विकिपीडिया वार्ता:खाता क्यों बनाएँ?
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[संपादित करें]Gormati Gothra गोत्र गौतम राठौड़ वंश की कुलदेवी श्री नागणेचिया माता
जोधा राठौड़ - राव रिङमालजी के पुत्र राव जोधाजी के वंशज जोधा राठौड़ कहलाये। राव जोधाजी; राव चूण्डाजी के पोते और राव विरमजी के पड़ पोते थे। राव जोधाजी [जोधपुर] के सोलह (16) पुत्र और दो (2) बेटियां हुए जिनमें से तीन पुत्र यानि राव बिकाजी, बीदोजी और राव दूदाजी को छोड़कर बाकि तेरह पुत्रों के वंसज जोधा राठौड़ कहलाते हैं। जौधा राठौड़ों की 55 उप शाखाएँ है राव जोधाजी के पुत्रों से आठ [8] मुख्य शाखाएँ व इसके अलावा सैतालिस [47] उप शाखाएँ कुलमिलाकर पचपन [55] शाखाएँ निकली है। जोधा राठौड़ की 55 + उप शाखाएं | राठौड़ की-शाखाएँ की उप-शाखाएँ
1.भनोत राठौड़ 2.रामवत राठौड़ 3.धेणावत राठौड़ 4.मेरावत राठौड़
5.भुकिया राठौड़ 6.करमसोत राठौड़ 7.नेनावत राठौड़ 8.रातलावत राठौड़ 9.धर्मसोत राठौड़ 10.उदावत राठौड़ 11.पटलावत राठौड़ 12.हरकावत राठौड़ 13.जटोथ राठौड़ 14कोडावत राठौड़ 15.पीपावत राठौड़ 16मूला राठौड़ 17.खेतावत राठौड़ 18.पल्सावत राठौड़ 19. मुछाल राठौड़ 20.खड़ावत राठौड़
21.मालावत राठौड़ 22.खड़ोत राठौड़
23.एलन राठौड़ 24.खोलावत राठौड़ 25.माद्रावत राठौड़ 26.खाटनोट राठौड़ 27.खोकनोत राठौड़ 28.खड्डू राठौड़ 29.मेराजोत राठौड़ 30.मेरावत राठौड़ 31. पदमावत राठौड़ 32.आलमोत राठौड़ 33.कर्णावत राठौड़ 34.कानावत राठौड़ 35.धानावत राठौड़ 36कुंटावत राठौड़ 37.धीरावत राठौड़ 38.पानावत राठौड़ 39.भोजावत राठौड़ 40.भांडावत राठौड़ 41.मुनावात राठौड़ 42.मूनावत राठौड़ 43.सबदासोत राठौड़
गोत्र वत्स
चौहान राजवंश की कुलदेवी आशापुरा माताजी (नाडोल) की सम्पूर्ण जानकारी चौहान राजवंश की कुलदेवी आशापुरा माताजी (ना... -: चौहान राजवंश की कुलदेवी आशापुरा माताजी (नाडोल):- एक दिन नगर रक्षक राव लाखणजी (लक्ष्मण) हमेशा की तरह उस रात भी अपनी नियमित गश्त पर थे। नगर की परिक्रमा करते करते राव लाखणजी (लक्ष्मण) प्यास बुझाने हेतु नगर के बाहर समीप ही बहने वाली भारमली नदी के तट पर जा पहुंचे । पानी पीने के बाद नदी किनारे बसी चरवाहों (देवासी) की बस्ती पर जैसे राव लाखणजी (लक्ष्मण) ने अपनी सतर्क नजर डाली, तब एक झोंपड़ी पर हीरों के चमकते प्रकाश ने आकर्षित किया। वह तुरंत झोंपड़ी के पास पहुंचे और वहां रह रहे चरवाहे (देवासी) को बुला प्रकाशित हीरों का राज पूछा। चरवाह (देवासी) भी प्रकाश देख अचंभित हुआ और झोंपड़ी पर रखा वस्त्र उतारा। वस्त्र में हीरे चिपके देख चरवाह के आश्चर्य की सीमा नहीं रही, उसे समझ ही नहीं आया कि जिस वस्त्र को उसने झोपड़ी पर डाला था, उस पर तो जौ के दाने चिपके थे।
चौहान की शाखाएँ की उप-शाखाएँ
1.पलटिया चौहान 2.मूड चौहान 3. लावदिया चौहान 4.कोर्रा चौहान 5.सबावत चौहान 6.केलूथ चौहान 7.देदावत चौहान 8.देशवत चौहान 9.झांजानोथ चौहान 10.भिलावत चौहान 11.कांडलवथ चौहान 12.दुमावत चौहान 13.हसावत चौहान 14.मालावत चौहान 15.1.सोमवथ चौहान 16.वागा चौहान 17.जोजा चौहान 18.4.चाँदनवत चौहान 19.देगावत चौहान 20.लामगोठ चौहान 21.हेमवत चौहान 22.सानावत चौहान 23.रामसोत चौहान
गोत्र वशिष्ठ
परमार वंश की कुलदेवी श्री सच्चियाय माता जी की सम्पूर्ण जानकारी
परमार वंश की कुलदेवी श्री सच्चियाय माता जी -: परमार वंश की कुलदेवी श्री सच्चियाय माता जी :- परमार वंश की कुलदेवी श्री सच्चियाय माता का मदिर जोधपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर ओसिया नामक स्थान पर है। कुछ इतिहासकारों ने बताया है की यहां इस क्षेत्र को एक ढुण्ढिमल साधू के श्राप दिये जाने पर यह क्षेत्र पूरा उजड गया था, उप्पलदेव (उपेंद्र) परमार राजकुमार के द्वारा इस नगर पुन बसाया गया था, उसने यहा आसरा लिया था अथवा शरण ली थी, इसी के कारण इस नगर का नाम ओसिया नाम पड गया था, इतिहासकारो के अनुसार भीनमाल के परमार राजकुमार के द्वारा ओसिया नगर बसाने का उल्लेखनीय मिलता है। भीनमाल (जालौर) में उस समय भीमसेन परमार का शासन था। राजा भीमसेन परमार के दो पुत्र थे बड़े बेटे का नाम उपलदा और छोटा बेटे का सुरसुदरू नाम था राजा भीमसेन परमार ने कुछ कारणवश अपने छोटे पुत्र को भीनमाल का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और अपने बड़े पुत्र को देश निकाला दे दिया। तभी राजकुमार उप्पलदेव (उपेंद्र) परमार वहा से चले गए और एक उजड़े पड़े क्षेत्र में कहले गए, वहा पर एक माता जी का स्थान था जहा पर माँ के चरण चिन्ह के निशान एक चबूतरे पर स्थित थे, उसने आकर माँ को प्रणाम किया और रात्रि होने पर वहा सो गया।
परमार-शाखाएँ की उप-शाखाएँ 1.आमगोठ परमार 2.झारपला परमार 3.वांकड़ोथ परमार 4.इस्लावत परमार 5.नूनसोत परमार 6.आयता परमार 7.जैता परमार 8.बाणी परमार 9.तरबानी परमार 10.इंजरावत परमार 11.मुंजानी परमार 12.लोका परमार 13.मोलावत परमार 14.गोसावत परमार 15.कालावत परमार 16.धोलावत परमार 17.हिसावत परमार 18.बिबावत परमार 19.गोगावत परमार 20.दूदावत परमार 21.मूतावत परमार 22.लोतावत परमार 23.सोमावत परमार
वड़तिया का गोत्र क्या है किसी को नहीं मालूम है लोग बोलते हैं कि ये वड़तिया गोट को जात में से बनाया है
वड़तिया गत्र की शाखाएँ और उप-शाखाएँ
1.लकावत वड़तिया 2.लूनावत वड़तिया 3.बादावत वड़तिया 4.बोडा वड़तिया 5.घुग्लोथ वड़तिया 6.मालोथ वड़तिया 7.कुनसोथ वड़तिया 8.हालावत वड़तिया 9.तेजावत वड़तिया 10.भरोथा वड़तिया 11.जेटोथ वड़तिया 12.जालोथ वड़तिया 13.धारावत वड़तिया 14.पाडवी वड़तिया
15.बरमावत वड़तिया 16.अजमेरा वड़तिया 17.रत्नावत वड़तिया 18.दशावत वड़तिया 19.चाजीपोट वड़तिया 20.दीयापोट वड़तिया 21.भीमावत वड़तिया 22.लोलापोट वड़तिया 23.चुडियापोट वड़तिया 24.मुंगालोट वड़तिया 25.तिलावत वड़तिया 26.ख़ानसावत वड़तिया 27.कानावत वड़तिया 28.हरकावत वड़तिया 29.नेनावत वड़तिया 30.लिम्बावत वड़तिया 31.हपावत वड़तिया 32.हेमलॉट वड़तिया 33.पदमावत वड़तिया 34.सोमवत वड़तिया 35.लोलापोट वड़तिया 36.जोगावत वड़तिया 37.नानगोट वड़तिया 38.गंगावत वड़तिया 39.पीमपावत वड़तिया 40.दादरपोट वड़तिया 41.मालपोट वड़तिया 42.हीरापोट वड़तिया 43.रमानिया वड़तिया 44.डुंगुरिया वड़तिया 45.लाम्बिपॉट वड़तिया 46.जलपोट वड़तिया 47.हजावत वड़तिया 48.पिटावत वड़तिया 49.पदत्पानी वड़तिया 50.हरजी वड़तिया 51.दीना वड़तिया 52.सीलॉट वड़तिया 53.सामा वड़तिया 54.मन्ना वड़तिया 55.भल्ला वड़तिया 56.तोता वड़तिया 57.बांगा वड़तिया 58.गुजरात वड़तिया तूरी गोत्र की शाखाएँ और उप-शाखाएँ 1.मेहलालानी तूरी 2.जोगालाआनी तूरी 3.सामलाआलानी तूरी 4.हेमलाआनी तूरी राम राम नायक समालो रे भाई सागा पंच पंच राजा भोजन सबा सांगाव तो काकुटी मा गंगा दम दि तो मला खात मुला खात कथो मोट वात, चो गोठ चौहान, साथ गोठ राठौड,बारा गोठ परमार, तीन टाटेर चैड घर ,वड़तिया ,एक जात तूरी ती से गोठे पूरी" पांच गोथेर पछिस चुला अन सातरा वराग जाते पाते वति तंदोज वडगी ढालो
नोट: उप-शाखा के 20-25% नाम क्षेत्र-दर-क्षेत्र भिन्न हैं।
ये सभी लोगों का ग्रुप का नाम जैसा हर एक राज्य में बिछड़ने के अलग होग्या सभी लोगों का ग्रुप का नाम जैसा हर एक राज्य में बिछड़ने के अलग से कमों के हिसाब से ग्रुप का नाम पढ़ने लगा लेकिन याह समूह क्षत्रिय राजवंश है गोरा और बादल, चित्तौड़गढ़ के वीर योद्धा थे, जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ युद्ध में वीरता दिखाई थी. जब अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पाने के लिए चित्तौड़गढ़ पर हमला किया, तो गोरा और बादल ने राजा रतन सिंह को बचाने और खिलजी को हराने के लिए एक योजना बनाई. गोरा, युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए, जबकि बादल राजा को सुरक्षित चित्तौड़गढ़ वापस ले गए, लेकिन बाद में वे भी युद्ध में शहीद हो गए. अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया और राजा रतन सिंह को बंदी बना लिया. खिलजी ने रानी पद्मावती को प्राप्त करने की शर्त पर रतन सिंह को रिहा करने की पेशकश की. गोरा और बादल ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और रतन सिंह को बचाने की योजना बनाई. योजना के अनुसार, गोरा और बादल, राजपूत योद्धाओं के साथ, रानी पद्मावती और उनकी दासियों के वेश में खिलजी के खेमे में प्रवेश किया. उन्होंने रतन सिंह को बचाया और किले से बाहर ले गए, लेकिन इस प्रक्रिया में, गोरा वीरगति को प्राप्त हुए. बादल, राजा को सुरक्षित चित्तौड़गढ़ वापस ले गए, लेकिन बाद में, वे भी खिलजी की सेना के साथ युद्ध में शहीद हो गए. इस प्रकार, गोरा और बादल दोनों ने अपनी वीरता और बलिदान से चित्तौड़गढ़ की रक्षा की. और गोरमाटी का उच्छरण शब्द कहां से यह लोग कहने लगे इसका अर्थ है गोरा बादल युद्ध से उचारण हुआ गुरमादी शब्दऔर गोरमाटी का उछारण शब्द कहां से यह लोग कहने लगे इसका अर्थ है गोरा बादल युद्ध से उच्छरण हुआ गोरमाटी शब्द 1589 और पता करना है तो राजपूताना किताब में बहुत सारे परिनाम मिलते हैं जो ये लोग बताते हैं ना कोई साराऔर पता करना है तो राजपूताना किताब में बहुत सारे परिणाम मिलते हैं जो यह लोग बताते हैं ना वही सारे मिलते हैं किताबों में राजपूताना में आते हैं ये लोग 18.जून 1576 हल्दीघाटी युद्ध में भी भूमि का निभाई है प्रीति राव चौहान और जयचंद राठौड़ मोहम्मद गोरी वाह युद्ध को सब लोग इतिहास को समझें Gora Badal" refers to a popular heroic story about two Rajput warriors, Gora and Badal, who served the king of Chittor, Ratansen. The story is found in various medieval Indian texts, including Padmavat and Gora Badal Padmini Chaupai. These warriors are celebrated for their bravery and tactical prowess, particularly in a legendary conflict with Alauddin Khalji. [1, 2] Here's a more detailed breakdown:
• The Story: Gora and Badal, uncle and nephew, were Songara Chauhans from Jalore. They were part of Ratansen's army in Chittor. When Alauddin Khalji attacked Chittor to capture Padmavati, Gora and Badal bravely fought back. [1] • Key Events: They famously disguised themselves as Padmavati and her maids to infiltrate Delhi and launch a surprise attack on Khalji's forces. While Gora died in battle, Badal managed to escort Ratansen back to Chittor before also being killed. [1] • Literary Adaptations: The story has been recounted in various works, including the Gora Badal Padmini Chaupai. This particular text, written by Hemratan Kavi, is available in Hindi and has been digitized. [1, 3] • Popular Culture: Gora and Badal's story is widely known in Rajasthan through folk tales, songs, and paintings that depict their valor. [1] • Availability: Books on Gora Badal can be found from various publishers like Anurag Prakashan. You can find them on platforms like Amazon.in, Flipkart, and Rajasthani Granthagar. [4, 5, 6]
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