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विकिपीडिया:प्रमुख लेख/पुरालेख/२०१०

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१६.दक्षिण अमेरिका (जनवरी २०१०)

आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल माइटोकान्ड्रिया
आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल माइटोकान्ड्रिया
दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमरीका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३ उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६ दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५ पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१ पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। विस्तार से पढ़ें...

१७. लखनऊ (मार्च २०१०)

रूमी दरवाज़ा, लखनऊ
रूमी दरवाज़ा, लखनऊ
लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम, लखनवी पान, चिकन और नवाबों के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है और प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी गुजरती है, जो लखनऊ की संस्कृति का अभिन्न अंग है। यहां के नवाबी वातावरण में उर्दु शायरी, कथक और अवधी व्यंजन भी खूब विकसित हुए हैं। यहां बहुत से दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें इमामबाड़े,कई उद्यान, रूमी दरवाज़ा, छतर मंजिल, तारामंडल, आदि कुछ हैं। लखनऊ शहर आधुनिक युग के साथ प्रगति पर अग्रसर है, जिसमें में ढेरों विद्यालय,अभियांत्रिकी, प्रबंधन, चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान हैं। विस्तार में...

१८.महाभारत (मई २०१०)

महाभारत हिन्दुओं का स्मृति वर्ग में एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति हिन्दुओं के इतिहास की १,१०,००० श्लोकों में लिखी गाथा है। इसी में भगवद्गीता सन्निहित है। काव्य के रचियता वेद व्यास जी ने इसमे सम्पूर्ण वेदों के गुप्ततम रहस्य, उनके अंगो एवं उपनिषदो का विस्तार से निरुपण किया है, इसमे न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष और खगोलविद्या, युद्ध कला, योग, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और धर्मशास्त्र का विस्तार से वर्णन किया गया है। जब देवताओ ने तराजू के एक पासे में चारो "वेदो" को रखा और दूसरे पर "भारत ग्रंथ" को रखा, तो "भारत" वेदो की तुलना मे अधिक भारी सिद्ध हुआ, ग्रन्थ की इस महता (महानता) को देखकर देवताओ ने इसे "महाभारत" नाम दिया विस्तार में...

१९.वाराणसी (मध्य जून २०१०)

बनारश शहर के चित्र
बनारश शहर के चित्र
वाराणसी (बनारस या काशी) गंगा नदी के तट पर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बसा शहर है। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है और यहां काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। ये संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम शहर है। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट संबंध है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः अविमुक्त क्षेत्र, मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। यहां चार विश्वविद्यालय हैं, जिनमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रमुख है। शहर प्राचीन भारत के महाजनपदों में से एक था। यहां की बनारसी रेशमी साड़ी, बनारसी पान और कलाकंद प्रसिद्ध हैं। विस्तार में...

२०. हुमायुं का मकबरा (मध्य जुलाई, २०१०)

हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ का मकबरा इमारत परिसर मुगल वास्तुकला से प्रेरित मकबरा स्मारक है। यह नई दिल्ली के दीनापनाह अर्थात् पुराने किले के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के निकट स्थित है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में हुआ करती थी, और नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है और इसमें हुमायुं की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह समूह विश्व धरोहर घोषित है, एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे में वही चारबाग शैली है, जिसने भविष्य में ताजमहल को जन्म दिया। यह मकबरा हुमायुं की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी। यहां सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था। १९९३ में इस इमारत समूह को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। विस्तार में...

२१. कुरुक्षेत्र युद्ध (मध्य अगस्त २०१०)

कुरुक्षेत्र युद्ध
कुरुक्षेत्र युद्ध
कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था। इस युद्ध में सम्पूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के क्षत्रिय वीरों ने भी भाग लिया और सब के सब वीर गति को प्राप्त हो गये। इस युद्ध के परिणामस्वरुप भारत में ज्ञान और विज्ञान दोनों के साथ-साथ वीर क्षत्रियों का अभाव हो गया। एक तरह से वैदिक संस्कृति और सभ्यता जो विकास के चरम पर थी उसका एकाएक विनाश हो गया। प्राचीन भारत की स्वर्णिम वैदिक सभ्यता इस युद्ध की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो गयी। इस महान् युद्ध का उस समय के महान् ऋषि और दार्शनिक भगवान वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया। विस्तार में...

२२.उत्तराखण्ड (सितम्बर २०१०)

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तराञ्चल), उत्तर भारत में स्थित राज्य है जिसका निर्माण ९ नवंबर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के २७वें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तराञ्चल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। विस्तार में...


२३. अकबर (अक्टूबर २०१०)

अकबर
अकबर
जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्टूबर, १५४२-२७ अक्टूबर, १६०५) मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान) के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पोता और नासिरुद्दीन हुमायूं और हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया ,बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। विस्तार में...