रेशमलाल जांगड़े

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जीवन परिचय[संपादित करें]

रेशम लाल जांगड़े जी की युवावस्था में तस्वीर
जीवन परिचय[संपादित करें]

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं प्रथम लोकसभा के निर्वाचित प्रथम सांसद मान. रेशमलाल जांगड़े का जन्म 15 फरवरी 1925 में तत्कालीन रायपुर जिला के परसाडीह ग्राम में हुआ था। जो वर्तमान में तहसील बिलाईगढ जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में स्थित है। उनके पिता का नाम श्री टीकाराम जांगड़े जी तथा माता का नाम श्रीमती गंगामति था।

विवाह - 1958 में श्रीमती कमला जांगड़े से हुआ। 03 पुत्र एवं 02 पुत्री कमला जांगड़े के साथ है। 

दादाजी - श्री माखनलाल जांगड़े उस क्षेत्र के जाने माने समाज सेवक एवं प्रभावशाली व्यक्ति थे रेशम लाल जांगड़े को समाज सेवा विरासत में मिला थी।  परिनिर्वाण- मान.रेशमलाल जांगड़े जी का निधन 11 अगस्त सन् 2014 में रायपुर जिले के निजी अस्पताल में हुआ।

प्राथमिक शिक्षा

1932 से प्रारंभ मऊहाडीह बिर्रा चाम्पा से नगरहा बिलाईगढ़ में कक्षा 2 से पांचवी कक्षा तक हाईस्कूल शिक्षा - लारी हाईस्कूल रायपुर जो वर्तमान में सप्रे हाईस्कूल के रूप में जाना जाता है। महाविद्यालयीन शिक्षा - सन 1943 तक महाविद्यालयीन शिक्षा स्नातक शासकीय छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर से उत्तीर्ण सम्पन्न हुई। सन 1943 से 1949 तक नागपुर विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की शिक्षा पूर्ण की।

रेशम लाल जांगड़े जी के अंतिम दिनों की तस्वीर

जीवन में सामाजिक एवं राजनैतिक गतिविधियां[संपादित करें]

रेशम लाल जांगड़े जी की एक दुर्लभ तस्वीर

वर्ष 1939 से 1942 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य नियमित शाखा अमीनपारा प्राथमिक शाला में जाते थे इन्ही वर्षो में मान. गुरू गोलवलकर जी एवं मान. एकनाथ रानाड़े जी रायपुर में विशाल सभा किये जिसमें रेशमलाल जांगड़े जी शामिल हुये। मान. श्री बाल गंगाधर तिलक द्वारा गणेशोत्सव पूजा से प्रभावित होकर स्वतंत्रता के लिये ‘‘परिवर्तन नाटक‘‘ करते थे।

भारत छोड़ो आन्दोलन[संपादित करें]

प्रदेश के विभिन्न गांधीवादी नेताओं ने 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया तथा 12 अगस्त 1942 को जांगड़े जी गांधी चैक रायपुर में भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े मंच से अंग्रेजी शासन के विरूद्ध हिटलर एवं जर्मनी की तरीफ करते हुये शासन की घोर निंदा की और शहीद भगत सिंह व सुभाष चंद्र बोस की उन्तेजक भाषण देते हुये जिंदाबाद के नारे लगाये उस समय के कमीशनर जे.डी.केरा वाले व पुलिस अधिकारी लोग जांगड़े जी को सेन्ट्रल जेल रायपुर भेज दिये जहां नबालिक छात्र होने के कारण 15 दिवस जेल रहने के पश्चात रिहा किय।

वर्ष 1949  -[संपादित करें]

दिसंबर माह में अन्तःकालीन सदस्य के संासद के सदस्य निर्वाचित हुये। महंत लक्ष्मी नारायण दास की प्रमुख भूमिका रही। सांसद बनाने में अन्तःकालीन सदस्य लोग संविधान सभा के सदस्य थे।

वर्ष 1952 -[संपादित करें]

लोक सभा के प्रथम चुनाव संवैधानिक नियम से जिसमें रेशमलाल जांगडे़ जी बिलासपुर संसदीय क्षेत्र से चुनकर संसद पहुचें तथा लगातार 1962 तक सांसद रहें, इस कार्याकाल में संसद के विभिन्न समितियों के सदस्य रहें।

वर्ष 1962 से  1985 -[संपादित करें]

वर्ष 1962 से 1967 तक मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुये। उपमंत्री - मध्यप्रदेश शासन में रहें। सन 1972 से सन 1977 तक मध्यपद्रेश विधानसभा के निर्दलीय सदस्य रहें  एवं सन 1985-1986 विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष भाजपा में रहें। 1972 से जनसंघ में शामिल हुये सन 1977 में जनता पार्टी के सदस्य बने व 1980 से भाजपा के नियमित सदस्य हुये वर्ष 1985 - भारतीय जनता पार्टी के सुन्दरलाल पटवा शासन में विधायक रहें।

वर्ष 1989 से  1994 -[संपादित करें]

वर्ष 1989-1991 तक पुनः लोक सभा के सांसद बिलासपुर क्षेत्र से निर्वाचित हुये

अस्पृश्यता निवारण बिल -,[संपादित करें]

संसद में डाॅ. भीमराव अंबेडकर जी द्वारा प्रस्तुत ‘‘हिन्दू कोड बिल‘‘ वर्ष 1954-55 बहस में भाग लिया गया। शासकीय संकल्प द्वारा लोक सभा वर्ष 1954-55 में शासन से आश्वासन प्राप्त किया।

भाजपा के पदाधिकारी के कार्य में -  मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व मध्यप्रदेश चुनाव समिति के सदस्य रहें।

सामाजिक क्षेत्र[संपादित करें]

श्री रेशमलाल जांगड़े जी सामाजिक क्षेत्र में बहुत काम किये गुरू गोसाई अगमदास जी के मृत्यु पश्चात - गुरू माता मिनीमाता को संसद बनाने में अहम भूमिका रही स्व. जगजीवन रामजी के अनुशंसा जांगड़े जी द्वारा लिया गया तब मिनी माता सांसद बनी। श्री बेदराम अजगले, श्री गणेशराम अन्नल आदि को राजनीति मे विशेष स्थान दिलाया।

महामंत्री अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ, अध्यक्ष गुरू घासीदास महासमिति रायपुर

संचालक - महाकौशल हरिजन शिक्षा सिमित

उपाध्यक्ष -भातृ संघ स्व. श्री खूबचंद बघेल जी के संस्था में।

सामाजिक क्षेत्र में जांगड़े जी प्रदेश के प्रमुख समाज सुधारक महंत लक्ष्मीनारायण दास, श्री विजय शंकर दीक्षित, श्री पंडित सुन्दर लाल शर्मा, श्री शंकर राव गंनोद वाले,  श्री ठाकुर प्यारेलाल, डाॅ. खूबचंद बघेल से प्रेरणा प्राप्त कर सहयोगी के रूप में कार्य करते थे। सतनामी समाज के प्रमुख समाज सुधारक जिसमें महंत नयनदास महिलांगह, श्री अंजोरदास, मिनीमाता जी बड़े भाई मूलचंद जांगड़े के साथ काम किया राज्य में अस्पृश्यता निवारण छूवा-छूत दलितों के शैक्षिक विकास, गंदे कामों से मुक्ति, महिला शिक्षा, जन जागृति हेतु प्रदेश के सभी जिलों में पद यात्रा  किये।

उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर से बंधूवा मजदूरों को छूड़वाया, 11 सौ अनुसूचित छात्रों को 19 छात्रावास खोलकर स्वयं के तनखा जो सांसद के रूप में मिलता था उसे खर्च कर छात्रावास संचालित कर शिक्षित किया और नौकरी रोजी-रोजगार दिलाया।

गिरौदापुर धाम मेला आयोजन 1991 में समिति का अध्यक्ष बने, रामनवमी भजन मेला के माध्यम से दलितों में चेतना जागृत किया। छूवा-छूत मिटाने में सभी समाजों के साथ मिलकर जांगड़े जी ने उल्लेखनीय कार्य किया,  पूरे प्रदेश का पैदल मार्च किया।

अधिवक्ता के रूप में[संपादित करें]

वकील के रूप में प्रदेश के गरीब पिछड़े लोगों को निःशुल्क न्याय दिलाने में सहयोग किया निरापराध लोगों की पैरावी कर छूड़ाया खास कर फौजदारी मामले के प्रसिद्ध वकील थे जांगड़े जी संसद में तत्का. प्रधानमंत्री श्री लाल बहादूर शास्त्री, एवं श्री जगजीवन रामजी, जांगड़े जी को बहुत स्नेह करते थे।

पूर्व प्रधानमंत्री समाननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का बेहत स्नेह एवं आर्शीवाद जांगड़े को मिला।

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में योगदान[संपादित करें]

स्व. खूबचंद बघेल, जी से विचार विमर्ष के बाद एवं स्व. ठाकुर प्यारेलाल सिंह, जी से मंत्रणा के बाद 1956 में राज्य पुर्नगणन आयोग के गठन के बाद संसद में छ.ग. राज्य के गठन के लिये संसद में अपना पक्ष रखा।

राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक सम्मान -[संपादित करें]

संसद की 60 वीं वर्षगाठ पर देश के प्रथम सांसद के रूप में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष व दोनो संदनों द्वारा 13 मई 2012 को उनका सम्मान किया गया।

दलित चेतन के लिये गुरू घासीदास समान वर्ष 2005-06 में राज्य सरकार द्वारा किया गया।