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लोध्र

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लोध्र या लोध (वानस्पतिक नाम: Symplocos racemosa) एक आयुर्वेदिक औषधीय वनस्पति है। लोध् के पेड़ मध्यम आकार के होते हैं। इसकी छाल पतली तथा छिलकेदार होती है। इसके फूल सफेद और हल्के पीले रंग के तथा सुगन्धित होते हैं। लोध् के द्वारा लाख (लाक्षा) को साफ किया जाता है, इसलिए इसे लाक्षाप्रसादन भी कहते हैं।

[1]लोध्र (Lodhra), जिसका वानस्पतिक नाम Symplocos racemosa है, एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधीय वनस्पति है जो भारत में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। यह मध्यम आकार का वृक्ष होता है, जो 4 से 8 मीटर तक ऊंचा हो सकता है। लोध्र की छाल पतली और छिलकेदार होती है, जो विभिन्न चिकित्सीय गुणों से भरपूर होती है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं और आकार में अंडाकार होते हैं। लोध्र के फूल छोटे, सफेद और हल्के पीले रंग के होते हैं, जिनमें एक हल्की, सुगंधित खुशबू होती है। ये फूल गुच्छों में होते हैं और गर्मी के मौसम में खिलते हैं। लोध्र के फल छोटे, नीले या काले रंग के होते हैं और इनमें गुठलियां होती हैं। आयुर्वेद में लोध्र का उपयोग विशेष रूप से इसके विभिन्न औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। इसकी छाल का उपयोग लाख (लाक्षा) को साफ करने के लिए किया जाता है, जिसे लाक्षाप्रसादन भी कहा जाता है। इसके अलावा, लोध्र का प्रयोग रक्तदोष, त्वचा रोग, पाचन समस्याओं और विभिन्न प्रकार के सूजन संबंधी समस्याओं के इलाज में भी किया जाता है। यह औषधि शरीर के अंदरूनी शुद्धिकरण में मदद करती है और यह एंटीऑक्सिडेंट तथा एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है। लोध्र के औषधीय उपयोगों के कारण यह आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण वनस्पति मानी जाती है।


उत्तर ओर पूर्वी भारत के पहाड़ियों पर पाए जाने वाले लोध्र के फायदे बहुत महत्वपूर्ण हैं. लोध्र के फूल सफ़ेद रंग के ओर खुशबू से भरे होते हैं. इसका फल गोलाकार में चिकनाई लिए हुए बैंगनी या काले रंग का होता है. इसकी भूरे रंग की छाल औषधीय गुणों से भरपूर होती है. मुख्य रूप से दस्त, आंखो से संबंधी समस्याओं ओर ब्लीडिंग डिसऑर्डर में प्रयुक्त लोध्र के और भी कई फायदे और कुछ सीमित नुकसान भी हैं.[2]

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Bundelkhand News | Bundelkhand 24x7". Retrieved 2025-03-22.
  2. "लोध्र के फायदे और नुकसान - Lodhra (Symplocos Racemosa) Benefits and Side Effects in Hindi". myUpchar. Retrieved 2023-12-16.