रैननकुलेसी
रैननकुलेसी (Ranunculaceae), रनेलीज गण के आर्किक्लामिडिई (Archichlamydae) प्रभाग के द्विबीजपत्री पौधों का कुल है। इसमें ४० वंश और १,२०० स्पीशीज हैं।
परिचय
[संपादित करें]यह कुल मुख्यत: उत्तरी शीतोष्ण प्रदेशव्यापी है। अधिकांश पौधे शाकीय, संयुताक्ष प्रकंदयुक्त होते हैं। पिओनिया, एकोनाइटम आदि में गाँठदार मूल होती है। पर्णाधार प्राय: विशेष चौड़ा होता है, जो थैलिक्ट्रम आदि में अनुपत्री अंगों में परिवर्तित हो जाता है। इस कुल के पौधों का पत्रदल विभिन्न प्रकार का होता है, जो रैननकुलस के जलीय स्पीशीज़ तथा आरोही क्लिमैटिस में विशेष कटा हुआ होता है। क्लीमैटिस आफिला (Clematis aphilla) में संपूर्ण पत्रदल तंतु रूप होता है। एकिया, थैलिक्ट्रम आदि में स्तंभवाहिनीमूल एकबीजपत्री पादपों के सांनिध्यसूचक है। मुख्य मूल प्राय: नष्ट हो जाता है पर स्तंभ से अस्थानिक मूल निकल आता है। प्रति वर्ष की शाखा का अंत प्राय: एक पुष्पक्रम में हो जाता है। एनिमोन, इरैथिस आदि में अंतस्थ पुष्प (terminal flower) उत्पन्न होता है। प्राय: इस पुष्प के नीचे पत्ती के कक्ष से ससीमाक्षी (eymose) शाखाक्रम तैयार हो जाता है, पर नाइलेजा आदि में इसी रूप से असीमाक्षी (racemose) शाखाक्रम बनता है। पुष्पप्रारूपिक कुंतल कुछ लंबे पुष्पाक्षयुक्त तथा परिदल प्राय: दलाभ होते हैं। रेननकुलस में बाह्यदल तथा दल पृथक् होते हैं। परिदल और पुमंग के बीच विभिन्न रूप के मकरंदकोश स्थित रहते हैं, जो दलों के परिवर्तित रूप माने जाते हैं। कुछ वंशों के अध्ययन से उनके बीच मकरंकदकोश की स्थिति का एक क्रम प्रतीत होता है। उदाहरणार्थ कैल्था में मकरंदस्राव जायांग द्वारा होता है। इसमें "बाह्यदल' तथा पुमंग के मध्य कुछ नहीं होता। हिल्लीवोरस इरैथिस आदि में छोटे नलाकार दलों में यह स्राव होता है। नाइजेला में भी ऐसा ही होता है। परिदलों का सिरा पत्ती जैसा होता है। नाइजेला में भी ऐसा ही होता है। परिदलों का सिरा पत्ती जैसा होता है। रैननकुलस आरिकोमस में दल स्पष्ट रंगीन और मकरंद कोशयुक्त होता है। ऐकोनाइटम तथा डेलफीनियम में एकयुग्गी पुष्प होता है, जिसके पुमंग प्राय: आठ एवं कुंतल, परागकोश बहिर्मुखी, जायांग आठ तथा पृथक् अंडप होता है। नाइजेला में युक्तांडप, ऐक्टिया में केवल एक अंडप और इस प्रकार बरबेरीडेसी से संबंधित। पुष्प पूर्व पुंपक्व, क्लिमैटिस में पराग पुष्प, रैननकुलस के पुष्प बहुयुग्मी, मधु अनावृत, नाइजेला में मधु छोटी गुहाओं में, ऐक्वीलेजिया में लंबे दलपुटों (spurs) में आदि। फल एकीन अथवा एक सेवनी का समूह, नाइजेला में संपुट (capsules), ऐक्टिया में भरी। इस कुल का एक स्थायी लक्षण इसके बीजों का आंतरिक विन्यास है। प्रत्येक बीज में एक छोटा भ्रूण प्रचुर तैलयुक्त भ्रूणपोष (endospers) में स्थित रहता है।
आँत्वाँ लॉरेन डी जेसू ने इस कुल के अनेक वंशों, जैसे एकोनाइटम, रैननकुलस, क्लिमैटिस आदि, के पुष्प अंगों में विभिन्नता देखते हुए भी उनकी संख्या, उनकी स्थिति तथा उनके विन्यास में एक सामंजस्य का अध्ययन किया था और उसी आधार पर उन्हें एक कुल में निर्धारित किया। तारतम्यसूचक गुण ये हैं : मुक्त अधोजायांग परिदल, अनेक पुमंग, उत्तर अंडाशय, प्रचुर भ्रूणापोषयुक्त बीज जिसमें एक सीधा छोटा भ्रूण स्थित रहता है, आदि।
इस कुल के दो मुख्य उपविभाग हैं :
- (१) अनेक बीजांडवाले फल, एक सेवनी, भरी या, संपुट इसमें पिओनिया, कैल्था, नाइजेला, इरैथस, ऐक्टिया, ऐक्विलेजिया, डेल्फीनियम, एकोनाइटम आदि वंश हैं,
- (२) एक बीजांडवाले फल इसमें एनीमोन, क्लिमैटिस, रैननकुलस तथा थैलिक्ट्रम वंश हैं। इस कुल के अधिकांश पौधे विषैले होते हैं। बच्छनाभ (एकोनाइटम) आदि ओषधिय पौधे हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Flora of North America: Ranunculaceae
- Flora of China: Ranunculaceae
- Ranunculaceae in Topwalks
- Ranunculaceae
- Ranunculaceae in L. Watson and M.J. Dallwitz (1992 onwards)। The families of flowering plants.
- NCBI Taxonomy Browser
- links at CSDL, Texas
- Japanese Ranunculaceae - Flavon's art gallery
- Family Ranunculaceae Flowers in Israel