वार्ता:प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के साधन

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इस लेख को नहीं हटाया जाना चाहिये क्योंकि यह "मूल शोध" नहीं है

'मूल शोध' का टैग लगाने वाले सदस्य ने कुछ खोज परिणाम दिखाने के बाद इसे 'मूल शोध' घोषित कर दिया है। सदस्य को सम्भवतः यह अपरिचित विषय लगा हो। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि सदस्य के योगदान को देखते हुए अन्दाजा लगाया जा सकता है कि 'क्रिकेट की दुनिया' के बाहर उन सदस्य महोदय का ज्ञान कितना होगा। यदि उनको इसमें कुछ मूल शोध दिख रहा हो, तो उसके साफ-साफ इंगित करना चाहिये। यदि कोई तथ्यात्मक 'त्रुटि' हो तो उसे स्वयं सही कर दें या उसे चुनौती दें।

'इतिहास की जानकारी के साधन' या 'स्रोत' (सोर्सेस) उनके लिये अपरिचित हो सकता है किन्तु वस्तुतः यह एक सुस्थापित विषय है। इस पर टैग लगाने वाले सज्जन की कुछ प्रतिक्रिया मिले तो मैं और कुछ लिखूँगा।--अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:35, 17 दिसम्बर 2021 (UTC)[उत्तर दें]


खंगार राजवंश[संपादित करें]

भाईयो आज हम महाराज खेतसिंह के पूर्बज तथा वंशजो के नामो से परिचित होते है ! भाईयो हमारे वंश का आरम्भ डाभराय से होता है जो कि सृष्टी कर्ता बृर्हम्मा के द्बारा उत्पन्न माने जाते है ! १-डाभराय के दशरथसेन २-दशरथसेन के शत्रुगुण ३-शत्रुगुण के प्रभुजीत ४-प्रभुजीत के पुंडरीक ५-पुंडरीक के हेमरक ६-हेमरक के रिखपाल ७-रिखपाल के दीनरिख ८-दीनरिख के पत्रसुन्न ९-पत्रसुन्न के बेणुआ (इनकी पत्नि नागनीचा) १०-बेणुआ के महदुआपाल उर्फ महीपाल उर्फ मेनकपाल ११-महीपाल के नर सुल्तान (इनकी पत्नि निहालदे कीचकगढ़ की थीं ) १२-नरसुल्तान के गूजरमल (हमीर गढ़ का राज्य किया) १३-नरसुल्तान के महपाल १४-महपाल के अजयधीरपाल १५-अजयधीरपाल के नाहरराय (मंडोबर का राज्य किया जूनागढ़ मडोबर शाशित प्रदेश था तथा महाराज नाहरराय ने पुष्कर तीर्थ की स्थापना कराई) १६-नाहरराय के नौधनराय (नौधनराय के १२ पुत्रों से ही हमारा वंश १२ प्रशाखाओं में वटजाता है ) १७-नौधनराय के खेंगेराब (खेंगेराव से ही खंगार वंश का प्रारम्भ होता है खेंगेराब को रावखंगार भी कहा जाता था रावखंगार ने ही कच्छ में मांडली का राज्य किया तथा सोमनाथ का मंदिर बनबाया ) १८-खेंगेराब के भीमजी १९-भीमजी के उदलजी २०-उदलजी के रूढ़खंगार (रूढ़खंगार को रायकवाट भी कहा जाता था इनकी पत्नि चित्तोढ़गढ़ के राणासांगा की पुत्री किशोर कुंअर थीं रूढ़खंगार ने संबत ११२५ में जूनागढ़ मे तालाव बनबाया,देबी का मंदिर बनबाया तथा संबत ११३३ में जूनागढ किले का परकोटा बनबाया ) २१-रूढ़खंगार के खेता (खेता ने जसमनगढ़ का तालाब बनबाया, बाग लगबाया तथा अपने भाई कानपाल को जूनागढ़ का राज्य देकर पृथ्वीराज चौहान के साथ दिल्ली आगये और वैसाख सुदी ३-अक्षयतृतीया संबत ११४० मे गढ़कुंडार को जीता तथा संबत ११५३ में अपने कुटुम्ब को भी अपने पास बुला लिया ! खेतसिंह की तीन रानिया एंब एक दासी थी ! जिनकी संतानो का विबरण आगे देने की कोशिश करेंगे ! तथा सिंह को चीर देने के बाद से ही खेतसिंह कहलाये ,आमेरी का किला वनबाया ) २२-खेतसिंह के नंदपाल २३-नंदपाल के क्षत्रशाल २४-क्षत्रशाल के खूबसिंह (खूबसिंह की दो रानियॉ थी संबत १३०२ मे गढ़कुडार के किले मे मॉ सिंहबाहिनी का मंदिर वनबाया तथा संबत १३०७ में मूर्ती स्थापित कराई ) २५-खूबसिंह के मानसिंह (संबत १३०९ में गद्दी संभाली मान सिंह की पुत्री केशरदे(विशालकुंअर) की मॉग की गई दिल्ली शासक द्बारा न देने पर युद्ध हुआ तथा संबत १३१३ मे खंगार सत्ता का पतन ) Kamal singh khangar (वार्ता) 17:42, 15 सितंबर 2016 (UTC)[उत्तर दें]