वार्ता:बुद्ध प्रिय मौर्य

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स्थानान्तरण अनुरोध 23 अगस्त 2019[संपादित करें]

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स्थानान्तरण अनुरोध का परिणाम निम्नलिखित रहा: स्थानांतरण किया गया अशोक वार्ता 14:03, 30 सितंबर 2019 (UTC)[उत्तर दें]


बी पी मौर्यबुद्ध प्रिय मौर्य – इनका पूरा नाम यही है? Navinsingh133 (वार्ता) 21:04, 23 अगस्त 2019 (UTC)[उत्तर दें]

ओह Xxxxxxxxy (वार्ता) 21:55, 23 अगस्त 2019 (UTC)[उत्तर दें]

ये नाम इनके बाद में दिया गया था Xxxxxxxxy (वार्ता) 21:55, 23 अगस्त 2019 (UTC)[उत्तर दें]

इनके नाम से कोई विकिपीडिया आर्टिकल नहीं है Xxxxxxxxy (वार्ता) 21:57, 23 अगस्त 2019 (UTC)[उत्तर दें]

यह किया जा सकता है, कि बाकी के नामों को सही जगह "मर्ज" के बाद"रिडाइरेक्ट" किया जाए।--Navinsingh133 (वार्ता) 22:01, 23 अगस्त 2019 (UTC)[उत्तर दें]

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बीपी मौर्य के कांग्रेस मे जाने के खिलाफ थे कांशीराम[संपादित करें]

ओमपाल भारती , मेरठ । यह बात वर्ष 1971 की है । जब कांशीराम और बीपी मौर्य दोनो रिपब्लिकन पार्टी मे थे । उस समय कांशीराम इस पार्टी को महाराष्ट्र मे चला रहे थे तथा बीपी मौर्य यूपी मे काम कर रहे थे । मौर्य जी ने कांग्रेस मे जाने का निर्णय कर लिया । इस बात की जानकारी जब कांशीराम को मिली तो वह उन्हें मनाने के लिए उनके पास गये।

कांंशीराम ने मौर्य से कहा कि आप पार्टी छोड़कर मत जाइये । आपको जो सुविधा चाहिए हम देंगे । कांशीराम ने कहा कि हम आपको वह सहूलियत देंगे जो एक एमपी को मिलती है । गाड़ी , तनख्वाह और पीए । लेकिन बीपी मौर्य ने उनकी बात नही मानी और वह कांग्रेस मे शामिल हो गये । जानकारी के अनुसार मौर्य साहब का कांग्रेस से पहले से ही जुड़ाव था । लेकिन पूर्ण रूप से वह 1971 मे शामिल हो गये थे तथा उसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव मे वह कांग्रेस के टिकट पर सांसद भी बने थे ।। 106.223.150.200 (वार्ता) 14:28, 29 अगस्त 2022 (UTC)[उत्तर दें]

जब मौर्य साहब को जनता ने नकार दिया था[संपादित करें]

ओमपाल भारती , मेरठ । कभी उत्तर भारत मे दलितो शोषितो के एकछत्र नेता रहे बुद्ध प्रिय मौर्य साहब के जीवन मे एक समय वह भी आया जब उनके सितारे गर्दिश मे चले गये । मौर्य साहब ने जब बीजेपी ज्वाइन की तो उन्होंने अपनी ताकत दिखाने का निर्णय किया । पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ शहर के रामलीला मैदान मे अम्बेडकर जयंती पर एक विशाल कार्यक्रम आयोजित करने के लिए खूब प्रचार प्रसार किया । इस जयंती समारोह मे बीजेपी के बड़े नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था । इस समारोह मे पहुंचने के लिए मौर्य साहब ने जनता से अपील की । लेकिन 14 अप्रैल को जनता ने उनका साथ नही दिया और रामलीला मैदान खाली पड़ा रहा ।


इस रैली मे आयोजको को लाखो की भीड़ पहुंचने की उम्मीद थी लेकिन जनता ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया । मैदान खाली देख बीजेपी के नेता भी वापस लौट गये । इस कार्यक्रम ने मौर्य साहब की राजनीति को अर्श से फर्श पर ला दिया और यह उनकी राजनीति का आखिरी पड़ाव साबित हुआ । कभी वह समय भी था जब उनकी एक अपील पर लाखो लोग जुट जाते थे । इस वाकिये से वह अंदर तक हिल गये और उन्होंने राजनीति करने के बजाय घर बैठना उचित समझा ।

जानकारो का कहना है कि बीपी मौर्य का बीजेपी मे जाना बड़ी भूल साबित हुई क्योंकि बीजेपी को दलित पसंद नही करते थे । इसलिए जनता ने उनके फैसले को नकार दिया । कुछ लोगो का कहना है कि अगर वह कांग्रेस मे रहते तो राजनीति छोड़ने जैसी नौबत नही आती । इसलिए कहा जाता है कि राजनीति का सूरज ढलने मे देर नही लगती ।

Ompal Bharti (वार्ता) 17:16, 28 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]

जब पहली बार छुआछूत से सामना हुआ था बीपी मौर्य का[संपादित करें]

ओमपाल भारती , मेरठ । बात उन दिनों की है जब बालक बुद्ध प्रिय मौर्य छोटी कक्षा के छात्र थे । उस समय जातिगत भेदभाव और छूआछूत का बोलबाला था । इस बात से भी सभी वाकिफ होंगे कि पुराने समय में स्कूलो में बच्चो की पिटाई करने में मास्टर कोई गुरेज नहीं करते थे । ऐसा ही मामला बीपी मौर्य के साथ हुआ ।


स्कूल में जब मास्टर जी बच्चो की पिटाई करते तो अंतर यह था कि दूसरे बच्चो को वह थप्पड़ मारते थे लेकिन बालक बुद्ध प्रिय को छड़ी से । मास्टर ऐसा क्यों करते हैं इस बात से वह अंजान थे । इस बारे में उन्होंने अपने परिवारजनो और दूसरे लोगो को बताया । तो सभी का यही जवाब था कि आप समाज में समझी जाने वाली अछूत जाति से हो इसलिए मास्टर आपको छूने के बजाय छड़ी से पीटते हैं ।


इस वाकिये के बाद पहली बार मौर्य समाज में व्याप्त छूआचूत से वाकिफ हुए । इस भेदभाव को लेकर उनके मन में रोष पैदा हो गया और उन्होंने इस भेदभाव को लेकर विरोध करने का तथा इसे समाज से मिटाने का प्रण किया । यही कारण है कि बीपी मौर्य ने ताउम्र सामाजिक भेदभाव और छूआछूत को आवाज बुलंद की । मौर्य साहब उन महापुरूषों में से एक हैं जिन्होंने इस बुराई के खिलाफ लड़ाई लड़ी । Ompal Bharti (वार्ता) 17:26, 6 अगस्त 2023 (UTC)[उत्तर दें]

बुद्ध प्रिय मौर्य[संपादित करें]

आजादी से एक वर्ष पूर्व हाईस्कूल पास कर ली थी बीपी मौर्य ने


ओमपाल भारती , मेरठ । बीपी मौर्य साहब का प्रारम्भिक जीवन गरीबी और तंगहाली मे गुजरा । जातिवाद का दंश तो उन्होंने झेला ही साथ ही गरीबी ने जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया । वर्ष 1926 मे जन्मे मौर्य ने वर्ष 1946 मे (आजादी से एक वर्ष पूर्व ) हाईस्कूल पास कर ली थी । उनका यह सफर संघर्ष भरा रहा । उस समय न तो पढने के लिए बिजली की सुविधा थी और न गर्मी से निजात पाने के साधन ।


बीपी मौर्य ने खैर जिला अलीगढ (उत्तर प्रदेश) के वैश्य स्कूल से 10 वीं परीक्षा उत्तीर्ण की तो परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा । हो भी क्यों ना उस समय हाईस्कूल पास करना कोई आसान बात न थी । वह भी तब जब कदम कदम पर आपको जातिवाद का शिकार होना पड़े । बीपी मौर्य को भी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तरह भेदभाव और छुआछूत से दो चार होना पड़ा ।


उन्होंने कभी सपने मे भी यह नही सोचा होगा कि जिस अलीगढ जिले से वह दसवीं पास हुए उसी जिले से सांसद बनेंगे । मौर्य साहब ने हाईस्कूल पास करते ही पीछे मुड़कर नही देखा और वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर बैरिष्टर बने । उन्होंने लाख रूकावटों और अवरोधों के बावजूद अपने सपने को साकार किया । यह उनके सपनों के उड़ान की ही ताकत थी कि वह तीन बार सांसद और एक बार देश के उधोग मंत्री बने । बीपी मौर्य साहब ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा को समर्पित किया । Ompal Bharti (वार्ता) 18:09, 20 अक्टूबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]