राम अवतार शर्मा
महामहोपाध्याय पण्डित राम अवतार शर्मा (1877 - 1929) संस्कृत के विद्वान, भारतविद् तथा इतिहासकार थे। अपनी विद्वत्ता और तार्किकता के कारण वे पूरे देश में विख्यात थे। वे संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, लैटिन सहित भारत की अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होने दर्शन, काव्य, साहित्य, व्याकरण, इतिहास, धर्मशास्त्र, भाषाविज्ञान, आदि सभी विषयों पर निबन्ध लिखे। उनकी बहुत बड़ी देन है कि जो ज्ञान अंग्रेजी भाषा के माध्यम से उपलब्ध था उसे संस्कृत में उपलब्ध कराया।[1] भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद उनके प्रिय शिष्यों में से एक थे। उनके पुत्र नलिन विलोचन शर्मा भी पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक थे जिन्होने 'नई कविता' आन्दोलन का श्रीगणेश किया।
जीवन परिचय
[संपादित करें]पंडित रामावतार शर्मा का जन्म बिहार के छपरा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के पश्चात उन्होने कुछ समय तक वाराणसी के हिन्दू कॉलेज में, पटना कॉलेज में और बाद में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में अध्यापन का कार्य किया।
कृतियाँ
[संपादित करें]संस्कृत एवं पालि
[संपादित करें]- विविध गद्य-पद्यात्मक रचनाएँ 1903–06; काशी की 'मित्रगोष्ठी' और 'सूक्तिसुधा' नामक मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित
- सदुक्तिकर्णामृत - १९०३ से १९०१० के काल में बंगाल की एशियाटिक सोसायटी के लिए जुटाई गयी प्राचीन सामग्री
- प्रियदर्शीप्रशस्त्यः - १९१० में कोलकाता विश्वविद्यालय के लिए केवल पालि वाले अंशों का संस्कृत एवं अंग्रेजी में अनुवाद
- परमार्थदर्शन, सूत्रबद्ध दर्शन ग्रन्थ वार्तिक सहित -- १९११-१२ और १३ में काशी में प्रकाशित।
- वांगमयमहार्णव - श्लोकबद्ध संस्कृत विश्वकोश, १९११ से १९२५ के मध्य प्रकाशित; ज्ञानमण्डल लिमिटेड वाराणसी से
- भारतीयमितिवृत्तम् - संस्कृत में भारत का इतिहास
अंग्रेजी
[संपादित करें]- Philosophy of the Puranas (पुराणदर्शन); 1902, got Buch Metaphysics Prize for it, unpublished.
- Chapters from Indian Psychology (भारतीय मनोविज्ञान के कुछ अध्याय), 1904, got Buch Metaphysics Prize for it, unpublished.
- Gopal Basu Mallick lectures on Vedantism (वेदान्त पर व्याख्यान), 1908, published by University of Calcutta.
- A Thesis on the Age of Kalidasa (कालिदास के समय का निरूपण); 1909, Published by Hindustan Review.
- Elementary Textbook of Eternal Law (परमार्थदर्शन की अंग्रेजी भूमिका); 1911, unpublished.
हिन्दी
[संपादित करें]- यूरोपीय दर्शन; 1905, काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित
- हिन्दी भाषा तत्त्व ; काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा व्याख्यान-शृंखला के रूप में प्रकाशित
- हिन्दी व्याकरण ; 1907, कोलकाता से प्रकाशित 'देवनगर' नामक मासिक पत्र में प्रकाशित
- हिन्दी व्याकरण और रचना की शिक्षण-पद्धति, 1910 - बंगाल के शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित
- विविध-विषयक निबन्ध; 1912–13, सरस्वती (पत्रिका), सुधा और माधुरी में प्रकाशित
- मुद्गगरानन्दचरित ; नागरी प्रचारिणी पत्रिका में प्रकाशित (प्रकाशन वर्ष अज्ञात)
- पद्यमय महाभारत, प्रकाशन वर्ष अज्ञात
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "भारतीय चरित कोश, पृष्ट ७४३". मूल से 20 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 दिसंबर 2017.