वार्ता:अयोध्या

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लेखन संबंधी नीतियाँ

राघवजी का मंदिर[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

"राघवजी का मंदिर "

अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद[संपादित करें]

आज उस अयोध्या की कल्पना की जा सकती है, जिसने 491 वर्षो से एक लंबा विवाद झेला । बाबर के कहने पर उसके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में बने राम मंदिर को 21 मार्च 1528 को तोप से ध्वस्त कराया था। यह कहानी है भारतवर्ष के आस्था के केन्द्र श्रीराम की जन्मभूमि की । भगवान राम के पुत्र कुश ने अयोध्या की विरासत नए सिरे से सहेजने का प्रयास किया और राम जन्मभूमि पर विशाल मंदिर का निर्माण कराया। युगों के सफर में यह मंदिर और अयोध्या जीर्न - शीर्न हुई, तब विक्रमादित्य नाम के शासक ने इसका उद्धार किया । मीर बाकी ने 1528 ई० में जिस मंदिर को तोड़ा था, उसे 57 ई०पू० में युग प्रवर्तक राजाधिराज की उपाधि ग्रहण करने वाले विक्रमादित्य ने ही निमित्त कराया था । राम मंदिर को लेकर 76 युद्ध लड़े गए। 30 युद्ध तो 1658 से 1707 के बीच औरंगजेब के शासन काल के दौरान हुई । 22 से 23 दिसंबर 1949 ई० में बाबरी मस्जिद में रह रहे मुस्लिम को मस्जिद से बाहर निकाला गया । पुनः 1 फरवरी 1986 में विवादित स्थल पर पुजा की अनुमति दी गई और विवादित इमारत का ताला खोला गया । पुनः 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचा को ढाह दिया ।इसके बाद वहां 80 फीट लंबा,40 फीट चौड़ा व 16 फीट ऊंचा अस्थाई मंदिर बनाया गया । यह मामला 9 मई 2011 को सुप्रीम कॉर्ट पहुंची। अंततः 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कॉर्ट का रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया गया ।

        इसके अंदर कुल मिलाकर 67 एकड़ जमीन है जिसमें से 2.77 एकड़ जमीन विवादित था । इस फैसले में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन दिया गया है ।🇮🇳🇮🇳🇮🇳 Ramkesar Kumar (वार्ता) 19:23, 14 नवम्बर 2019 (UTC)[उत्तर दें]

@Ramkesar Kumar: जी ये लेख के बारे में चर्चा पृष्ट है, कृपया इसे लेख की समस्या सुलझाने के लिये ही प्रयोग करें। --Navinsingh133 (वार्ता) 19:29, 14 नवम्बर 2019 (UTC)[उत्तर दें]