लखनऊ का इतिहास

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लखनऊ को प्राचीन काल में लखना नाम से जाना जाता था जिसे लखना पासी के द्वारा बसाया गया था।


आज लखनऊ में जितनी बड़ी पुरानी इमारते है ज्यादातर नवाबी समय की है ,कहने को नवाबों ने तराशा है पर नवाबे औरं मुगलों ने वही स्थान क्यों चुना जहां पहले भर राजाओं के भवन महल और मंडप थे ....!


उत्तर साफ है नवाब और मुगल यहां के नहीं थे और उन्हे यहां की धरातल की जानकारी भी नही थी गोमती नदी किनारा होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र रहा है इसलिए सबसे ऊंचा माना जानें वाला लाखन टेकरा ( लाखन टीला ) जो महाराजा लाखन भर का कोट कहलाता था इसलिए महराज जी ने ऐसी जगह का चुनाव किया जहां बाढ़ का खतरा ना हो और जहां किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज है ये महाराजा लाखन भर का महल और किला हुआ करता था ...... ।

नाम भले ही भर,राजपासी राजाओं का भुला दिया गया हो नाम भले नवाबों का आता हो ,पर उसके नीचे दबे अवशेष ये गवाही देती है नवाबों और मुगलों से पहले यहां प्राचीन भवनों के कोने कोने पर  निर्माण हुए थे जिसे उनसे पूर्व के भर राजाओ ने बनवाया था......। लखनऊ गजेटियर देखे।

नवाबकाल[संपादित करें]

1775 में अवध के चौथे नवाब असिफुद्दोला या अशफ - उद - दुलाह ने अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ स्थानांतरित किया था। वास्तुकला की दृष्टि से अवध के नवाबों का इस शहर में काफी योगदान है, इसके अलावा उस समय के लखनऊ की मुग़ल चित्रकारी भी आज बहुत से संग्रहालय में सुरक्षित हैं। भवनों के स्तर पर बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, तथा रूमी दरवाज़ा मुग़ल वास्तुकला का जीता जागता उदाहरण है। हालाँकि आधुनिक प्रशासन की उपेक्षा से इन महत्त्वपूर्ण विरासतो का खंडहरों में तब्दील होने का खतरा उपस्थित हो गया है।

प्राचीन अवध राज्य का विलय ब्रिटिश साम्राज्य में 1857 के सिपाही विद्रोह के फलस्वरुप हुआ था। यह शहर भारत के इस पहले व्यवस्थित स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सबसे पहले जीते गये कुछ शहरों में से था। ब्रिटिश शासकों को यह शहर अपने कब्ज़े में लेने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ी। लखनऊ का "शहीद स्मारक" आज भी हमें उन क्रांतिकारियों की याद ताज़ा कराता है।

लखनऊ के आधुनिक वास्तुकारी में लखनऊ विधानसभा और चारबाग़ स्थित लखनऊ रेलवे स्टेशन का नाम लिया जा सकता है। विश्व के सबसे पुराने आधुनिक स्कूलों में से एक ला मार्टीनियर कॉलेज भी इस शहर में मौजूद है जिसकी स्थापना ब्रिटिश शासक क्लाउड मार्टिन की याद में की गयी थी।

अहमद शाह अब्दाली के दिल्ली पर हमले के बाद शायर मीर तकी "मीर" अवध के चौथे नवाब अशफ - उद - दुलाह या असफ़ुद्दौला के दरबार में लखनऊ चले आये थे और अपनी जिन्दगी के बाकी दिन उन्होने यहीं गुजारे थे और 20 सितम्बर 1810 को यहीं उनका निधन हुआ।

सन १९०२ में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूपी कहा गया। सन १९२० में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और् लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक् न्यायपीठ स्थापित की गयी। स्वतन्त्रता के बाद १२ जनवरी सन १९५० में इस क्षेत्र का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रख दिया गया और लखनऊ इसकी राजधानी बना। गोविंद वल्लभ पंत इस प्रदेश के प्रथम मुख्य मन्त्री बने। अक्टूबर १९६३ में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश एवम भारत की प्रथम महिला मुख्य मन्त्री बनी।

लखनऊ के सांसद श्री अटल बिहारी वाजपेयी दो बार, मई 16, 1996 से June 1, 1996 तक और फिर मार्च 19, 1998 से मई 22, 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं।

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