रॉबर्ट वाड्रा

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रॉबर्ट वाड्रा
जन्म 18 मई 1969 (1969-05-18) (आयु 54)
मुरादाबाद
राष्ट्रीयता  भारत
पेशा व्यवसायी
जीवनसाथी प्रियंका वाड्रा
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

रॉबर्ट वाड्रा (जन्म-18 मई 1969) भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की सुपुत्री कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के पति हैं। [1]

पारिवारिक पृष्ठभूमि व प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

रॉबर्ट वाड्रा 18 अप्रैल 1969 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में पैदा हुए. मुरादाबाद भारत में पीतल के काम के लिए प्रसिद्ध है. उनके पिता राजेंद्र वाड्रा पीतल व्यवसायी थे और माँ मूलत: स्कॉटलैंड की रहने वाली है.

मूल रुप से वाड्रा परिवार पाकिस्तान के सियालकोट से है, भारत विभाजन के समय राजेंद्र वाड्रा के पिता यानि रॉबर्ट वाड्रा के दादा भारत आकर बस गए.

रॉबर्ट वाड्रा के एक भाई और एक बहन थीं.

2001 में उनकी बहन की कार दुर्घटना में मौत हो चुकी है और 2003 में उनके भाई ने आत्महत्या की थी. 2009 में उनके पिता की हृदयगति रुक जाने से मृत्यु हो गई. अब वाड्रा परिवार में उनकी माँ ही उनके साथ है.

प्रियंका से विवाह[संपादित करें]

1997 में रॉबर्ट का विवाह प्रियंका से हुआ।[1]

परिवार में दुर्घटनाएँ[संपादित करें]

रॉबर्ट वाड्रा के एक भाई और एक बहन थीं.

2001 में उनकी बहन की कार दुर्घटना में मौत हो चुकी है और 2003 में उनके भाई ने आत्महत्या की थी. 2009 में उनके पिता की हृदयगति रुक जाने से मृत्यु हो गई.

विवाद[संपादित करें]

विवाद[संपादित करें]

कहा जाता है कि रॉबर्ट के प्रियंका से शादी से फैसले को उनके परिवार ने पसंद नहीं किया और इसके चलते पिता-पुत्र के रिश्तों में दरार भी आ गई.

अपने पिता के साथ संबंध बिगड़ने पर रॉबर्ट वाड्रा सुर्खियों में आ गए. एक दौर ऐसा भी आया जब 2001 में उन्होंने एक सार्वजनिक बयान देकर खुद को अपने पिता से अलग कर लिया.

2001 में ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान रॉबर्ट की बाइक रैली को एक आईएएस अधिकारी ने रोक दिया था. बाद में उस आईएएस अधिकारी का तबादला एक बार फिर उन्हें विवादों में ले आया

आरोप[संपादित करें]

2012 में जनलोकपाल के आंदोलन के रास्ते राजनीति में कूदे अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण के सोनिया गाँधी के दामाद राबर्ट वाड्रा पर सैकड़ों करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोपों ने राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ कर दी थी.

अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और उनके पिता शांति भूषण ने शुक्रवार को दिल्ली में हुई एक पत्रकारवार्ता में कुछ दस्तावेज़ पेश करते हुए आरोप लगाया कि उत्तर भारत के एक बड़े रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ़ समूह ने गलत तरीकों से रॉबर्ट वाड्रा को 300 करोड़ रुपयों की संपत्तियाँ कौड़ियों के दामों में दे दीं.

इसके बाद कांग्रेस ने पूरा ज़ोर लगाकर इन आरोपों को ख़ारिज किया है.

डीएलएफ़ ग्रुप ने इस पर अपने तरफ से सफाई भी दी थी: डीएलएफ़ ग्रुप का रॉबर्ट वाड्रा के साथ व्यावसायिक संबंध उनके निजी उद्यमी के रूप में हैं और ये पूरी तरह से पारदर्शी रूप में है. डीएलएफ़ की मंशा उनके नाम या उनसे जुड़ाव का किसी भी तरह इस्तेमाल करने की नहीं है और व्यावसायिक संबंध उच्च मानकों के और पूरी तरह पारदर्शी रखे गए हैं.

अन्य आरोप[संपादित करें]

दिग्गज अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि जब रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन खरीदनी शुरू की, उसके बाद केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रमोट करने की योजना का ऐलान किया। इस प्रोजेक्ट में जमीन की काफी जरूरत थी, जिसके लिए यह इलाका मुफीद था।

डब्‍ल्यूएसजे ने लिखा है, "वाड्रा ने जमीन खरीदनी जारी रखी और 2011 में राज्य ने भी सोलर इनसेंटिव का ऐलान किया। जमीनी सौदा का ब्योरा बताता है कि जो जमीन वाड्रा ने खरीदी, तीन साल में उसकी कीमत छह गुना बढ़ी।"

अधिकारियों का कहना है कि इस बात की जांच चल रही है कि कहीं इन सौदों में कहीं कोई कानूनी उल्लंघन तो नहीं हुआ। हालांकि वाड्रा के प्रवक्ता का कहना है कि यह सब राजनीतिक कारणों की वजह से उन्हें बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा, "वाड्रा ने सभी कानूनी नियमों का पालन किया है और उन्हें आगे कुछ नहीं कहना।"

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "रॉबर्ट वाड्रा: लव, लैंड और लोचा". नवभारत टाईम्स. 29 अप्रैल 2014. मूल से 29 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2014.