वार्ता:ओजोन ह्रास

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लेखन संबंधी नीतियाँ

World Ozone Day (वर्ल्ड ओज़ोन डे)

                                         डॉ लाल थदानी
                                 


इतिहास
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            

1957 में,ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गॉर्डन डॉब्सन ने ओजोन परत की खोज की थी। 16 सितंबर, 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर ओज़ोन परत की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए हस्ताक्षर किए गए थे । विश्व ओज़ोन दिवस (World Ozone Day) ‘ओज़ोन परत संरक्षण दिवस’ 1995 से हर साल 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है । 1 जनवरी 1989 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लागू किया गया था। 19 दिसंबर 2000 को मॉन्ट्रियल कन्वेंशन हुआ था जिसमें दुनिया भर के 96 हानिकारक पदार्थों और गैसों को समाप्त करने का संकल्प लिया गया । 2012 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की 20 वीं वर्षगांठ मनाई गई थी।

ओज़ोन दिवस : थीम

वर्ल्ड ओजोन डे की 2018 की थीम थी कीप कूल एंड कैरी ऑन । एक स्वस्थ ग्रह को सुनिश्चित करने के लिए हमें ओजोन परत और जलवायु की रक्षा तेज स्तर पर करनी है । विश्व ओजोन दिवस 2019 की थीम '32 years and Healing' है। इस थीम के जरिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत दुनियाभर के देशों द्वारा ओजोन परत के संरक्षण और जलवायु की रक्षा के लिए तीन दशकों से किए जा रहे प्रयासों को जनजागृति के माध्यम से सिलेब्रेट किया जाएगा ।

ओजोन परत क्या है? ओज़ोन परत (Ozone Layer) पृथ्वी के धरातल से 20-30 किमी की ऊंचाई पर वायुमण्डल के समताप मंडल क्षेत्र में ओज़ोन गैस का एक झीना सा आवरण है जिस के परत की सांद्रता लगभग 10 पीपीएम है। यह ओज़ोन परत पर्यावरण की रक्षक है। ओज़ोन परत हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है।

सूर्य किरण के साथ आने वाली पराबैगनी किरणों का लगभग 99% भाग ओजोन मण्डल द्वारा सोख लिया जाता है। जिससे पृथ्वी पर रहने वाले प्राणी वनस्पति तीव्र ताप व विकिरण से सुरक्षित बचे हुए है। इसीलिए ओजोन मण्डल या ओजोन परत को सुरक्षा कवच कहते हैं। ऊपरी वायुमंडल में इसकी उपस्थिति परमावश्यक है। इसकी सघनता 10 लाख में 10वां हिस्सा है। 

यह गैस प्राकृतिक रूप से बनती है। जब सूर्य की किरणें वायुमंडल से ऊपरी सतह पर ऑक्सीजन से टकराती हैं तो उच्च ऊर्जा विकरण से इसका कुछ हिस्सा ओज़ोन में परिवर्तित हो जाता है। साथ ही विद्युत विकास क्रिया, बादल, आकाशीय विद्युत एवं मटरों के विद्युत स्पार्क से भी ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से ओज़ोन O3 में बदल जाती है जो अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है । यह स्वाभाविक रूप से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में मानव निर्मित उत्पाद यानि स्ट्रैटोस्फियर और निचले वायुमंडल यानी ट्रोपोस्फीयर में होता है। यह ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल (पृथ्वी से 15-35 किमी ऊपर) में समताप मंडल के निचले हिस्से में मौजूद है । यह पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले हानिकारक यूवी किरण को कम करता है।

ओजोन दिवस 2019 : परत सुरक्षित नहीं रहे तो क्या होगा ? पराबैगनी /यूवी किरणों के हानिकारक प्रभाव और नुकसान

आमतौर पर ये पराबैगनी किरण [अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन] सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली एक किरण है जिसमें ऊर्जा ज्यादा होती है जो ओजोन की परत को नष्ट या पतला कर रही है। इन पराबैगनी किरणों को तीन भागों में बांटा गया है और इसमें से सबसे ज्यादा हानिकारक यूवी-सी 200-280 होती है। ओजोन परत हमें उन किरणों से बचाती है, जिनसे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है। यदि सूर्य से आने वाली सभी पराबैगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाती तो पृथ्वी पर सभी प्राणी कैंसर से पीड़ित हो जाते।पराबैगनी किरणों [अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन] की बढ़ती मात्रा से चर्म कैंसर, त्वचा को रूखा, झुर्रियों भरा और असमय बूढ़ा भी कर सकता है। यूवी किरणों से त्वचा जल जाती है और स्किन कैंसर होता है। यूवी किरणें त्वचा की उम्र बढ़ने को भी तेज करती हैं। यूवी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है और इससे आंखों की सतह का ‘जलना’ हो सकता है जिसे ‘स्नो ब्लाइंड’ और मोतियाबिंद कहा जाता है। शरीर में रोगों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसका असर जैविक विविधता पर भी पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं। पत्तियों का आकार छोटा कर सकती है । अंकुरण का समय बढ़ा सकती हैं। यह मक्का, चावल, सोयाबीन, मटर , गेहूं, जैसी पसलों से प्राप्त अनाज की मात्रा कम कर सकती है। इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है । इसके अलावा यह समुद्र में छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है। खाद्य-शृंखला- पराबैंगनी किरणों के समुद्र सतह के भीतर तक प्रवेश कर जाने से सूक्ष्म जलीय पौधे (फाइटोप्लैकटॉन्स) की वृद्धि धीमी हो सकती है। स्थलीय खाद्य-शृंखला भी प्रभावित होगी। पदार्थ – बढ़ा हुआ पराबैंगनी विकिरण कई पिगमेंट यूवी को अवशोषित करते हैं और रंग बदलते हैं । पाइप तेजी से खराब होंगे। पेंट, कपड़ों भोजन , प्लास्टिक , फर्नीचर , स्याही, रंगों आदि के रंग उड़ जाएंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि ओजोन परत के बिना प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है । सर्दियों की तुलना में बहुत अधिक गर्मी होती है । सर्दियां अनियमित रूप में आती है । और ग्लेशियर पिघलने लगते हैं ।

हम सभी जानते हैं कि ओजोन हमें सूरज से आने वाली  हानिकारक यूवी किरणों से बचाता है । मानवीय गतिविधियों के कारण ओजोन परत ग्रह पर कम हो रही है जो बहुत विनाशकारी हो सकता है। इससे फोटोकैमिकल स्मॉग और एसिड बारिश भी होती है। जमीनी स्तर पर ओजोन खतरनाक है और वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

नाम में परिवर्तन वांछित[संपादित करें]

मेरे विचार से इस पृष्ठ का नाम ओजोन क्षरण या ओजोन न्यूनीकरण होना चाहिये। कृपया सभी अपनी राय दें। सत्यम् मिश्र (वार्ता) 13:43, 6 जून 2014 (UTC)[उत्तर दें]