विकिपीडिया:आज का आलेख - पुरालेख/२०१०/जनवरी

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१ जनवरी २०१०[संपादित करें]

गुरु द्रोणाचार्य एकलव्य के साथ
गुरु द्रोणाचार्य एकलव्य के साथ
द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे। कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को दे दिया था। कौरवो और पांडवो ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रो और शस्त्रो की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे। महाभारत की कथा के अनुसार द्रोण (दोने) से उत्पन्न होने का कारण उनका नाम द्रोणाचार्य पड़ा। अपने पिता के आश्रम में ही रहते हुये वे चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये। विस्तार से पढ़ें...

२ जनवरी २०१०[संपादित करें]

सूर्य की प्लैटिनम छवि के संग भारत रत्न देवनागरी लिपि में खुदा हुआ, एक पीपल के पत्ते पर
सूर्य की प्लैटिनम छवि के संग भारत रत्न देवनागरी लिपि में खुदा हुआ, एक पीपल के पत्ते पर
भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान या सार्वजनिक सेवा शामिल है। इस सम्मान की स्थापना २ जनवरी १९५४ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान १९५५ में बाद में जोड़ा गया। बाद में यह १० व्यक्तियों को मरणोपरांत प्रदान किया गया। अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री,का नाम लिया जा सकता है। विस्तार से पढ़ें...

३ जनवरी २०१०[संपादित करें]

मन्नू भंडारी
मन्नू भंडारी
मन्नू भंडारी (जन्म ३ अप्रैल १९३१) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार हैं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मीरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे। मन्नू भंडारी ने कहानियां और उपन्यास दोनों लिखे हैं। विस्तार से पढ़ें...

४ जनवरी २०१०[संपादित करें]

अयोध्या प्रसाद खत्री
अयोध्या प्रसाद खत्री
अयोध्या प्रसाद खत्री (१८५७-४ जनवरी १९०५) का नाम हिंदी पद्य में खड़ी बोली हिन्दी के प्रारम्भिक समर्थकों और पुरस्कर्ताओं में प्रमुख है। उन्होंने उस समय हिन्दी कविता में खड़ी बोली के महत्त्व पर जोर दिया जब अधिकतर लोग ब्रजभाषा में कविता लिख रहे थे। उनका जन्म बिहार में हुआ था बाद में वे बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कलक्‍टरी के पेशकार पद पर नियुक्त हुए। १८७७ में उन्होंने हिन्दी व्याकरण नामक खड़ी बोली की पहली व्याकरण पुस्तक की रचना की जो बिहार बन्धु प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई थी। उनके अनुसार खड़ीबोली गद्य की चार शैलियाँ थीं- मौलवी शैली, मुंशी शैली, पण्डित शैली तथा मास्टर शैली। १८८७-८९ में इन्होंने "खड़ीबोली का पद्य" नामक संग्रह दो भागों में प्रस्तुत किया जिसमें विभिन्न शैलियों की रचनाएँ संकलित की गयीं। इसके अतिरिक्त सभाओं आदि में बोलकर भी वे खड़ीबोली के पक्ष का समर्थन करते थे। विस्तार से पढ़ें...

५ जनवरी २०१०[संपादित करें]

वॉयेजर प्रथम द्वारा खींचा गया वृहस्पति ग्रह का चित्र
वॉयेजर प्रथम द्वारा खींचा गया वृहस्पति ग्रह का चित्र
वॉयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है, और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। विस्तार से पढ़ें...

६ जनवरी २०१०[संपादित करें]

अल्लाह रक्खा रहमान
अल्लाह रक्खा रहमान
अल्लाह रक्खा रहमान हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं। इनका जन्म ६ जनवरी १९६७ को चेन्नै, तमिलनाडु, भारत में हुआ। जन्म के समय उनका नाम ए एस दिलीप कुमार था जिसे बाद में बदलकर वे ए आर रहमान बने। सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं। ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ है।

७ जनवरी २०१०[संपादित करें]

हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ का मकबरा एक इमारतों का समूह है, जो कि मुगल वास्तुकला से प्रेरित है। यह नई दिल्ली के दीनापनाह यानि पुराना किला के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा रोड के पास स्थित है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में स्थित थी, जो कि नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुगल बादशाह हुमायूँ सहित कई अन्य के भी कब्रें हैं। यह समूह विश्व धरोहर घोषित है, एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे की शैली वही है, जिसने ताजमहल को जन्म दिया। यह शैली चारबाग शैली थी। यह मकबरा हुमायुं की विधवा हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन का वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से बुलवाया गया था। यह इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण थी।

८ जनवरी २०१०[संपादित करें]

मानक हिन्दी वर्तनी शृंखला
मानक हिन्दी वर्तनी शृंखला
कड़ी-८
स्वन परिवर्तन
संस्कृतमूलक तत्सम शब्दों की वर्तनी को ज्यों-का-त्यों ग्रहण किया जाए। अत: 'ब्रह्‍मा' को 'ब्रम्हा', 'चिह्‍न' को 'चिन्ह', 'उऋण' को 'उरिण' में बदलना उचित नहीं होगा। इसी प्रकार ग्रहीत, दृष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्याधिक, अनाधिकार आदि अशुद्‍ध प्रयोग ग्राह्‍य नहीं हैं।
इनके स्थान पर क्रमश: गृहीत, द्रष्टव्य, प्रदर्शिनी, अत्यधिक, अनधिकार ही लिखना चाहिए।
जिन तत्सम शब्दों में तीन व्यंजनों के संयोग की स्थिति में एक द्‍‌वित्वमूलक व्यंजन लुप्त हो गया है उसे न लिखने की छूट है।
जैसे :– अर्द्‌ध > अर्ध, तत्‍त्व > तत्व आदि। विस्तार में...

९ जनवरी २०१०[संपादित करें]

मानक हिन्दी वर्तनी शृंखला
मानक हिन्दी वर्तनी शृंखला
कड़ी-९
'ऐ', 'औ' का प्रयोग
हिंदी में ऐ (ै), औ (ौ) का प्रयोग दो प्रकार के उच्चारण को व्यक्‍त करने के लिए होता है। पहले प्रकार का उच्चारण 'है', 'और' आदि में मूल स्वरों की तरह होने लगा है; जबकि दूसरे प्रकार का उच्चारण 'गवैया', 'कौवा' आदि शब्दों में संध्यक्षरों के रूप में आज भी सुरक्षित है। दोनों ही प्रकार के उच्चारणों को व्यक्‍त करने के लिए इन्हीं चिह्‍नों (ऐ, ै, औ, ौ) का प्रयोग किया जाए। 'गवय्या', 'कव्वा' आदि संशोधनों की आवश्‍यकता नहीं है। अन्य उदाहरण हैं :– भैया, सैयद, तैयार, हौवा आदि। दक्षिण के अय्यर, नय्यर, रामय्या आदि व्यक्‍तिनामों को हिंदी उच्चारण के अनुसार ऐयर, नैयर, रामैया आदि न लिखा जाए, क्योंकि मूलभाषा में इसका उच्चारण भिन्न है। अव्वल, कव्वाल, कव्वाली जैसे शब्द प्रचलित हैं। इन्हें लेखन में यथावत् रखा जाए। संस्कृत के तत्सम शब्द 'शय्या' को 'शैया' न लिखा जाए। विस्तार में...

१० जनवरी २०१०[संपादित करें]

गुजरात में स्थिति
गुजरात में स्थिति
काठियावाड़ (गुजराती: કાઠીયાવાડ; उच्चारण: [kaʈʰijaʋaɽ]) पश्चिम भारत में एक प्रायद्वीप है। ये गुजरात का भाग है, जिसके उत्तरी ओर कच्छ के रण की नम भूमि, दक्षिण और पश्चिम की ओर अरब सागर और दक्षिण-पश्चिम की ओर कैम्बे की खाड़ी है। इस क्षेत्र की दो प्रमुख नदियाँ भादर और शतरंजी हैं जो क्रमश: पश्चिम और पूर्व की ओर बहती हैं। इस प्रदेश का मध्यवर्ती भाग पहाड़ी है।[1] इस स्थान का नाम राजपूत शासक वर्ग की काठी जाति से पड़ा है। गुर्जर प्रतिहार शासक मिहिर भोज के काल में गुर्जा साम्राज्य की पश्चिमी सीमा काठियावाड़ और पूर्वी सीमा बंगाल की खाड़ी थी। [2] हड्डोला शिलालेखों से यह सुनिश्चित होता है कि गुर्जर प्रतिहार शासकों का शासन महिपाल २ के काल तक भी उत्कर्ष पर रहा। काठियावाड़ क्षेत्र के प्रमुख शहरों में प्रायद्वीप के मध्य में मोरबी राजकोट,कच्छ की खाड़ी में जामनगर, खंबात की खाड़ी में भावनगर मध्य-गुजरात में सुरेंद्रनगर और वधावन, पश्चिमी तट पर पोरबंदर और दक्षिण में जूनागढ़ हैं। पुर्तगाली उपनिवेश का भाग रहे और वर्तमान में भारतीय संघ में जुड़े दमन और दीव संघ शासित क्षेत्र काठियावाड़ के दक्षिणी छोर पर हैं। सोमनाथ का शहर और मंदिर भी दक्षिणी छोर पर स्थित हैं। इस मंदिर में हिन्दू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगोंमें से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके अलावा दूसरा प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ द्वारका भी यहीं स्थित है, जहां भगवान कृष्ण ने अपनी नगरी बसायी थी। पालिताना प्रसिद्ध जैन तीर्थ है जहां पर्वत शिखर पर सैंकड़ों मंदिर बने हैं। विस्तार में...
  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; वॉटर नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. बैजनाथ पुरी (१९८६). द हिस्ट्री ऑफ गुर्जर प्रतिहार्स. मुंशी राममनोहरलाल प्रकाशन. पृ॰ xvii.

११ जनवरी २०१०[संपादित करें]

गुजरात में स्थिति
गुजरात में स्थिति
काठियावाड़ (गुजराती: કાઠીયાવાડ; उच्चारण: [kaʈʰijaʋaɽ]) पश्चिम भारत में एक प्रायद्वीप है। ये गुजरात का भाग है, जिसके उत्तरी ओर कच्छ के रण की नम भूमि, दक्षिण और पश्चिम की ओर अरब सागर और दक्षिण-पश्चिम की ओर कैम्बे की खाड़ी है। इस क्षेत्र की दो प्रमुख नदियाँ भादर और शतरंजी हैं जो क्रमश: पश्चिम और पूर्व की ओर बहती हैं। इस प्रदेश का मध्यवर्ती भाग पहाड़ी है।[1] इस स्थान का नाम राजपूत शासक वर्ग की काठी जाति से पड़ा है। गुर्जर प्रतिहार शासक मिहिर भोज के काल में गुर्जा साम्राज्य की पश्चिमी सीमा काठियावाड़ और पूर्वी सीमा बंगाल की खाड़ी थी। [2] हड्डोला शिलालेखों से यह सुनिश्चित होता है कि गुर्जर प्रतिहार शासकों का शासन महिपाल २ के काल तक भी उत्कर्ष पर रहा। काठियावाड़ क्षेत्र के प्रमुख शहरों में प्रायद्वीप के मध्य में मोरबी राजकोट,कच्छ की खाड़ी में जामनगर, खंबात की खाड़ी में भावनगर मध्य-गुजरात में सुरेंद्रनगर और वधावन, पश्चिमी तट पर पोरबंदर और दक्षिण में जूनागढ़ हैं। पुर्तगाली उपनिवेश का भाग रहे और वर्तमान में भारतीय संघ में जुड़े दमन और दीव संघ शासित क्षेत्र काठियावाड़ के दक्षिणी छोर पर हैं। सोमनाथ का शहर और मंदिर भी दक्षिणी छोर पर स्थित हैं। इस मंदिर में हिन्दू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगोंमें से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके अलावा दूसरा प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ द्वारका भी यहीं स्थित है, जहां भगवान कृष्ण ने अपनी नगरी बसायी थी। पालिताना प्रसिद्ध जैन तीर्थ है जहां पर्वत शिखर पर सैंकड़ों मंदिर बने हैं। विस्तार में...
  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; वॉटर नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. बैजनाथ पुरी (१९८६). द हिस्ट्री ऑफ गुर्जर प्रतिहार्स. मुंशी राममनोहरलाल प्रकाशन. पृ॰ xvii.

१२ जनवरी २०१०[संपादित करें]

आसियान का चिह्न
आसियान का चिह्न
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह है, जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी कार्य करते हैं। इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है। इसकी स्थापना ८ अगस्त, १९६७ को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की गई थी। इसके संस्थापक सदस्य थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर थे। ब्रूनेई इस संगठन में १९८४ में शामिल हुआ और १९९५ में वियतनाम। इनके बाद १९९७ में लाओस और बर्मा इसके सदस्य बने। १९९४ में आसियान ने एशियाई क्षेत्रीय फोरम (एशियन रीजनल फोरम) (एआरएफ) की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना था। अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित एआरएफ के २३ सदस्य हैं। विस्तार में...

१३ जनवरी २०१०[संपादित करें]

पंडित शिवकुमार शर्मा १९८८ में वादन करते हुए
पंडित शिवकुमार शर्मा १९८८ में वादन करते हुए
पंडित शिवकुमार शर्मा प्रख्यात भारतीय संतूर वादक और गायक हैं। इन्होंने पांच वर्ष की आयु से ही संगीत अध्ययन और १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में १९५५ में किया था। इनका प्रथम एकल एल्बम १९६० में आया। १९६५ में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया। १९६७ में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। इन्होंने पं.हरि प्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में शिव-हरि नाम से संगीत दिया है। जिसमें सिलसिला, फासले, चाँदनी, लम्हे, और डर उल्लेखनीय हैं। इन्हें १९९१ में पद्मश्री, एवं २००१ में पद्म विभूषण से भी अलंकृत किया गया था।  विस्तार में...

१४ जनवरी २०१०[संपादित करें]

त्रिवेणी-संगम पर माघ मेला
त्रिवेणी-संगम पर माघ मेला
माघ मेला हिन्दू पंचांग के अनुसार १४ या १५ जनवरी को मकर संक्रांति के दिन माघ महीने में यह मेला आयोजित होने वाला हिन्दुओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है। नदी या सागर स्नान इसका मुख्य उद्देश्य होता है। धार्मिक गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा पारंपरिक हस्त शिल्प, भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री भी की जाती है। इसमें राज्य सरकारें भी विभिन्न विभागों के विकास योजनाओं को प्रदर्शित करती है। प्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार इत्यादि स्थलों का माघ मेला प्रसिद्ध है। कहते हैं, माघ के धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी। वहीं भृगु ऋषि के सुझाव पर व्याघ्रमुख वाले विद्याधर और गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के महाम्त्य से ही श्राप से मुक्ति मिली थी। पद्म पुराण के महात्म्य के अनुसार-माघ स्नान से मनुष्य के शरीर में स्थित उपाताप जलकर भस्म हो जाते हैं।  विस्तार में...

१५ जनवरी २०१०[संपादित करें]

ईमैक्स का बेस स्टेशन उपकरण
ईमैक्स का बेस स्टेशन उपकरण
वाइमैक्स एक दूरसंचार तकनीक है। इस तकनीक के माध्यम से एक कंप्यूटर, दूसरे कंप्यूटर से बिना तारों की सहायता से संपर्क स्थापित कर सकेंगे। वर्तमान में कई देश इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वर्तमान में मौजूद 2जी और 3जी फोन की सहायता से आप इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते। इसके लिए ऐसे फोन की आवश्यकता होगी, जो वाईमैक्स संगत हो। वाईमैक्स इंटरनेट और सेल्यूलर दोनों नेटवर्क पर काम करता है। इसकी गति २ एमबीपीएस होती है और दस कि॰मी॰ तक यह समान रहती है। इसकी रेंज वाई-फाई की तुलना में ज्यादा होती है। जहां लैपटॉप के लिए इसकी सीमा ५ से १५ कि॰मी॰ होगी, तो वहीं फिक्सड कंप्यूटर स्टेशनों में ५० कि॰मी॰ होगी।वाईमैक्स पर १९९० के दौरान कई कंपनियों मसलन एटीएंडटी, नोकिया और वेरीजोन के इंजीनियरों ने काम करना शुरू किया है। विस्तार में...

१६ जनवरी २०१०[संपादित करें]

हीमोडायलिसिस की एक मशीन
हीमोडायलिसिस की एक मशीन
अपोहन या डायलिसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फॉस्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। यदि डायलिसिस के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो डायलिसिस की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी की गुर्दे इस स्थिति में न हो कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो डायलिसिस अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है। ये आरंभ में एक माह से लेकर बाद में एक दिन और उससे भी कम होती जाती है। सामान्यतया दो तरह की डायलिसिस की जाती है पेरीटोनियल डायलिसिस और हीमोडायलिसिस। विस्तार में...

१७ जनवरी २०१०[संपादित करें]

तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य
तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य
रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) हिंदी के उन विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावाले रचनाकारों में से हैं जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वंय को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए। आगरा में जन्मे रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया। कहानी के पारंपरिक ढाँचे में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी। विस्तार से पढ़ें...

१८ जनवरी २०१०[संपादित करें]

पॉलीथीन का बहुलक
पॉलीथीन का बहुलक
वहुलक या पालीमर बहुत अधिक अणु मात्रा वाला कार्बनिक यौगिक होता है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता; के बहुत अधिक इकाइयों के पॉलीमेराइजेशन के फलस्वरूप बनता है। पॉलीमर में बहुत सारी एक ही तरह की आवर्ती संरचनात्मक इकाइयाँ यानि मोनोमर संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से जुड़ी होती हैं। सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये खुली अवस्था में प्रकृति में पाए जाते हैं तथा इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है। इसके रासायनिक नामों वाले अन्य उदाहरणों में पालीइथिलीन, टेफ्लान, पाली विनाइल क्लोराइड प्रमुख पालीमर हैं। कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर मानव निर्मित होते हैं। इन्हें कारखानों में उत्पादित किया जा सकता है। प्लास्टिक, पाइपों, बोतलों, बाल्टियों आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली पोलीथिन सिंथेटिक पॉलीमर है। फाइबर, सीटकवर, मजबूत पाइप एवं बोतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रोपाइलीन भी सिंथेटिक पॉलीमर है।  विस्तार में...

१९ जनवरी २०१०[संपादित करें]

उपेन्द्र नाथ अश्क (१९१०- १९ जनवरी १९९५) हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकारउपन्यासकार हैं। उपेन्द्रनाथ 'अश्क' का जन्म जालन्धर पंजाब में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा जालन्धर में होते होते वे ११ वर्ष की आयु से ही पंजाबी में तुकबंदिया करने लगे थे। बी.ए. करने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया तथा कानून की परीक्षा विशेष योग्यता के साथ पास की। अश्क जी ने अपना साहित्यिक जीवन उर्दू लेखक के रूप में शुरू किया था किन्तु बाद में वे हिन्दी के लेखक के रूप में ही जाने गए। १९३२ में मुंशी प्रेमचन्द्र की सलाह पर उन्होंने हिन्दी में लिखना आरम्भ किया। १९३३ में दूसरा कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' प्रकाशित हुआ जिसकी भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने लिखी।विस्तार से पढ़ें

२० जनवरी २०१०[संपादित करें]

कोलेस्ट्रॉल अणुओं का स्पेस-फिलिंग प्रतिरुप
कोलेस्ट्रॉल अणुओं का स्पेस-फिलिंग प्रतिरुप
कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली में पाया जाता है और रक्त कणिकाओं में प्रवाहित होता है। यह शरीर के हर भाग में पाया जाता है और शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं। इसीलिए अनाज, फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग ८० प्रतिशत उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है। कोलेस्ट्रॉल शब्द यूनानी शब्द कोले और और स्टीयरियोज (ठोस) से बना है, और इसमें रासायनिक प्रत्यय ओल लगा हुआ है। ये ३ प्रकार के होते हैं:एलडीएल, एचडीएल और वीएलडीएल। विस्तार में...

२१ जनवरी २०१०[संपादित करें]

भूकंप की तीव्रता का सीधा अनुपात-रिक्टर पैमाना
भूकंप की तीव्रता का सीधा अनुपात-रिक्टर पैमाना
रिक्टर पैमाना () भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना है। इस पैमाने पर भूकंप से निकली हुई भूगर्भीय ऊर्जा की मात्रा के मापन हेतु एक संख्या से दर्शाया जाता है। यह आधार-दस का लघुगणक आधारित पैमाना होता है, जो वुड-एंडर्सन टॉर्ज़न सीज़्मोमीटर आउटपुट के सर्वाधिक विस्थापन के संयुक्त क्षैतिज आयाम का लघुगणक निकालने पर मिलता है। स्थानिक परिमाण यानि लोकल मैग्नीट्यूड() की प्रभावी मापन सीमा लगभग ६.८ होती है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल १ से ९ तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है। भूकंप द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा, जो उसके द्वारा किये गये विध्वंस से सीधे संबंधित होती है, कंपन आयाम की पावर के अनुपात में होती है। अतः परिमाण में १.० का अंतर ३१.६ () गुणा उत्सर्जित ऊर्जा के सदृश होता है। इसी प्रकार परिमाण में २.० का अंतर १००० ( ) उत्सर्जित ऊर्जा के समान होता है।  विस्तार में...

२२ जनवरी २०१०[संपादित करें]

हैती का ध्वज
हैती का ध्वज
हैती गणराज्य एक क्रियोल और फ्रांसीसी भाषा बोलने वाला केरिबियन देश है। यह ग्रेटर एल्तिलिअन द्वीपसमूह में हिस्पानिओला द्वीप पर डोमिनिकन गणराज्य के साथ स्थित है। देश की सर्वाधिक ऊंची चोटी पिक ला सेली (२,६८० मीटर) है। हैती का कुल क्षेत्रफल २७,७५० वर्ग किलोमीटर है (१०,७१४ वर्ग मील) है और इसकी राजधानी पोर्ट-अउ-प्रिंस है।हैती की क्षेत्रीय, ऐतिहासिक और जातीय-भाषाई स्थिति कई कारणों से अद्वितीय है। यह लैटिन अमेरिका का पहला स्वतंत्र देश था, उपनिवेशवाद के बाद के दौर का पहला स्वतंत्र देश था, जिसका नेतृत्व किसी काले व्यक्ति के हाथों में था, और एकमात्र ऐसा देश जिसकी आजादी एक सफल दास विद्रोह के भाग के रूप में मिली थी। हिस्पानो-कैरेबियन पड़ोसियों के साथ सांझा सांस्कृतिक संबंध होने के बावजूद हैती अमेरिका का इकलौता मुख्यतः फ्रांसीसी भाषी देश है। यह कनाडा के अतिरिक्त दूसरा ऐसा देश है, जहां फ्रांसीसी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में दर्जा दिया गया है।  विस्तार में...

२३ जनवरी २०१०[संपादित करें]

ग्लोब में अंध महासागर की स्थिति
ग्लोब में अंध महासागर की स्थिति
अन्ध महासागर यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से पृथक करती विशाल जलराशि का नाम है। क्षेत्रफल और विस्तार में विश्व का दूसरे नंबर का महासागर है जिसने पृथ्वी का १/५ क्षेत्र घेर रखा है। इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है। इस महासागर का आकार लगभग अंग्रेजी अक्षर 8 के समान है और लंबाई की अपेक्षा इसकी चौड़ाई बहुत कम है। आर्कटिक सागर, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से उत्तरी ध्रुव होता हुआ स्पिट्सबर्जेन और ग्रीनलैंड तक फैला है, मुख्यतः अंधमहासागर का ही अंग है। इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण तक १२,८१० मील है। इसी प्रकार दक्षिण में दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण स्थित वैडल सागर भी इसी महासागर का अंग है। इसका क्षेत्रफल इसके अंतर्गत समुद्रों सहित ४,१०,८१,०४० वर्ग मील है। उत्तरी अंधमहासागर के पृष्ठतल की लवणता अन्य समुद्रों की तुलना में पर्याप्त अधिक है। विस्तार में...

२४ जनवरी २०१०[संपादित करें]

टेरा उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र
टेरा उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र
कैस्पियन सागर (फ़ारसी - دریای مازندران दरया ए मजंदरान), एशिया की एक झील है, किन्तु इसके वृहत आकार के कारण इसे सागर कहा जाता है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह विश्व की सबसे बड़ी झील है तथा मध्य एशिया में स्थित है। इसका क्षेत्रफल ३,७१,००० वर्ग किलोमीटर है तथा आयतन ७८,२०० घन किलोमीटर। इसका कोई बाह्यगमन नहीं है और पानी सिर्फ़ वाष्पीकरण के द्वारा बाहर जा सकता है। ऐतिहासिक रूप से यह काला सागर के द्वारा बोस्फ़ोरस, एजियन सागर और इस तरह भूमध्य सागर से जुड़ा हुआ माना जाता है जिसके कारण इसे ज्यरचना के आधार पर झील कहना उचित नहीं होता। इसका खारापन १.२ प्रतिशत है जो समुद्र के खारेपन का एक तिहाई है। इसके नाम के बारे में जो धारणाएं प्रचलित हैं उनमें ऋषि कश्यप का नाम प्रमुख है। विस्तार में...

२५ जनवरी २०१०[संपादित करें]

इसमें CO2 का अंश
इसमें CO2 का अंश
ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुना बढ़ गया है। दूसरे शब्दों में औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें १०० गुणे की बढ़ोत्तरी हुई है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों वातानुकूलक, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन और परंपरागत चूल्हे हैं।पशुपालन से मीथेन का उत्सर्जन होता है। कोयला बिजली घर भी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। विस्तार में...

२६ जनवरी २०१०[संपादित करें]

भारत का ध्वज
भारत का ध्वज
भारत का राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच एक नीले रंग के चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है जिसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसको १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया था। इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ है, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया , बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात २:३ का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ अरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थित स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। विस्तार में...

२७ जनवरी २०१०[संपादित करें]

वर्तमान मुक्त व्यापार क्षेत्र
वर्तमान मुक्त व्यापार क्षेत्र
मुक्त व्यापार क्षेत्र को परिवर्तित कर मुक्त व्यापार संधि का सृजन हुआ है। विश्व के दो राष्ट्रों के बीच व्यापार को और उदार बनाने के लिए मुक्त व्यापार संधि की जाती है। इसके तहत एक दूसरे के यहां से आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क, सब्सिडी, नियामक कानून, ड्यूटी, कोटा और कर को सरल बनाया जाता है। इस संधि से दो देशों में उत्पादन लागत बाकी के देशों की तुलना में काफ़ी सस्ती होती है। १६वीं शताब्दी में पहली बार इंग्लैंड और यूरोप के देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि की आवश्यकता महसूस हुई थी। आज दुनिया भर के कई देश मुक्त व्यापार संधि कर रहे हैं। यह समझौता वैश्विक मुक्त बाजार के एकीकरण में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है। इन समझौतों से वहां की सरकार को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण में मदद मिलती है। सरल शब्दों में यह कारोबार पर सभी प्रतिबंधों को हटा देता है।  विस्तार में...

२८ जनवरी २०१०[संपादित करें]

नंदा देवी शिखर
नंदा देवी शिखर
नंदा देवी पर्वत भारत की दूसरी एवं विश्व की २३वीं सर्वोच्च चोटी है। ७८१६ मीटर (२५,६४३ फीट) ऊंचा यह शिखर हिमालय पर्वत शृंखला में भारत के उत्तरांचल राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषिगंगा घाटियों के बीच स्थित है। इस चोटी को उत्तरांचल राज्य में मुख्य नंदा देवी के रूप में पूजा जाता है। नंदादेवी मैसिफ के दो छोर हैं। इनमें दूसरा छोर नंदादेवी ईस्ट कहलाता है। इन दोनों के मध्य दो किलोमीटर लम्बा रिज क्षेत्र है। इस शिखर पर प्रथम विजय अभियान में १९३६ में नोयल ऑडेल तथा बिल तिलमेन को सफलता मिली थी। यह शिखर २१००० फुट से ऊंची कई चोटियों के मध्य स्थित है। नंदादेवी शिखर के आसपास का क्षेत्र अत्यंत सुंदर है व नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जा चुका है। इस नेशनल पार्क को १९८८ में यूनेस्को द्वारा प्राकृतिक महत्व की विश्व धरोहर घोषित किया था। विस्तार में...

२९ जनवरी २०१०[संपादित करें]

आई.टी.ई.आर निर्वात वैसल के प्रतिरूप
आई.टी.ई.आर निर्वात वैसल के प्रतिरूप
आईटीईआर ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से मिलकर बनाया जा रहा संलयन नाभिकीय प्रक्रिया पर आधारित ऐसा विशाल रिएक्टर है, जो कम ईंधन की सहायता से ही अपार ऊर्जा उत्पन्न करेगा। सस्ती, प्रदूषणविहीन और असीमित ऊर्जा पैदा करने की दिशा में हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर इस नाभिकीय महापरियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। इसमें संलयन से उस ही प्रकार से ऊर्जा मिलेगी, जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है।इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के परमाणुओं को १० करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म किया जाता है। इस तापमान में हाइड्रोजन के परमाणु आपस में जुड़कर हीलियम के परमाणु को जन्म देते हैं और इस प्रक्रिया में भारी ऊर्जा पैदा होती है। एक किलोग्राम द्रव्यमान के संलयन से एक करोड़ किलोग्राम पेट्रोलियम ईंधन के बराबर ऊर्जा पैदा हो सकती है। विस्तार में...

३० जनवरी २०१०[संपादित करें]

अमृता शेरगिलसर्पगन्धा
अमृता शेरगिलसर्पगन्धा

अमृता शेरगिल (३० जनवरी १९१३ - ५ दिसंबर १९४१) भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थीं। उनका जन्म हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। कला, संगीत व अभिनय बचपन से ही उनके साथी बन गए। २०वीं शताब्दी की इस प्रतिभावान कलाकार को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने १९७६ और १९७९ में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शामिल किया है। सिख पिता उमराव सिंह शेरगिल (संस्कृत-फारसी के विद्वान व नौकरशाह) और हंगरी मूल की यहूदी ओपेरा गायिका मां मेरी एंटोनी गोट्समन की यह संतान ८ वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी।


३१ जनवरी २०१०[संपादित करें]

क्लीनिकल डिप्रेशन, मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर
क्लीनिकल डिप्रेशन, मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर
अवसाद/डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे विकार या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है। अवसाद के भौतिक कारणों में कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त अवसाद के ९०% रोगियों में नींद की समस्या होती है। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। अवसाद लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर सकता है।  विस्तार में...