सामग्री पर जाएँ

राफेल सौदा विवाद

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

रफ़ाल सौदा विवाद [1] (Rafale Deal Controversy)[2] भारत में लड़ाकू विमान खरीदने को लेकर एक राजनीतिक विवाद है[3] भारत के रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के डसॉल्ट राफेल से ३६ लड़ाकू विमान ख़रीदे हैं जिन का अनुमानित मूल्य Rs 58,000 करोड़ हो सकता है।

एक डेसॉल्ट राफले बी फ्रांसीसी वायुसेना 2009 में

पृष्ठभूमि

[संपादित करें]

31 जनवरी 2012 को, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि डसॉल्ट राफेल भारतीय वायु सेना को 126 एयरक्राफ्ट की आपूर्ति करेगा इसके अलावा ६३ अतिरिक्त विमानों खरीदने का विकल्प देगा। पूर्व की कांग्रेस सरकार में पहले 18 विमानों को डसॉल्ट राफेल द्वारा आपूर्ति की जानी थी और शेष 108 विमानों का निर्माण हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया जाना था। डेसॉल्ट से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ। डसॉल्ट राफेल को सबसे कम बोली लगाने वाले के आधार पे में चुना गया था। परन्तु सौदों को लेकर कांग्रेस सरकार किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाई। मोदी सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फ़्रांस की यात्रा के दौरान इस डील को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशो ने इस पर अपनी सहमति दे दी।

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से से 14 नवंबर 2018 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 14 नवंबर 2018. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  2. "संग्रहीत प्रति". 14 नवंबर 2018 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 14 नवंबर 2018. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  3. "रफ़ाल सौदा मोदी सरकार का सबसे बड़ा सिरदर्द?". बीबीसी हिंदी. अभिगमन तिथि: 2024-04-29.