वाँण
इस में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। स्रोत खोजें: "वाँण" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
ग्रामीण | |||||||
— वाण — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | भारत | ||||||
राज्य | उत्तराखंड | ||||||
तहसील | थराली तहसील | ||||||
जनसंख्या | 1,896 (२०२१ के अनुसार [update]) | ||||||
विभिन्न कोड
|
निर्देशांक: 25°23′N 59°57′E / 25.39°N 59.95°E
वाँण उत्तराखण्ड के चमोली जिले का सुदूरवर्ती गाँव है जो नन्दा देवी राज जात का मुख्य १२वाँ पड़ाव है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 2500 मीटर है। लाटू देवता मन्दिर और रूपकुण्ड पर्यटन एवं बेदिनी बुग्याल के सानिध्य में होने के कारण यह विकसित होता जा रहा है। रूपकुण्ड व बेदिनी जाने के लिए यह गाँव अंतिम सड़क मार्ग है।
रोजगार
[संपादित करें]यहाँ मुख्यतः कृषि ही रोजगार का माध्यम है किन्तु सत्तू, कीड़ाजड़ी, मुकु आदि की कृषि के अतिरिक्त पर्यटन भी आय का मुख्य स्रोत है और कई लोग सरकारी, अर्ध-सरकारी व निजी क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
त्यौहार और मेले
[संपादित करें]त्यौहार
[संपादित करें]समस्त आबादी हिन्दू होने के कारण सभी हिन्दू त्यौहार होली, दीपावली, जन्माष्टमी आदि मनाए जाते हैं।
मेले
[संपादित करें]मेलों में मुख्यतः बोरी मेला, नन्दा देवी मेले के अतिरिक्त अष्टरात्रि/ अठवाड़, नवरात्र व धूंणी, रघड़, डिगरी आंठ आदि स्थानीय मेले भी प्रमुख हैं।
खान-पान,रहन-सहन
[संपादित करें]मुख्य फसलें
[संपादित करें]यहाँ पर फसलों में गेहूँ, जौ, आलू ,राजमा, चौलाई आदि प्रमुख फसलें हैं। पर्वतीय खेत व संसाधनों के अभाव के कारण खेतों को जोतने के लिए बैलों का ही प्रयोग किया जाता है
प्रमुख मन्दिर
[संपादित करें]वाँण में कई मन्दिर हैं जिनमें नन्दा देवी, गोलू देवता मन्दिर और लाटू देवता मन्दिर के अतिरिक्त और भी कई स्थानीय मन्दिर प्रमुख हैं।