वार्ता:जगदेव पंवार

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विदर्भ/मध्यभारत महाराज लक्ष्मण देव पँवार

महाराज उदयादित्य परमार के पुत्र और राजा भोज के भतीजे राजा लक्ष्मण देव पँवार शन १०८६ में धार के राजा बने. उनके और उनके भाइयो राजा जगदेव पँवार और राजा नरवर्मन् देव के बीच धार के उत्तराधिकार के लेकर विवाद उत्तपन हो गया था. इसी विवाद में समझौते के प्रतिफल के रूप में राजा नरवर्मनदेव को धार की जबकि राजा लक्ष्मण देव को नगरधन/नदिवर्धन(विदर्भ) की रियासत सौंपी गयी.

शन १०९४ में राजा लक्ष्मण देव पँवार को विदर्भ का राजा बनाया गया. उस समय नगरधन विदर्भ की राजधानी थी जो वर्तमान नागपुर के पास थी. राजा लक्ष्मण देव ने विदर्भ और आसपास के कई क्षेत्रो को जीत लिया उनका राज्य मध्यभारत के वर्तमान विदर्भ, महाकौशल, पश्चिमी छत्तीसगरह से लेकर आंध्र तक फैला था.

पँवार क्षत्रिय राजवंश की विदर्भ में पूरी तरह से उन्होंने नींव रख दी थी. यंही वजह थी की उनके भाई राजा जगदेव पँवार भी विदर्भ के चंद्रपुर जिले के चंदुर्गढ़ नामक किले से दक्षिणी भारत और मध्यभारत पर राज्य किया.

लक्ष्मण देव ने शन ११२६ तक विदर्भ पर शाशन किया और उनके बाद राजा जगदेव पँवार ने उत्तर भारत के साथ ही इन क्षेत्रो पर शाशन किया. राजा लक्ष्मण देव पँवार के नगरधन पर राज्य काल के समय बहुत बड़ी संख्या में परमार/पँवार राजपूत मध्यभारत में बस गए. बाद में मुस्लिमो के आकर्मण के बाद इन्ही लोगो ने मालवा से आये अपने पँवार भाइयो को वर्धा-ताप्ती-वैंगनगा और पश्चिमी महारष्ट्रा के कई क्षेत्रो में बसने में मदत की. आज भी राजा भोज, राजा लक्षमणदेव पँवार के वंशज बहुत बड़ी संख्या में महाराष्ट्रा और मध्यप्रदेश के इन क्षेत्रो में निवास कर परमार/पँवार वंश की विजय पताका के लहरा रहे है .