राय वंश
रायका साम्राज्य रायका | |||||
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राजधानी | अरोड़ | ||||
धार्मिक समूह | हिन्दू | ||||
शासन | Absolute Monarchy | ||||
सम्राट् | Raika Diwa | ||||
Raika Sahiras | |||||
Raika Sahasi I | |||||
Raika Sahasi II | |||||
ऐतिहासिक युग | प्राचीन भारत | ||||
- | स्थापित | 416 | |||
- | अंत | 644 | |||
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रायका (४८९ ई - ६३२ ई) सिन्ध का एक हिन्दू वंश था जिसने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग पर शासन किया। इस साम्राज्य की शिखर अवस्था में इनका प्रभाव पूरब में कश्मीर से लेकर, पश्चिम में मकरान और देबल बन्दरगाह (आधुनिक कराची) तक, दक्षिण में सूरत बन्दरगाह तक और उत्तर में कान्धार, सुलैमान, फरदान और किकानान पहाड़ियों तक था।[1] इनका शासन लगभग साढे पन्द्रह लाख वर्ग किलोमीतर में फैला हुआ था। इस वंश का शासन लगभग १४३ वर्ष तक रहा।
सन्दर्भ[संपादित करें]
रायका साम्राज्य के लोग आज भी भारत के बहुत से राज्यों में रहते हैं। गुजरात में इन्हें रैबारी,देवासी,देशाई और मालधारी के नाम से जाना जाता है, जबकि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में इन्हें रायका, रैबारी नाम से जानते हैं। मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश और भारत के अन्य राज्यों में इन्हें रायका - रैबारी नाम से ही जाना जाता है। ये भारत के साथ साथ पाकिस्तान,अफगानिस्तान और साउदी अरब के देशों में भी इनका निवास पाया गया है। माना जाता है कि क्षत्रिय होने के कारण बहुत से युद्धो में भी इन्होने अहम भूमिका निभाई है सिरोही के किले को मुगलों से इन्होंने ही बचाया था। राय वंश के राजाओं ने 5 वीं सदी से 7 वीं सदी तक कश्मीर से लेकर कराची तक करीब साढ़े पंद्रह लाख वर्ग किलोमीटर पर शासन किया। इन राजाओं ने अपने शासन-काल में सिंध साम्राज्य में अनेक थुल बनवाए, जिनमें एक थुल मीर रुकान भी है, जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दौलतपुर के निकट है। राय वंश के राजाओं के अनेक सिक्के मिले हैं। चचनामा से पता चलता है कि वे मौर्य कुल से संबंधित थे। यही कारण है कि वे सम्राट असोक राय की राय उपाधि वे धारण करते थे।
ये लोग मेहनती और ईमानदार होने के कारण आधुनिक युग में अच्छी पहचान भी बना चुके हैं। ये प्राकृतिक और जीव जंतुओं से बहुत प्रेम करते हैं। ये सनातन धर्म और गाय माता को अधिक अहमियत देते हैं। इनको सिन्ध सभ्यता से भी पहले का माना जाता है। तेंदुआ को पालतू जानवर बनाने का ये शोक रखते थे। क्योंकि जानवरों से बहुत प्रेम था। और ये शारीरिक तौर से मजबूत अच्छी लंबाई और निडर स्वभाव के थे।
- ↑ Harsha and His Times: A Glimpse of Political History During the Seventh Century A.D. , Page 78 Archived 2020-01-23 at the Wayback Machine by Bireshwar Nath Srivastava (Chowkhamba Sanskrit Series Office, 1976)