वाक्यवृत्ति

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वाक्यवृत्ति आदि शंकराचार्य द्वारा रचित वेदान्त का प्रकरण ग्रन्थ है। यह ५२ श्लोकों का एक संक्षिप्त वेदांत प्रकरण ग्रंथ है जिस मे दो महावाक्यों का विस्तृत विवरण एवं विश्लेषण मिलता है। ये दो महावाक्य हैं - "तत् त्वं असि" एवं "अहं ब्रह्मास्मि" ।

यह ग्रंथ एक उत्सुक मुमुक्षु शिष्य और एक प्रबुद्ध ब्रह्मनिष्ठ गुरु के बीच के संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शिष्य गुरु से विनयपूर्वक निवेदन करता है कि उसे महावाक्य का असली बोध नहि हो रहा है, तो गुरु शिष्य पर बडी कृपादृष्टि डालते हुए धैर्यपूर्वक वाक्य के वास्तविक अर्थ का बोध करवाते है। यही ग्रंथ की भूमिका एवं सारांश है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]