विकर्ण (कौरव)

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विकर्ण

विकर्ण धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से, एक जो महारथी होने के अतिरिक्त परम न्यायी एवं विवेकपूर्ण था। यह कुरुक्षेत्र के युद्ध में भीमसेन द्वारा मारा गया था ऐसा कहा जाता है कि भीमसेन विकर्ण का वध नहीं करना चाहते थे। विकर्ण के मारे जाने पर भीमसेन तथा अन्य पाण्डव बहुत दुःखी होकर विलाप करने लगे थे।


विकर्ण एक न्यायपूर्ण व्यक्ति था। उसने चित्रयुद्ध और चित्रयोधिन का वध किया। द्रौपदी स्वयंवर में यह उपस्थित था। यह बड़ा न्यायी था, एवं द्रौपदीवस्त्रहरण के समय, विदुर की तरह इसने भी इस पापकर्म को ओर घृणा प्रकट की थी। महाभारत के युद्ध में इसका निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध हुआ थाः- सहदेव, घटोत्कच, नकुल। अंत में भीमसेन ने इसका वध किया। उस समय इसके लिए उसने बहुत दुःख प्रकट किया था। [1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "महाभारत के वो 10 पात्र जिन्हें जानते हैं बहुत कम लोग!". दैनिक भास्कर. २७ दिसम्बर २०१३. मूल से 28 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2013.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • विकर्ण - दो शीर्षों को सीधे मिलाने वाली रेखा

बाहरी सम्पर्क[संपादित करें]