मंगोल लिपि

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(लाञ्छा लिपि से अनुप्रेषित)
मंगोल लिपि में गुयुक ख़ान का सन् १२४६ का राजचिह्न
चित्र:Gaykhatu coin with Khagan's name.jpg
इस सिक्के पर मंगोल लिपि में लिखा है कि यह 'रिन्छिन्दोर्जी ग​एख़ातू ने ख़ागान के नाम पर ज़र्ब किया'

मंगोल लिपि (मंगोल: ᠮᠣᠩᠭᠣᠯ ᠪᠢᠴᠢᠭ᠌, सिरिलिक लिपि: Монгол бичиг, मोंगयोल बिचिग), जिसे उईग़ुरजिन भी कहते हैं, मंगोल भाषा को लिखने की सर्वप्रथम लिपि और वर्णमाला थी। यह उईग़ुर भाषा के लिए प्रयोग होने वाली प्राचीन लिपि को लेकर विकसित की गई थी और बहुत अरसे तक मंगोल भाषा लिखने के लिए सब से महत्वपूर्ण लिपि का दर्जा रखती थी।[1] सन् १६४६ में रूसी प्रभाव से मंगोल लिखने के लिए सिरिलिक लिपि का इस्तेमाल शुरू हो गया और धीरे-धीरे मोंगोल लिपि का प्रयोग ख़त्म होता चला गया। मूल रूप से मंगोल लिपि में शब्दों को ऊपर से नीचे लिखा जाता था, लेकिन आधुनिक युग में इसको अक्सर बाएँ-से-दाएँ लिखा जाने लगा है। कुछ अन्य भाषाओँ ने भी मंगोल लिपि को लेकर उस पर अपनी लिपियों को आधारित किया। इसकी एक बड़ी मिसाल मान्छु भाषा है जिसकी मान्छु लिपि इसी मंगोल लिपि पर आधारित थी। इसके अलावा शिबे (जो चीन के सुदूर-पश्चिम शिनजियांग प्रांत में बोली जाती है), ओइरत और एवेंकी ने भी अपनी लिपियाँ मंगोल लिपि से बनाई।

इतिहास[संपादित करें]

मंगोलों से पहले नायमन लोग (जो उईग़ुरों की तरह एक तुर्की जाति थे) उईग़ुर लिपि का प्रयोग पहले से कर रहे थे। सन् १२०४ में नायमनों के साथ मंगोलों के युद्ध किया और उसमें तातार-तोंगा नाम के एक उईग़ुर लेखक को बंदी बना लिया जो नायमन सरकार में कर-वसूली विभाग चलाने की ज़िम्मेदारी रखता था। उसी ने मंगोलों को उईग़ुर लिपि से अवगत कराया। कुछ सैंकड़ों सालों तक लिपि में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, हालांकि यह लिपि मंगोल ध्वनियों को पूरी तरह दिखने में सक्षम नहीं थी। फिर धीरे-धीरे इस लिपि में मंगोल भाषा के लिए उचित नए अक्षरों को लाया गया। मंगोलों ने पुरानी लिपि को इस नई लिपि से अलग बताने के लिए उसे 'उईग़ुरजिन' का नाम दे दिया।[2]

संस्कृत के लिए प्रयोग और यूनिकोड[संपादित करें]

मंगोलिया में और चीन के भीतरी मंगोलिया राज्य के मंगोल समुदाय में बौद्ध धर्म का ज़ोर है, जिस से उनका संस्कृत और तिब्बती भाषाओँ से धार्मिक सम्बन्ध रहा है। संस्कृत और तिब्बती स्वरों को लिखने के लिए मंगोल लिपि में कुछ अन्य अक्षर भी जोड़े गए थे। जब यूनिकोड में मंगोल लिपि जोड़ी गई तो उसमें इन विशेष अक्षरों का भी प्रबंध किया गया था। यूनिकोड में U+1800 से U+18AF तक की जगह मंगोल लिपि के लिए आरक्षित है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. The history and the life of Chinggis Khan: the secret history of the Mongols, Urgunge Onon, Brill Archive, 1990, ISBN 978-90-04-09236-5, ... The History was written in the Uighuro-Mongol (Uighurjin Mongol) script by Mongol scholars. Long before 1206 when the Mongol State adopted the Uighur script, a tribe called Naiman was already using the Uighur script for its alphabet ...
  2. The Uyghur transformation in medieval Inner Asia: From nomadic Turkic tradition to cultured Mongol administrators[मृत कड़ियाँ], Connor Joseph Bell, University of Louisville, ProQuest, 2008, ISBN 978-0-549-80795-7, ... The most notable of these was Tatar Tonga, a Uyghur in charge of the Naiman tax collection system ...