वार्ता:कानिफनाथ

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नवनाथ दोहे


१. ज्ञानदा पे मुग्ध विरंचि, वीर्य ग्यो पतीत ! मत्स्य कोख सूँ जन्मौ मछन्द्र, रुद्र कुल रो अतित !!

२. मदकल कर्णे वीर्य स्खलित, कानिफ भयौ प्रकट ! गौ मल ते गोरख उद्भव, धारित गैरिक पट !!

३. यज्ञकुंड सूँ जालंधर जन्मौ, उपदेश प्रदान गुरुदत्त  ! गहनी गोपीचंद अड़भंग नागेश, नाथ पंथ में व्यक्त !!

४. राज दियो त्याग भरतरी, जोगी कथित चरपटीनाथ ! 84 सिद्ध नवनाथ प्रकटै, बिन पित्र बिन मात !!


                              🖊️   *लेखक सवाई नाथ*