लिंग (व्याकरण)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

व्याकरण के सन्दर्भ में लिंग से तात्पर्य भाषा के ऐसे प्रावधानों से है जो वाक्य के कर्ता के स्त्री/पुरुष/निर्जीव होने के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग एक चौथाई भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था है। हिन्दी में दो लिंग होते हैं (पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग) जबकि संस्कृत में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग। फ़ारसी जैसे भाषाओं में लिंग होता नहीं, और भी अंग्रेज़ी में लिंग सिर्फ़ सर्वनाम में होता है।

उदाहरण:-
मोहन पढ़ता है। ('पढ़ता' का रूप पुल्लिंग है, इसका स्त्रीलिंग रूप 'पढ़ती' है। )
गीता गाती है। ('गाती' का रूप स्त्रीलिंग है, इसका पुलिंग रूप 'गाता' है।)

अपवाद: अरावली, श्रीलंका, स्त्री लिंग शब्द है!

परिभाषा[संपादित करें]

लिंग शब्द का शाब्दिक अर्थ है-'चिह्न'। अतः जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की स्त्री या पुरुषजाति का बोध होता है, उसे लिंग कहा जाता है। जैसे-बालक:, चटका (चिड़िया), फलम्।

लिंङ्गभेद[संपादित करें]

संस्कृत में लिङ्ग तीन प्रकार के होते हैं।

  1. पुल्लिङ्ग
  2. स्त्रीलिङ्ग
  3. नपुंसकलिङ्ग

पुल्लिङ्ग[संपादित करें]

वे संज्ञा या सर्वनाम शब्द जो हमें पुरुष जाति का बोध कराते हैं, पुँल्लिंग कहे जाते हैं। जैसे-बालकः, गज: मयूर:, अश्व:, काक: आदि।

पुल्लिंग की पहचान करने के कुछ नियम इस प्रकार हैं:-

  • 'इमनिच्' प्रत्ययान्त शब्द पुल्लिंग होते हैं। जैसे-लघिमा, गरिमा, महिमा आदि।
  • 'अहन्' तथा 'दिन' (नपुंसक) को छोड़कर समयवाचक शब्द पुल्लिंग होते हैं। जैसे-समय:, काल:, दिवसः
  • 'अन्' प्रत्यय वाले शब्द पुल्लिंग होते हैं। जैसे आत्मन्, मातृन्, राजन् आदि।
  • 'असुर' एवं 'देव' के पर्यायवाची पुंल्लिंग होते हैं। जैसे-सुरः, देवः, अमर:, रामः, दानवः, बालिः, रावणः, विष्णु: आदि।
  • 'घञ्' प्रत्यय वाले शब्द पुँल्लिंग होते हैं। जैसे अनुतापः, प्रणाम:, विहारः, शोक: आदि।
  • निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द पुँल्लिंग होते हैं:-
  1. असिः - खड्ग, खड्ग, करवाल:।
  2. केश: - कचः, मूर्धजः, शिरोरुहः।
  3. पर्वतः - अद्रिः, गिरिः, शैल:।
  4. ओष्ठः - अधरः, रदनच्छदः।।
  5. कण्ठः - गल:।
  6. खगः - विहङ्गः, पक्षी, द्विजः, शकुनिः,अण्डज:।
  7. अरिः - शत्रुः, रिपुः।
  8. यज्ञः - क्रतुः, मखः ।
  9. कपिः - मर्कट:, कीश:, वानरः।
  10. मृगः - कुरङ्गः, वातायुः, हरिणः
  11. करः - हस्तः, पाणिः ।

स्त्रीलिङ्ग[संपादित करें]

वे संज्ञा या सर्वनाम शब्द जो स्त्री जाति का बोध कराते हैं, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे-शिक्षिका, बालिका, अजा आदि।

नियम-स्त्रीलिंग ज्ञात करने के कुछ नियम इस प्रकार हैं:-

  1. 'स्त्री' शब्द के पर्यायवाची शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। अबला, कान्ता, नारी, महिला, ललना, वनिता, वामा आदि।
  2. आ, ई ('इन्' प्रत्ययवाले पापी जैसे शब्दों को छोड़कर) तथा ऊ आदि से समाप्त होनेवाले शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे कन्या, अजा, विद्या, लता, रमा, माला, लक्ष्मी, नदी, गौरी, देवी, तरी: (नाव), वधूः, तनूः आदि।
  3. 'क्तिन्' (इ) प्रत्ययान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे गति, मति, शान्ति आदि।
  4. तिथिवाचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, पूर्णिमा आदि।
  5. विंशति से लेकर नवति: तक संख्यावाचक शब्द स्त्रीलिंग जैसे होते हैं। जैसे-विंशति: त्रिंशत्, चत्वारिंशत्, पञ्चाशत्, सप्तति:, नवतिः आदि।

नपुंसकलिङ्ग[संपादित करें]

वे संज्ञा या सर्वनाम शब्द जो न तो पुरुष जाति का बोध कराते हैं और न ही स्त्री जाति का बोध कराते हैं, वे नपुंसकलिंग शब्द कहलाते हैं। जैसे-फलम्, पत्रम्, पुस्तकम्।

नियम-नपुंसकलिङ्ग ज्ञात करने के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं-

  • फलों के नाम भी नपुंसकलिंग में आते हैं। जैसे आम्रम्, (आम) दाडिमम्, (अनार), कदलीफलम् (केला)।
  • 'त्र' से समाप्त होनेवाले शब्द नपुंसकलिङ्ग होते हैं। जैसे चरित्रम्, छत्रम्, पत्रम् आदि।
  • फूलों के नाम नपुंसकलिंग में होते हैं। जैसे-पुष्पम्, कमलम्।
  • क्रिया विशेषण शब्द नपुंसकलिङ्ग में होते हैं। जैसे अश्वः शीघ्रं धावति। कच्छपः तीव्रं वदति। रमा मधुरं
  • शतम्, सहस्रम्, लक्षम्, नीलम्, पद्म, शंखम् आदि शब्द नपुंसकलिङ्ग होते हैं।
  • यदि संख्यावाचक शब्द के अन्त में रात्र शब्द हो तो नपुंसकलिङ्ग होता है।जैसे-द्विरात्रम्, पञ्चरात्रम् आदि।
  • निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द नपुंसकलिङ्ग होते हैं। जैसे:-
  1. अमङ्गलम् अभद्रम्, अशुभम्।
  2. नयनम् - अक्षि, चक्षुः, नेत्रम्, लोचनम् आदि।
  3. दलम्-पर्णम्, पत्रम्।
  4. जलम् - उदकम्, पयः, पानीयम्, वारि आदि।
  5. भद्रम्-कल्याणम्, मङ्गलम्, शुभम्, सुवर्णम् काञ्चनम्, हेमम्।
  6. नभः - खम्, गगनम्, व्योम।