राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली

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राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई),नई दिल्ली के पास आधारभूत एवं अनुप्रयुक्त प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में अतिमहत्वपूर्ण अनुसंधान शुरू करने, उसे सहायता देने, प्रोत्साहन देने, मार्गदर्शन देने और समन्वित करने का अधिदेश है। संस्थान एक वैज्ञानिक आधार तैयार करने और मौलिक अनुसंधान एवं व्यावहारिक उद्यम-साझेदारी के साथ जनसाधारण की वास्तविक उपयोगिता के लिए व्युत्पन्न समाधानों की खोज में अपनी गतिविधियों को केन्द्रित करने का कार्य जारी रखा हुआ है और इसके लिए वैज्ञानिक आधार सृजित किया है।


उद्देश्य:[संपादित करें]

  • आधारभूत तथा अनुप्रयुक्त प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में अतिमहत्वपूर्ण अनुसंधान को शुरू करना, सहायता देना, प्रोत्साहन देना, मार्गदर्शन देना और समन्वित करना।
  • संचारी रोगों के लिए नए टीकों और प्रतिरक्षा जैविक रीएजेंटों के विकास के लिए अनुसंधान चलाना।
  • नर तथा मादा प्रजनकता के विनियमक के लिए प्रतिरक्षा जैविक उपायों का विकास करना।
  • टीकों एवं प्रतिरक्षा जैविक रीएजेंटों के विनिर्माण के लिए उद्योग क्षेत्र के साथ संपर्क स्थापित करना।
  • प्रतिरक्षा विज्ञान, टीका विकास और संबध्द क्षेत्रों में विशेष प्रकृति के स्नातकोत्तर पाठयक्रमों, कार्यशालाओं, सेमिनारों, संगोष्ठियों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • प्रतिरक्षा जैविक पध्दतियों और संबंधित तकनीक संबंधी तकनीशियनों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  • शोर्धकत्ताओं का स्नातकोत्तर डिग्री के लिए अपने पंजीकरण को सरल बनाने के प्रयोजन से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित करना।
  • प्रतिरक्षा विज्ञान के लिए एक राष्ट्रीय संदर्भ केन्द्र के रूप में कार्य करना और देश के चिकित्सा तथा पशु चिकित्सा संस्थानों, जनस्वास्थ्य अभिकरणों और उद्योगों को परामर्शी सेवाएं प्रदान करना।
  • प्रतिरक्षा विज्ञान, टीका विकास और संबंधित क्षेत्रों में देश में कार्यरत विभिन्न वैज्ञानिक और अनुसंधान अभिकरणोंप्रयोगशालाओं तथा अन्य संगठनों के बीच प्रभावकारी संपर्क स्थापित करना और उनकी सतता को प्रोत्साहित करना।
  • उपर्युक्त उद्देश्यों से संबंधित क्षेत्रों में विदेशी अनुसंधान संस्थानों, प्रयोगशालाओं और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।

आरंभ[संपादित करें]

संस्थान ने अपनी शुरूआती वर्षों के दौरान शुष्क जलवायु के प्रासंगिक प्रतिरक्षा नैदानिक कीटों के विकास के लिए यू एन डी पी अनुदान प्राप्त किया था। इससे गर्भावस्था, टाइफाइड, हेपाटाइटिस-बी तथा एमीबायसिस के लिए नैदानिक कीटों का विकास हो सका था। संस्थान ने अभी तक निम्न नैदानिक कीटों का विकास, मान्यकरण तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किया है: गर्भावस्था की जाँच के लिए 2 किटें, टाइफाइड, हैपाटाइटिस-बी, एमीबिक लीवर एबसेस और इंटेस्टायनल एमीवायसिस के लिए एक-एक किट। उत्पाद स्थिरीकरण, गुणवत्ता आश्वासन और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना भी की है। संस्थान ने माइकोबैक्टीरियम पर आधारित कुष्ठ रोग टीके के लिए बीज-संवर्धन संबंधी प्रौद्योगिकी तैयार की है। पॉलिमेरेस चेन रिएक्शन (पीसीआर) आधारित डीएनए अन्वेषियों को टयूबरकुलोसिस तथा ट्रांसपऊयूजन जौंडिस के कारण होने वाले हेपाटाइटिस-बी वायरस के लिए डिजाइन किया है।

एच आई वी प्रतिरक्षी भी[संपादित करें]

संस्थान ने सीरम में स्थानीय प्रभेदों की विशिष्टता सहित एचआईवी-1 तथा एचआईवी-2 प्रतिरक्षियों की उपस्थिति की पता लगाने के लिए एलिसा परीक्षण का विकास किया है। इस परीक्षण को एड्स निगरानी केन्द्रों और ब्लड बैंकों द्वारा प्रयोग के लिए डिजाइन किया गया है और यह संशोधित कीटों का एक उपयुक्त एवजी होगा। संस्थान के पास जन्म नियंत्रण बी-एचसीजी आधारित गर्भ निरोधक टीकों, सर्वव्यापी प्रभावकारी एपीटोप आधारित टीकों जैसे प्रतिरक्षा जैविक गर्भ निरोधकों के विकास और वैक्सीन डिजाइन, उत्पादन, संरूपण और वितरण को इष्टतमीकृत करने के एक ही प्रक्रियाओं और माइकोबैक्टीरियम के प्रयोग से इम्यूनोजैन तथा कुष्ठ रोग टीकों के उत्पादन के लिए पुनर्संयोजी निष्पीड़न प्रणालियों के इष्टतमीकरण, कृषि के क्षेत्र में लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से पशुओं में गर्भावस्था का पता लगाना और भ्रूण लिंगधारण इत्यादि जैसे प्रजनन जीवविज्ञान में अनुप्रयोग, इनविट्रो निषेचन, भ्रूण संरक्षण, उत्प्रेरित प्रजनन तथा संबध्द क्षेत्रों के लिए तकनीकों के विकास संबंधी बड़ी-बड़ी परियोजनाएं हैं।

शोध एवं अनुसंधान[संपादित करें]

यह संस्थान प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में आधारभूत अनुसंधान भी चलाता है। एनआईआई ने कई भारतीय तथा विदेशी पेटेंट फाइल किए हैं। इनके पास 8 अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट है। एनआईआई ने उच्च गुणवत्तायुक्त प्रतिरक्षा जैविक रीएजेंटों, रिस्ट्रीक्शन एंजाइम और प्लाजमीडों के आधानों के विकास में सफलता प्राप्त की है। यह संस्थान भ्रूण प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी के माध्यम से गाय-बैल नस्लों में सुधार संबंधी राष्ट्रीय मिशन परियोजना केन्द्र के साथ सहयोग कर रहा है। संस्थान ने पराजीनी पशुओं के प्रजनन के लिए प्रौद्योगिकी के विकास हेतु एक परियोजना शुरू की है।