राहुल चिमनभाई मेहता

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
राहुल चिमनभाई मेहता

2023 में राहुल मेहता
जन्म 6 जुलाई 1968 (आयु 54)
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा

स्नातक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली

स्नातकोत्तर, रुटगर्स यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका
पेशा
पदवी राष्ट्रीय अध्यक्ष
प्रसिद्धि का कारण भारत में राईट टू रिकॉल कानून
राजनैतिक पार्टी राइट टू रिकॉल पार्टी
माता-पिता चिमनभाई मेहता
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}
वेबसाइट
https://www.rahulmehta.com/

राहुल चिमनभाई मेहता (जन्म 6 जुलाई 1968) एक भारतीय कार्यकर्ता है जो भारत में भ्रष्टाचार को दूर करने और नागरिक अधिकारो में वृद्धि करने के लिए कार्य कर रहे है। [1] [2] वह राइट टू रिकॉल कानून, अदालतों में ज्यूरी ट्रायल और भारत में हर नागरिक के लिए जनमत संग्रह के अधिकार को लागू करने के लिए अभियान चला रहे हैं। [2] [3] वह भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के के द्वारा चुनाव करे जाने के खिलाफ हैं और भारत में चुनावों में बैलेट पेपर द्वारा वोट करने की प्रणाली को वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं। [4] वह राइट टू रिकॉल पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, जो की भारत में एक राजनीतिक दल है। [5] [6]

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा[संपादित करें]

मेहता का जन्म 6 जुलाई 1968 को गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में हुआ था।[7] वह स्वतंत्रता सेनानी चिमनभाई मेहता के पुत्र हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया और बाद में गुजरात से राज्यसभा सांसद भी रहे। [1] उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक और रुटगर्स विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका से कंप्यूटर विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। [1] [8]

आजीविका[संपादित करें]

1990 में, मेहता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से अपनी स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद नौकरी करने हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए और आठ साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में वहा काम किया। [8] [2]

राइट टू रिकॉल ग्रुप का गठन[संपादित करें]

1990 में मेहता ने देखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में पुलिस में भ्रष्टाचार कम था, अदालतों द्वारा जनता को जल्दी न्याय मिल रहा था, वहां की राजनीतिक संस्कृति भारत की तुलना में बहुत बेहतर थी और उन्होंने पाया कि विदेशों में भ्रष्टाचार इसलिए कम था क्योंकि वहां सत्ता में रहने वाले नेता, अधिकारी, जजो पर राईट टू रिकॉल कानून होने की वजह से वो जनता के प्रति जवाबदेह थे । [2] 1999 में मेहता भारत लौट आए और राइट टू रिकॉल कानूनों के लिए अभियान शुरू किया और इस विचार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने 2006 में राइट टू रिकॉल समूह बनाया। [3]

राइट टू रिकॉल पार्टी की स्थापना[संपादित करें]

राइट टू रिकॉल ग्रुप बनाने के तीन साल बाद, मेहता ने अपने कानूनी मसौदो को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने हेतु चुनाव को एक प्रचार उपकरण के रूप में इस्तेमाल करके राइट टू रिकॉल कानूनों और जूरी सिस्टम के इन मसौदों को भारत की जनता तक पहुचाने के लिए एक राजनीतिक पार्टी बनाने की और अग्रसर हुए और 2019 में उन्होंने राइट टू रिकॉल पार्टी की स्थापना की और कार्यकर्ताओ की सर्व सम्मति से इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गये। [9] [10] [2]

राइट टू रिकॉल पार्टी ने 2019 के भारतीय आम चुनाव [11] के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ा और भारत के विभिन्न राज्यों के 14 लोकसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों [12] [13] को चुनावी मैदान में उतारा।

राजनीतिक दृष्टिकोण[संपादित करें]

मेहता ने भारत की समस्याओं जैसे राजनेताओं, नौकरशाहों, न्यायाधीशों और पुलिस के भ्रष्टाचार के साथ-साथ बेरोजगारी, भारतीय सेना में विदेशी निवेश बढना आदि पर अपने विचार व्यक्त किए और इन समस्याओ के समाधान के रूप में अदालतों में ज्यूरी सिस्टम, प्रधान मंत्री तथा मुख्यमंत्रियों पर राइट टू रिकॉल कानून, प्रत्येक नागरिक को जनमत संग्रह का अधिकार जैसे कई कानून के मसौदे अपनी पुस्तक वोट वापसी धन वापसी में दिये है। [14]

उन्होंने भारत में एक नागरिक लाभांश प्रस्ताव ( खनिज मुनाफा बटवारा कानून) भी प्रस्तावित किया है जिसमें भारत में खनन व भारतीय दूरसंचार स्पेक्ट्रम नीलामी से प्राप्त रॉयल्टी, और भारत में सभी सरकारी भूमि से एकत्र किए गए किराए से प्राप्त कुल राशी के दो-तिहाई भाग को सात वर्ष की आयु से ऊपर के सभी भारतीयों को समान रूप से हर महीने उनके बैंक खाते में सीधे जमा किया जाएगा और शेष एक तिहाई भाग भारतीय सेना के खाते में जमा किया जाएगा। [15]

चुनावी प्रदर्शन[संपादित करें]

चुनाव वर्ष निर्वाचन क्षेत्र परिणाम मत % मत प्रतिशत स्रोत
भारतीय आम चुनाव, 2009 2009 गांधीनगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हार 7,305 0.92% [16]
गुजरात विधान सभा चुनाव, 2012 2012 घाटलोडीया हार 2,236 1.08% [17]
भारतीय आम चुनाव, 2014 2014 गांधीनगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हार 9,767 0.86% [18]
गुजरात विधानसभा चुनाव, 2017 2017 घाटलोडीया हार 572 0.24% [19]
भारतीय आम चुनाव, 2019 2019 गांधीनगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हार 1097 0.08% [20]
2022 गुजरात विधान सभा चुनाव 2022 घाटलोडीया हार 181 0.07% [21]

विवाद[संपादित करें]

नवंबर 2014 में, मेहता, जिन्होंने गांधीनगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ने के दौरान वोट वापस लेने के अधिकार को अपन प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था, ने कहा कि कर्नाटक सरकार द्वारा ग्रामीण मतदाताओं के लिए बनाया गया राईट टू रिकॉल कानून अपर्याप्त था और इसमें एक नकारात्मक रिकॉल की प्रक्रिया थी जबकि उन्हें एक सकारात्मक प्रक्रिया देनी चाहिए जिसमें ग्राम सभा को एक ऐसा उम्मीदवार मिलता है जो निर्वाचित से बेहतर होता है। [22]

जुलाई 2019 में, मेहता ने तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय परामर्श बैठक - बैक टू बैलट पेपर में भाग लिया जिसका उद्देश्य था की जनता को ई वी एम् मशीने में की जा सकने वाली धांधलियो का पता लग सके और वहा पर मेहता ने पेपर प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिखाया कि ईवीएम-वीवीपीएटी से छेड़ छाड़ करके इसको किस प्रकार से विकृत किया जा सकता है और वउन्होंने दावा किया की ईवीएम् स्पष्ट रूप से प्री-प्रोग्रामेबल हैं। [23]

अक्टूबर 2019 में, मेहता ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पर आरोप लगाया। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस में एक विज्ञापन प्रकाशित किया जिसमें बताया गया था कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कैसे धांधली की जा सकती है। उन्होंने दावा किया कि ईवीएम द्वारा दिखाए जाने वाले परिणामों को बदलने के लिए मशीन में दुर्भावनापूर्ण कोड डाले जा सकते हैं। विज्ञापन में उन्होंने बताया कि कैसे वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) काले कांच की मदद से वोट की हेराफेरी कर सकता है। उन्होंने प्रस्ताव दिया की या तो रंगहीन, पारदर्शी कांच वाले वीवीपीएटी मशीन का ही इस्तेमाल किया जाए या फिर ईवीएम हटा कर बैलट पेपर से ही चुनाव करवाए जाए। [4]

आरोप[संपादित करें]

नवंबर, 2015 में संदेश (भारतीय समाचार पत्र) ने मेहता पर एक समाचार लेख प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि मेहता को अपने 9 ट्रस्टों में विदेशों से करोड़ों रुपये का दान मिला, जिसका उन्होंने अपने निजी खर्च हेतु इस्तेमाल किया। [24] हालांकि मेहता ने इन सभी आरोपों का खंडन किया और इन सभी आरोपों को निराधार बताया। [25]

फरवरी 2020 में कुछ मीडिया पोर्टल्स द्वारा यह आरोप लगाया गया कि राइट टू रिकॉल पार्टी सहित 70 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से धन प्राप्त किया। [26] इसके बाद मेहता ने दावा किया कि उनकी पार्टी के पास भारत के चुनाव आयोग से पत्र प्राप्त होने के समय बैंक खाता ही नहीं था, [27] और उन्होंने ईसीआई को एक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे उनकी पार्टी को कोई दान प्राप्त नही हुआ था। [28]

पुस्तकें[संपादित करें]

2009 में मेहता ने प्रजा अधीन राजा शीर्षक से एक पुस्तक प्रकाशित की जिसमे उन्होंने वोट वापसी कानून, जूरी कोर्ट कानून जेसे कानूनी मसौदो का उल्लेख किया । [29] उसके बाद 2020 में उन्होंने वोट वापसी धन वापसी नाम से एक और किताब लिखी। यह राइट टू रिकॉल पार्टी का घोषणापत्र भी है, जो भारत में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बढ़ते विदेशी प्रभुत्व आदि समस्याओं के कानून के आधार पर समाधान का दावा करती है । [14] [30]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "This IIT graduate makes 'right to recall' his poll plank". archive.indianexpress.com. अभिगमन तिथि 2023-02-03.
  2. "Fight for recall right". Ahmedabad Mirror (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-06.
  3. "Right-to-recall activist spurred by Anna's win". Ahmedabad Mirror (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-06.
  4. "In a first, a newspaper ad calls for action against EVMs". National Herald (अंग्रेज़ी में). 26 October 2019. अभिगमन तिथि 2023-02-07.
  5. "Bet you hadn't heard of these political parties in India". sg.news.yahoo.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-10.
  6. "List of Political Parties in India registered after 15.03.2019". Election Commission of India.
  7. "Rahul Chimanbhai Mehta Affidavit in Gujarat election 2022". Election Commission of India.
  8. "Gujarat Elections 2017: More educated in politics, the better". Ahmedabad Mirror (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-06.
  9. "Rahul ChimanBhai Mehta, National President, Right to Recall Party". Chief Electoral Officer Gujarat State. मूल से 18 अप्रैल 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अप्रैल 2023.
  10. "Lok Sabha elections 2019: New parties on the poll block". Hindustan Times (अंग्रेज़ी में). 28 April 2019. अभिगमन तिथि 2023-02-03.
  11. "Lok Sabha Polls 2019: List of Political parties in Lok Sabha Elections". The Times of India. अभिगमन तिथि 2023-02-07.
  12. "Lok Sabha Polls 2019: List of Political parties in Lok Sabha Elections". The Times of India. अभिगमन तिथि 2023-02-14.
  13. "IndiaVotes PC: Party-wise performance for 2019". IndiaVotes. अभिगमन तिथि 2023-02-14.[मृत कड़ियाँ]
  14. Mehta, Rahul Chimanbhai; Sharma, Pawan Kumar (14 December 2021). Vote Vapasi Dhan Vapasi (Hindi में). India: Notion Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 979-8885306997.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  15. "Mineral Royalty for Citizens and Military law-draft" (PDF). MyGov.in. मूल (PDF) से 15 दिसंबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 February 2023.
  16. "Constituency Wise Detailed Results" (PDF). Election Commission of India. पपृ॰ 37–38. मूल (PDF) से 11 August 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 April 2014.
  17. "Gujarat General Legislative Election 2012". Election Commission of India. अभिगमन तिथि 13 September 2021.
  18. "Gandhinagar". Election Commission of India. मूल से 28 June 2014 को पुरालेखित.
  19. "Gujarat General Legislative Election 2017". Election Commission of India. अभिगमन तिथि 11 July 2021.
  20. "Constituency wise detailed result 2019". Election Commission of India.
  21. "2022 Gujarat General assembly Election Result, Ghatlodia Constituency". Election Commission of India.
  22. Aji, Sowmya (25 November 2014). "Karnataka government drafting right to recall bill for rural voters". द इकॉनोमिक टाइम्स. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0013-0389. अभिगमन तिथि 2023-02-03.
  23. Desk, The TMC (2019-07-15). "No EVM, Back to Ballot Paper: National Consultation Meeting against EVMs Held". The Morning Chronicle (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-03-24.
  24. "દેશને બદનામ કરવાના આશયથી રાહુલ મહેતાએ 'રાઇટ ટુ રિકોલ'ની દુકાન ખોલી" [With the intention of defaming the country, Rahul Mehta opened a 'Right to Recall' shop] (PDF). Sandesh (Indian newspaper) (Gujarati में). अभिगमन तिथि 23 March 2023.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  25. "Reply to lies printed by Sandesh newspaper against Rahul Chimanbhai Mehta - Gujarati". Youtube. 21 November 2015. अभिगमन तिथि 23 March 2023.
  26. Chhibber, Maneesh (2020-02-10). "These parties don't have a fixed symbol but still got cash through electoral bonds". ThePrint (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-14.
  27. Jha, Poonam Agarwal,Shreegireesh Jalihal,Somesh (2022-06-06). "Not 105, Only 19 Parties Got Electoral Bonds; BJP Pockets 67.8% in 3 Years". TheQuint (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-14.
  28. "Debunking a 'Sealed' Myth: Only 17 Political Parties Of 105 In EC List Got Electoral Bonds — Article 14". article-14.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-14.
  29. Mehta, Rahul Chimanbhai (2012-09-10). Praja Adheen Raja - Right to Recall (PDF) (English में). Daideepya Chandra Bhargava. ASIN B009CLM2PE.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  30. Mehta, Rahul Chimanbhai; Sharma, Pawan Kumar (2020-12-14). VoteVapsi DhanVapsi: Manifesto of Right to Recall Party (registered). Rahul Chimanbhai Mehta.