुसने नहीं दिया। जिस कारण ये कुशल शासक माने जाते थे। उपाधि : खुर-रूजोधर [[श्रेणी:भारतीय राजा]

"विग्रहराज द्वितीय" ने गुजरात के चालुक्य शासक मूलराज प्रथम को हराकर गुजरात विजय प्राप्त की तथा गुजरात के भृगुकच्छ नामक स्थान पर अपनी कुलदेवी आशापुरा माता के मंदिर का निर्माण करवाया। हर्षनाथ के शिलालेख में विग्रहराज द्वितीय को सांभर के आरंभिक चौहान शासकों में सबसे प्रतापी शासक बताया गया। जिसने दक्षिण की ओर नर्मदा तक सैनिक अभियान किया।