वलयाकार प्रतिरुप

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वलयाकार प्रतिरुप एक प्रमुख अपवाह तन्त्र हैं जो नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है। इस प्रतिरूप का विकास मुख्य रूप से प्रौढ़ एवं हर्षित गुणवती पर्वतों में होता है इन पदों पर नदियां उनकी परिक्रमा करती हुई प्रवाहित होती हैं यदि गुंबद आकार पर्वत कठोर एवं मुलायम शहरों का बना है और उसकी पर्याप्त अनाच्छादन हो चुका है तो मुख्य अनुवर्ती नदियों की सहायक प्रवृत्ति नदियों का विकास इन मुलायम चट्टानों वाले भागों में गुंबद के चारों ओर परिधि के आकार में होता है