वार्ता:डिम्बग्रंथि पुटी

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बुलंदशहर का प्रमुख गड़रिया समुदाय[संपादित करें]

बुलंदशहर जिले में गड़रिया समुदाय की जनसंख्या 1.5 लाख है । जिले में इन्हें पाल बघेल गड़रिया नाम से जाना जाता है ‌। ज़िले में गड़रिया समुदाय मुख्यतः कृषि पर निर्भर है । बुलन्दशहर का गड़रिया समुदाय अपने आप को राजाओं से जुड़ा व बंगाल के पाल राजवंश से जुड़ा हुआ है । जिले में पाल समाज के लोग तीखे और गर्म दिमाग के है । पूर्वी - दक्षिणी जिले के पहासू, अनूपशहर , सिकंदराबाद, औरंगाबाद, गुलावठी के क्षेत्र के आस पास गड़रिया बाहुल्य गांव है । क्षत्रिय योद्धा वाला तेज तराठ वाला खून बाहुबल वाला पाल समाज गांव के ज्यादातर बड़े भूभाग पर खेती करता है । कभी गड़रिया समुदाय का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बुलंदशहर था परन्तु सन् 2000 से पाल समाज ने बुलंदशहर से पलायम करके मेरठ गाजियाबाद दिल्ली नोएडा जैसे बड़े बड़े शहरों में बस गए । अपना बुलंदशहर (वार्ता) 00:34, 14 जून 2023 (UTC)[उत्तर दें]

बुलन्दशहर का प्रमुख गड़रिया समुदाय[संपादित करें]

बुलंदशहर जिले में गड़रिया समुदाय की जनसंख्या 1.5 लाख है । जिले में इन्हें पाल बघेल गड़रिया नाम से जाना जाता है ‌। ज़िले में गड़रिया समुदाय मुख्यतः कृषि पर निर्भर है । बुलन्दशहर का गड़रिया समुदाय अपने आप को राजाओं से जुड़ा व बंगाल के पाल राजवंश से जुड़ा हुआ है । जिले में पाल समाज के लोग तीखे और गर्म दिमाग के है । पूर्वी - दक्षिणी जिले के पहासू, अनूपशहर , सिकंदराबाद, औरंगाबाद, गुलावठी के क्षेत्र के आस पास गड़रिया बाहुल्य गांव है । क्षत्रिय योद्धा वाला तेज तराठ वाला खून बाहुबल वाला पाल समाज गांव के ज्यादातर बड़े भूभाग पर खेती करता है । कभी गड़रिया समुदाय का सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बुलंदशहर था परन्तु सन् 2000 से पाल समाज ने बुलंदशहर से पलायम करके मेरठ गाजियाबाद दिल्ली नोएडा जैसे बड़े बड़े शहरों में बस गए । अपना बुलंदशहर (वार्ता) 00:40, 14 जून 2023 (UTC)[उत्तर दें]