वार्ता:पशुपतिनाथ मन्दिर (मन्दसौर)

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PASHUPATINATH TEMPLE MANDSAUR MADHYAPRADESH INDIA

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श्री पशुपतिनाथ मंदिर नगर के दक्षिण में बहने वाली शिवना के दक्षिणी तट पर बना अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर इस नगर के प्रमुख आकर्षण का केन्द्र हैं। आग्नेय शिला के दुर्लभ खण्ड पर निर्मित शिवलिंग की यह प्रतिमा है। 2.5*3.20 मीटर आकार की इस प्रतिमा का वजन लगभग 46 क्विंटल 65 किलो 525 ग्राम हैं। सन् 1961 ई में श्री प्रत्यक्षानन्द जी महाराज द्वारा मार्गशीर्ष 5 विक्रम सम्वत् 2016 ( सोमवार 27 नवम्बर 1961) को प्रतिमा की वर्तमान स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा हुई।


प्रतिमा की तुलना नेपाल स्थित पशुपतिनाथ प्रतिमा से की जाती है, किन्तु नेपाल स्थित प्रतिमा में चार मुख उत्कींर्ण हैं, जबकि यह ऐतिहासिक प्रतिमा भिन्न भिन्न भावों को प्रकट करने वाले अष्ट मुखों से युक्त उपरी भाग में लिंगात्मक स्वारूप लिये हुऐ हैं । इस प्रतिमा में मानव जीवन की चार अवस्थायें- बाल्यवस्था, युवावस्थाम, प्रोढावस्था व वृध्दावस्था का सजीव अंकन किया गया हैं । सौन्दर्यशास्त्र की दृष्टि से भी पशुपतिनाथ की प्रतिमा अपनी बनावट और भावभिव्यवक्ति में उत्कृष्ट हैं, इस प्रतिमा के संबंध में यह एक देवी संयोग ही रहा कि यह सोमवार को शिवना नदी में प्रकट हुई,और सोमवार को ही ठीक 21 वर्ष 5 माह 4 दिन बाद इसकी प्राण प्रतिष्ठा व स्थापना महादेव घाट पर ही सम्पन्न हुई। पशुपतिनाथ मंदिर शिखर पर 100 किलो का कलश स्था‍पित है, जिस पर 51 तोला सोना चढाया गया हैं, इस कलश का अनावरण 26 फरवरी 1966 स्व राजामाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया द्वारा किया गया था। प्रतिमा प्रतिष्ठा की शुभ स्मृति स्थापना दिवस को पाटोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष मेले का आयोजन किया जाता हैं । मेला प्रतिवर्ष कार्तिक एकादशी से मार्गशीर्ष कृष्णाु पंचमी तक आयोजित किया जाता है।

अष्टमुर्ति की साज सज्जा् का विवरण कालिदास के निम्न वर्णन से मिलता है। कैलासगौरं वृषमारूरूक्षौ: पादार्पणानुगृहपृष्ठम। अवेहि मां किडरमष्ट मूर्ते:, कुम्भोयदर नाम निकुम्भरमित्रम्।

  # पूर्व मुख - शांति तथा समाधिरस का व्यं जक हैं । भाल पर माला के दो सुत्रों का बंध हैं । सूत्रों के उपर गुटिका कलापूर्ण ग्रंथियो से ग्रथित हैं। सर्प कर्णरंध्रो से निकलकर फणाटोप किये हैं। 
             गले में सर्पमाला एवं मन्दा्रमाला है। अधर और ओष्ट अत्यंेत सरल एवं सौम्य है। नेत्र अघोंन्मी जित है। मुखमुद्रा कुमारसम्भव में वर्णित शिव समाधि की याद दिलाती है। तृतीय नेत्र 
             की अधिरिक्त ता प्रचण्ड हैं, मानों सदन को अलग बना देने को तत्पर हो।
  # दक्षिण मुख - मुख सौम्य हैं एवं केश कलात्मक रूप से किया गया हैं। श्रृंगार में सुरतीघोपन और श्रमापानोदन के लिये चंद्ररेखा है। गले सर्प द्वय की माला एवं सर्पकुण्डल हैं। यह मुख अतीव 
              कमनीय है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कुमार संभव का वर अपनी विवाह यात्रा पर चलते समय अपनी श्रृंगार लक्ष्मीख की आत्माल मोहिनी छवि को देखकर सोच विचार कर स्वठयंमेव 
              मुग्ध होकर रसमग्न हो रहा है।
  #  उत्तर मुख - यह मुख जटाजूट से परिपूर्ण हैं तथा इसमें नाग गुथे हुये हैं । जटायें दोनों ओर लटकी है। गाल भारी गोल मटोल कर्ण- कुण्डणलो से युक्त तथा रूद्राक्ष और भुजंगमाला पहने हैं ।
  # पश्चिम मुख - शीर्ष में जटाजूटों का अभाव है तथा केश नाग ग्रंथियों से ग्रंथित है। मुख में रौद्र रूप स्पचष्ट हैं। नेत्र एवं अधोरष्ट क्रोध में खुले हुए है, मुख वक्र है। इस मुख को तराश कर नवीन 
              कर दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुमारसम्भव के योगिश्वर की समाधि भंग हो गयी हो।


पशुपतिनाथ मंदिर परिसर - मंदिर परिसर में श्री रणवीर मारूती मंदिर, मंदिर दाहिनी ओर श्री जानकीनाथ मंदिर, पश्चिम दिशा में थोडी दूरी पर प्रत्यरक्षानन्द जी महाराज की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। आगे की ओर बाबा मस्तिराम महाराज की समा‍धि हैं। सिंहवाहिनी दुर्गामंदिर, श्री गायत्री मंदिर, श्री गणपति मंदिर, श्री राम मंदिर, श्री बगुलमुखी माता मंदिर, श्री तापेश्वर महादेव मंदिर, सहस्त्रीलिंग मंदिर भी मंदिर में स्थामपित हैं। शिवना नदी - जिले के सालगढ कस्बेै से लगभग 4 किमी दूर रायपुरिया की पहाडियों की तलहटी में शवना नामक छोटा सा ग्राम बसा हैं। यह ताम्राष्म युगीन बस्तीन हैं। यहॉ महाकाल चौबीस खंभा प्राचीन मंदिर है। शवना ग्राम के समीप से शिवना का उदगम है इसलिए यह नदी शिवना के नाम से प्रख्या्त है। शिवना नदी 65 किमी का सफर तय करने के उपंरात चंबल में मिलती हैं।


Contact Details

Office Address - श्री पशुपतिनाथ मंदिर मन्दसौर जिला एवं तहसील मन्दसौर मध्यप्रदेश भारत

Office Phone Number - 07422&205288

Rahul Runwal Manager Mob. - 8109612008

Dinesh Parmar Assistant Manager Mob. - 9977651377

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