वार्ता:सूत्रकणिका
- लेख में बहुत भूल हैं, जीव विज्ञान की दृष्टि से देखें तो कुछ भाग तो बेहतरीन हैं कुछ के अर्थ स्पष्ट नहीं होते हैं। वर्तनी की भूल तो नगण्य हैं पर वाक्य रचना में दोष हैं।
- माइटोकॉण्ड्रिया एक छोटा सा कोशिकीय भाग होता है, जिसकी भूमिका जीव-कोष के लिए आहार को सुपाच्य और ऊर्जामय बनाने में होती है। आहार को सुपाच्य बनाने में इसकी क्या भुमिका है? माइटोकाण्ड्रिया ऐसा कोई काम नहीं करता है।
- लगभग २० हजार मानव जीनों में से ३५-३८ में माइटोकांड्रिया मिलता है। इसमें भी गड़बड़ है। मिलता है कि मिलते हैं। या फिर ऐसा कहिए कि माइटोकांड्रिया के डीएनए एवं कोशिका के केन्द्रक में पाए जाने वाले डीएनए में ३५-३८ जीन एक ही तरह के हैं।
- माइटोकांड्रिया में पाया जाने वाला डीएनए अंडाणुओं के जरिए आगे स्थानांतरित है। इसमें शुक्राणुओं की भूमिका नहीं होती। आगे कहां स्थानांतरित होगा? न इसके पहले वाले वाक्य ना ही बाद वाले वाक्य में इसका स्पष्टीकरण मिलता है।
- इसी कारण रक्तकणों को अलग से ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है। इस कारण ही माइटोकॉण्ड्रिया शरीर का पॉवर-हाउस कहलाता है। ये तो दोनों वाक्य ही गलत हैं। रक्तकणों को अलग से आक्सीजन लेने के कारण भला माइटोकॉण्ड्रिया को क्यो पावर हाउस कहने लगे? इस वाक्य के समर्थन में जो लिंक दिया गया है उस लिंक में इस वाक्य का कहीं समर्थन नहीं मिलता है।
- इस लेख को ठीक करने का प्रयास शायद कर सकूँ देखती हूँ एक-आध दिन में। अन्य कोई जीव विज्ञान से सम्बंधति व्यक्ति तो सक्रिय भी नहीं है। इन गलितयों को यहाँ रखने का उद्देश्य यह है कि विज्ञान के लेखों में भूल होना अच्छी बात नहीं है। छोटे लेख हों पर वाक्य तथा अर्थ स्पष्ट हों। सरल भाषा में हों पर पढ़ने वाला यदि विज्ञान का जानकार हो तो भी उसे भूल या गलती नहीं दिखे। जानकारी जितनी भी दें वो सटीक हो।
--Munita Prasadवार्ता ०३:५३, २४ अक्टूबर २००९ (UTC)
आवश्यक सुधार कर दिए गए हैं।--Munita Prasadवार्ता ०७:२१, २४ अक्टूबर २००९ (UTC)