रुकनुद्दीन बेबर्स
रुकनुद्दीन बेबर्स | |||||
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Sultan Misr wa-Suria Al-Malik al-Zahir रुकनुद्दीन बेबर्स | |||||
Sultan of Egypt | |||||
शासनावधि | 24 October 1260 – 1 July 1277 | ||||
राज्याभिषेक | 1260 at Salihiyah | ||||
पूर्ववर्ती | Saif ad-Din Qutuz | ||||
उत्तरवर्ती | Al-Said Barakah | ||||
जन्म | 19 July 1223 or 1228 Dasht-i Kipchak[1][2] | ||||
निधन | 1 July 1277 (aged 50/55) Damascus, Mamluk Sultanate | ||||
जीवनसंगी | Iltutmish Khatun | ||||
संतान |
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घराना | Zahiri | ||||
राजवंश | Bahri | ||||
धर्म | Islam |
रुकनुद्दीन बेबर्स (जन्म: 1223/1228 - मृत्यु: 1 जुलाई 1277) सैफ़ अल-दीन क़त्ज़ के उत्तराधिकारी थे, बहरी मामलुक वंश में मिस्र का चौथा सुल्तान। वह मिस्र की सेना के कमांडरों में से एक था जिसने सातवें धर्मयुद्ध में फ्रांस के राजा लुई XIV को हराया था। उन्होंने 1260 में ऐन गोलियत की लड़ाई में मिस्र की सेना के मोहरा का नेतृत्व भी किया,जिसने मंगोल सेना की पहली हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस लड़ाई को इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है।
बेयबर्स मामलुक साम्राज्य का पहला प्रमुख शासक है। उसने 1260 से 1277 तक 17 वर्षों तक मिस्र और सीरिया पर शासन किया। वह हलाकू खान और दिल्ली के गयासुद्दीन बलबन के समकालीन थे। वह मूल रूप से एक क़पचक तुर्क था जिसे गुलाम बनाए जाने के बाद क़पचक में बेच दिया गया था। कहा जाता है कि मंगोलों ने उसे गुलाम भी बनाया और सीरिया में बेच दिया था। [3][4]
मृत्यु
[संपादित करें]1 जुलाई 1277 को दमिश्क में बैबर्स की मृत्यु हो गई, जब वह 53 वर्ष के थे। उनका निधन कुछ अकादमिक अटकलों का विषय रहा है।उन्हें दमिश्क में अज़-ज़हिरिया पुस्तकालय में दफनाया गया था।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Adventuring in the Englishes: Language and Literature in a Postcolonial Globalized World, Ikram Ahmed Elsherif, Piers Michael Smith. 2014. Part I; Chapter 2, pg 18.
- ↑ "Baybars I". Britannica.
- ↑ Baybars in Concise Britannica Online, web page
- ↑ Brief Article in Columbia Encyclopedia, web page Archived 22 अप्रैल 2004 at the वेबैक मशीन