वार्ता:ओलचिकी लिपि
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[संपादित करें]अंग्रेज़ी विकिमीडिया में वर्णित नाम को माने, तो इस लेख का नाम ओल चिकी लिपि (नाम ने जगह का अंतर) होना चाहिए। इसके अतिरिक्त ओल लिपि को भी एक नाम हम मान रहे हैं। इसका कारण क्या है? --मुज़म्मिल (वार्ता) 08:59, 4 जून 2017 (UTC)
- @Hindustanilanguage: जी, शीर्षक ओल चिकि का शीह नामांकन हुआ था, जिसकी कड़ी संथाली भाषा लेख में मौजूद है, शीर्षक ओल लिपि या "ऑलचिकी" के रूप में इसका उल्लेख लेख रघुनाथ मुर्मू में किया गया है जिसके कारण संभावित अन्य वर्तनी मानते हुए ओल लिपि से यहाँ अनुप्रेषण बनाया गया है। यदि आप लेख का शीर्षक परिवर्तित कराना चाहते तो कृपया साँचा {tl|नाम बदलें}} द्वारा इसे औपचारिक रूप से स्थानान्तरण हेतु नामित करें। --SM7--बातचीत-- 10:00, 4 जून 2017 (UTC)
ओलचिकी लिपि में विवाद:
[संपादित करें]संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में इस लिपि को लेकर संताली विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों के बीच हल्का विवाद है। कुछ लोग इस स्क्रिप्ट के पक्ष में हैं तो कुछ इसके विरोध में हैं। हर कोई अपने-अपने तर्क के जरिए इस पर अपनी बात रख रहा है। यह भाषा ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में अपने अलग-अलग बोली उच्चारण के साथ बोली जाती है। अर्थात इसका उच्चारण उसी राज्य की मुख्य भाषा के साथ मिला कर किया जाता है। जबकी कहा जाता है कि झारखंड के ही संताल परगना के सभी जिलों में यह बिना बाहरी भाषाओं के मेल से बोला जाता है। इसलिए इसे ही शुद्ध संताली या सही उच्चारित संताली कहा जाता है। संथाल परगना के कुछ संताली विशेषज्ञों या बुद्धिजीवियों के अनुसार यह कहा जाता है कि संताली भाषा में बहुत से ऐसे शब्द हैं जिन्हे यहां के बोली उच्चरण के अनुसार ओलचिकी लिपि से नहीं लिखा जा सकता है यानी यह लेखन प्रकृति को पूर्ण नहीं कर पाता है। जिस वजह से अभी भी इस लिपि पर विवाद बना हुआ है। Prem Prakash Murmu1 (वार्ता) 12:14, 1 जुलाई 2023 (UTC)