लोक कथा

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लोक कथाएँ की वे कथाएँ हैं जो किसी समाज या सभ्यता से सम्बंधित होती हैं जो मनुष्य के जीवन के अनुभवों , घटनाओं के आधार पर निर्मित हैं ये   मौखिक तौर पर उस समाज या  सभ्यता में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक कहने की प्रक्रिया द्वारा पहुंचाई जातीं हैं   ये कथाएँ किसी समाज/जाति/संप्रदाय/सभ्यता के किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की या  किसी सामान्य व्यक्ति की भी हो सकतीं हैं ये उस समय की तत्कालीन सामाजिक , राजनितिक,आर्थिक परिस्थितियों को बताती  हैं | इन कथाओं का मुख्य उद्देश्य सभ्यता /समाज के ज्ञान, समझ, नैतिक मूल्यों और जानकारी को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे पहुंचाना होता है | हर देश में अलग अलग तरह की लोक कथाएँ मौजूद हैं। जिनसे ज्ञान और समझ को आगे बढ़ाया जाता है , चूंकि हर प्रदेश का भौगोलिक  वातावरण , बौद्धिक विकास,रीती रिवाज , परम्पराएं  अलग अलग होती   हैं  अतः  ये कथाएं  परिस्थितियों  अनुरूप होती हैं उदाहरण के तौर पर पहाड़ी क्षेत्र में पहाड़ों की परिस्थितियों , मुश्किलों , उनके त्योहारों , रीती रिवाजों , खान पान , पहनावे पर आधारित कथाओं का निर्माण हुआ।  इसी प्रकार समुद्र तटीय क्षेत्रों में वहाँ की परिस्थितियों , मुश्किलों , उनके त्योहारों , रीती रिवाजों , खान पान , पहनावे पर आधारित कथाओं का निर्माण हुआ। कई बार एक ही तरह की कथाएँ अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग नामों से भी प्रचलित हो जाती है।   क्षेत्रों , प्रदेशों ,देशों की यात्रा करने वाले यात्री वे कथाएँ सुनकर, समझकर अपने साथ ले जाते हैं और अपने समाज में पहुँचकर उसे अपने आम बोलचाल के तरीके से प्रदर्शित करते हैं , जिससे की एक ही तरह की कथा  अलग अलग क्षेत्रों में थोड़े से परिवर्तन के साथ सुनने को मिलती है |

भारतीय लोक कथाएँ[संपादित करें]

भारतीय लोक कथाएँ

भारत में प्रचलित अनेक भाषाओं और विविधताओं के चलते कई प्रकार की लोक कथाएँ मौजूद है, जो हर क्षेत्र के हिसाब से अलग तरह से प्रदर्शित की जाती हैं , जिनमें बन्दर और टोपी , टपका , नमक का मूल्य , आदि हैं।  विजयदान देथा ने ऐसी ही भारतीय लोक कथाओं का संकलन किया था

अन्य प्रयोग[संपादित करें]

लोक कथाओं का हालिया प्रयोग बच्चों को रात को कहानी सुनने के अलावा प्रारंभिक शिक्षा के विद्यार्थियों की पाठ्यपुस्तकों में भी किया जाता है, जिससे की बाल मन में ज्ञान का संचार आसान और सुचारु रूप से हो सके | इन कथाओं का हालिया प्रयोग shiksha