राष्‍ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्‍थान

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

राष्‍ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्‍थान (National Institute of Plant Genome Research / NIPGR) भारत में पादप जीनोम अनुसंधान का एक अग्रणी संस्‍थान है। इसे पहले 'राष्‍ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान केन्‍द्र' कहा जाता था। इसकी स्‍थापना जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा भारत की आजादी के 50 वर्ष पूरे होने तथा प्रोफेसर जे सी बोस के जन्‍म वर्षगांठ के अवसर पर की गई थी। औपचारिक घोषणा 30 नवम्‍बर 1997 को की गई थी, इस संस्‍थान को पादप जीनोमिकी के लिए भारत के प्रमुख योगदानकर्ताओं में गिना जाता है। यह आशा है कि आने वाले वर्षों में एनआईपीजीआर के निरंतर प्रयासों से भारत कार्यात्‍मक, संरचनात्‍मक विकास और फसल पौधों सहित पादपों के अनुप्रयुक्‍त जीनोमिकी के क्षेत्र में सामग्री, ज्ञान और प्रौद्योगिकी का सबसे महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय संसाधन संस्‍थान के रूप में उभरेगा।

जीनोमिकी अनुसंधान से प्राकृतिक विज्ञान की विभिन्‍न शाखाओं के बीच एक सेतु बनता है और इसके परिणामस्‍वरूप पिछले 2 दशकों में इसकी कई गुना वृद्धि हुई हैं। सभी जीव विज्ञान अनुसंधान जीनोमिकी से जुड़े हैं और इसके परिणामस्‍वरूप अनाज, शाक, फल, तंतु, पेय पदार्थ, जड़ी बूटी की दवाएं, भैषजिकी और औद्योगिक अणुओं के किफायती उत्‍पादन हेतु आवश्‍यकतानुसार नई फसलों का मार्ग बना है। भूख और कुपोषण के लिए विश्‍व भर में मौजूदा स्थिति और स्‍वस्‍थ जीवन के लिए इसकी आवश्‍यकता को देखते हुए एनआईपीजीआर का लक्ष्‍य जीनोमिकी अनुसंधान की मौजूदा गति से उत्‍पन्‍न इन आशाओं की उपलब्धि में योगदान देने का है। एनआईपीजीआर की स्‍थापना अनुसंधान, अनुसंधान को प्रोत्‍साहन और संबंधित करने, व्‍यक्तियों को प्रशिक्षण देने तथा पादप जीनोम के अभिज्ञात पक्षों में सूचना संसाधन के रूप में कार्य करने के लिए की गई थी ताकि यह एक अग्रणी पादप जीनोम संस्‍थान बन सके। अनुसंधान कार्यक्रम का लक्ष्‍य पादप जीनोम पर जीनों की व्‍यवस्‍था और खाद्य तथा औद्योगिक फसलों की उच्‍च उत्‍पादकता के लिए उन्‍नत किस्‍में तैयार करने के लिए जीनोम के साथ जीनों की संरचना, अभिव्‍यक्ति और कार्य को समझने में योगदान करना है ताकि उत्‍पादकता की गुणवत्ता बेहतर हो सके। एनआईपीजीआर की स्‍थापना अंतरराष्ट्रीय जीनोमिक अनुसंधान की तीव्र गति को देखते हुए चुनौतियों को पूरा करने के राष्‍ट्रीय प्रयास के एक भाग के रूप में इन फसलों की उपलब्धि में योगदान देने और दीर्घ अवधि आधार पर अवसरों का लाभ उठाने के लिए की गई थी।

उद्देश्‍य[संपादित करें]

  • मूलभूत और अनुप्रयुक्‍त पादप आण्विक जीवविज्ञान में उच्‍च स्‍तर के अनुसंधान को करना, उसे सहायता देना, प्रोत्‍साहन देना, मार्गदर्शन और समन्‍वय करना।
  • विभिन्‍न वैज्ञानिक और अनुसंधान एजेंसियों/प्रयोगशालाओं तथा अन्‍य संगठनों के बीच निरंतर आधार पर प्रभावी सह संबंध को प्रदान करना और प्रोत्‍साहन देना जो देश में पादप जीन, विकास और संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
  • ऊतक संवर्धन और आनुवांशिक इंजीनियरी प्रौद्योगिकी के साथ आण्विक जीव विज्ञान मार्गों का उपयोग महत्‍वपूर्ण जीनो को पहचानने में करना और इन्‍हें उन्‍नत कृषि विशेषताओं तथा रोगाणु/तनाव प्रतिरोधी गुणों के साथ पारजीनी पौधों के लिए रूपांतरित करना।
  • उपरोक्‍त अधिदेश की प्राप्ति में कोई जीन विनियमन और मानचित्रण से संबंधित मूलभूत कार्य
  • महत्‍वपूर्ण गुणों की निगरानी के लिए आण्विक मार्करों का विकास
  • पारजीनी पादपों का उत्‍पादन और परीक्षण
  • जीनो का चयन जो रोगणुओं की उत्तरजीविता के लिए महत्‍वपूर्ण हैं ताकि इन्‍हें रोग से लड़ने के लिए लक्षित किया जा सके।
  • पादप आनुवांशिक इंजीनियरी और जीनोम विश्‍लेषण के क्षेत्र के विभिन्‍न स्‍तरों पर उन्‍नत प्रशिक्षण आयोजित करना; और
  • अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थानों के साथ सहयोगात्‍मक कार्यक्रम करना जो पादप जीनोम अनुसंधान कार्य में संलग्‍न हैं और नजदीकी सह संबंध विकसित करना।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]