राधावल्लभ संप्रदाय

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(राधावल्लभ सम्प्रदाय से अनुप्रेषित)
Harivansh Mahaprabhu ji 010

राधावल्लभ संप्रदाय, (Radha Vallabha Sampradaya) हितहरिवंश महाप्रभु द्वारा प्रवर्तित एक प्रमुख वैष्णव सम्प्रदाय है। जो 1535 में आचार्य श्री हित हरिवंश महाप्रभु (1502-1552) ने वृन्दावन में शुरू किया था। लघुभाग साढ़े 400 साल पूर्व श्री वृन्दावन में जिन युगल उपासक वैष्णव सम्प्रदाय का उदय हुआ था उनमें श्री चैतन्य सम्प्रदाय में श्रीकृष्ण की प्रधानता और श्री राधावल्लभ सम्प्रदाय में श्रीराधा की उपासना की प्रधानता थी। राधावल्लभ संप्रदाय अनंत श्री विभूषित, वंशी अवतार, प्रेम स्वरूप श्री हितहरिवंश महाप्रभु द्वारा शुरू किया गया सबसे अद्वितीय और प्रमुख वैष्णव संप्रदाय में से एक है। श्री राधावल्लभ सम्प्रदाय में रस की उपासना है। रसोपासना में श्री श्यामाश्याम की विभिन्न लीलाओं जैसे निकुंज लीला, वन विहार लीला और रास लीला का अनोखे और अद्वितीय तरीके से वर्णन किया गया है। श्री राधावल्लभ सम्प्रदाय में श्री हितहरिवंश नाम का अत्यधिक महत्व है। इस सम्प्रदाय के इष्ट मंत्र दाता गुरु, आचार्य अर्थात सर्वस्व ही श्रीराधा है। स्वयं श्री हितहरिवंश महाप्रभु ने में श्रीराधा नाम जपने की आज्ञा दी है।

Meaning-of-Harivansh-Name

श्री हित हरिवंश महाप्रभु श्री कृष्ण के शाश्वत वंशी के अवतार हैं और प्रियाप्रियतम की सहचरी या सखी भाव प्रदान करने और बरसाने के लिए अवतरित हुए हैं। हित "शुद्ध प्रेम" का प्रतीक है जो राधावल्लभ संप्रदाय की भक्ति सेवा की आधारशिला है। हरिवंश का अर्थ और सरल किया गया है:

  • H (ह) – हरि का प्रतीक है
  • R (र) - राधा रानी का प्रतीक है
  • V (व) - वृन्दावन और को दर्शाता है
  • S (श) - का मतलब सहचरी है


प्रमुख कवि[संपादित करें]