वार्ता:स्किजोफ्रीनिया

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मेरा अनुभव:-मैं हेमंत कुमार म राजस्थान के अलवर जिले के बर्डोद गॉव का हु जो इस लेख में बताया गया ह वो कुछ हद तक तो ठीक ह लेकिन म इसमे कुछ और जोड़ना चाहूंगा जो मेरा व्यतिगत अनुभव ह ।

इस बीमारी में पारिवारिक सहयोग के साथ साथ अच्छा इलाज भी मिलना चाहिए । जो सबसे जरूरी ह यह बीमारी जितनी ज्यादा पुरानी होगी उतनी ही खतरनाक होती चली जायेगी। इसीलिए इस बीमारी का उचित समय पर पता लगने बेहद जरूरी ह। यदि हम इसका उचित समय पर पता चल जाता ह तो इसका इलाज संभव है। मेरे द्वारा देखे गए लछन जो निम्न ह:-

1,इसका मने सबसे बड़ा लछन ये देखा कि इसमें मरीज बहुत ज्यादा अन्धविस्वशि हो जाता ह।

2, जो लोग उसको या उसके परिवार की मदद करते ह तो उनको गलत नजर से देखना।

3,उनको दुश्मन समझना

4,वो अपने ओर अपने परिवार वालो ओर अपने आसपास के लोगो को गलत तरीके से बोलना उनके साथ गलत व्यहार करना।

5, जो उसकी देखभाल करता ह उसको अपना दुश्मन समझना।

6, वो अपने परिवार को अपना दुश्मन समझता ह।

7, उसे केवल परिवार के एक या दो सदस्य ही अछे लगेगे जिसकी वह बात मानेगा।

8, जिसके साथ वो गलत करने वाला ह उसको लगातार देखना।

9,आंखे लाल होना।

10,खाना पीना अच्छा नही लगना।

11, नित्य किरिययाओ पर ध्यान नही देना जैसे नाखून नही काटना बाल नही कटवाना इत्यादि।

12,हर बात को अपने तरीके से अर्थ निकलना। या ऐसे कहे कि हर बात में नकारात्मकता खोजना।

13,वह छोटा बच्चा हो या 60 साल का हो किसी को भी अपना दुश्मन मान सकता ह।

14, वह किसी भी वस्तु से हमला कर सकता ह।

15, उसके सामने कभी नकारात्मक बातें न करे।

16, उसका वास्तविकता को छोड़ कर काल्पनिकता पर ज्यादा विस्वाश करता ह।

17, जैसे उसे भगवान दिखते ह।

क्या करे या क्या ना करे:-

1, इस बीमारी को कई लोग अंडविश्वश समझकर बाबा के या मंदिर या डोंगियों के चक्र में पड़ जाते ह जिससे उनकी तकलीफे काम नही होती बल्कि बड़ जाती ह।

2, इस तरीके उनका ओर मरीज का शारीरिक और मानसिक आर्थिक रूप से ज्यादा परेशान होता ह जिसे तकलीफ कम नही बड़ जाती ह।

3, सब आपकी मजबूरी का फायदा उठाएंगे।

4,उसे अपनी पसंद का काम करने दे।

5, उसे कभीभी एकेला महसूस न होने दे और न ही उसे अकेला छोडे।

6, उसके सामने सकारात्मक बातें उससे उसके पास्ट की अछि बाते बतयो के बारे में चर्चा करें।


हा इस दुनिया की सबसे बड़ी ओषधि भगवान पर भरोसा न कि अन्धविस्वाश ।

ह तो इसका इलाज संभव न

हमने उसको 'शिव गौतम'जयपुर राजस्थान दिखया जिसका असर मुजे 2 महीने में दिखने लगा। आज उसके इलाज के लागभग 7 महीने हो गए अब वह मानसिक शारीरक से बहुत अच्छा जिन लोगो वह अपना दुश्मन समजता था वो ही आज उसके दोस्त ह।

कई चिकिस्तक भी जाली मिलेंगे जो आपका आर्थिक शोषण करेंगें उनसे बच कर।

यदि परिवार का साथ ओर सही इलाज ओर विस्वाश हो तो ये बीमारी ठीक हो सकती ह।

उमीद ह की ये मेरा लेख आपकी कुछ सहायता करेगा।

Hemant kumar