राजीव गाँधी ह्त्या

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अंतिम संस्कार[संपादित करें]

राजीव गाँधि की ह्त्या के बाद उनका विकृत् शरीर ह्वाई जहास के द्वारा दिल्ली के पालम ह्वाई अडडे पर लाया गया | वहा से उनका शरीर शव-परीक्षा और संगठन के लिये आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईन्स पहुंचाया गया | उनका राजकिय क्रिया कर्म २४ मई १९९१ को हुया था| उसका प्रसारन राष्ट्रीय और अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर हुआ|इस मे शामिल होने देश विदेश के कई नेता आये | उनका दाह-संस्कार यमुना नदी के तट पर हुया, ठीक उसी स्थान पर जहाँ उनकी माता, भाई, दादा और महात्मा गाँधी का दाह-संस्कार हुआ था | आज उस स्थान को वीर भूमि के नाम से पह्चाना जाता है ||

जांच[संपादित करें]

राजीव गाँधि की ह्त्या होने के बाद, चन्द्रशेखर के सरकार ने तुरंत यह मामला २४ मई १९९१ को सीआईडी के ह्वाले कर दिया| इस एजेंसी ने राजीव गाँधि की ह्त्या का कारण जानने के लिये डॉ कारतिकेयन 

के नियंत्रण से एक विशेष जांच कि स्थप्ना कि| एसआईटी जाँच-पड़ताल के अनुसर इस मे लिट्टे का हाथ था, ईस आरोप को उच्चतम न्यायालय ने भी पक्का किया|| आगे जाचँ लगाने पर पता चला की इसमे डीएमके दल का भी हाथ था| रिपोर्ट के अनुसार डीएमके दल ने लिट्टे को शरणस्थान दिया था और इस से उनका काम बहुत आसान हो गया|

क्मीश्न रिपोर्ट के अनुसार सन १९८९ को आम राजनीतिक झुकाव का स्थायीकरण होने पर भारत मे तमिल लोगो के आपराधिक और राष्ट्र विरोधी कर्मो को रोक ने के बजाय उन्हे प्रोत्साह्न किया गया | ईस रिपोर्ट से यह भी ज्ञान पडता है की जाफ्ना मे लिट्टे के नेताओं के कब्जे मे कुछ सांकेतिक शब्दों में बदले हुए संदेश थे जिनका विनिमय डीएमके दल के केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच हुआ था | ईस संदेश को बाद मे संकेत-वाचन करने पर जान पडा की यह राजीव गाँधि की ह्त्या से संबंधित थे | नोवेम्बेर १९९८ मे रिपोर्ट के लिक होने पर कॉँग्रेस पार्टी ने प्रधान मंत्री आईके गुजराल का संयुक्त मोर्चा सरकार गिरा दिया | कॉँग्रेस पार्टी ने डीएमके दल पर राजीव गाँधि की ह्त्या का आरोप लगाया और इस संयुक्त मोर्चा सरकार से निकाल देने की माँग कि | एसआईटी जाँच रिपोर्ट, न्यायमूर्ति वर्मा रिपोर्ट और जैनकमीशन रिपोर्ट छान - बिन करने के बाद यह समाप्त किया जा सकता है कि राजीव गाँधि की ह्त्या एक शनिक मामला नही था बलकी यह बडी समझदारी से आयोजित किया गया था और इस मे शामिल होने वाले लिट्टे से बढ़कर दुसरे स्रोत थे |

अपराधी[संपादित करें]

राजीव गाँधि की ह्त्या लिट्टे आत्मघाती हमलावर Thenmozhi राजरत्नम भी धनु के रूप में जाना जाता है। बाद में, आत्मघाती हमलावर का असली नाम गायत्री के रूप में जाना जाने लगा |

उच्चतम न्यायालय का फैसला[संपादित करें]

भारत उच्चतम न्यायालय के फैसले, न्यायाधी थॉमस द्वारा, ह्त्या का कारण था लिट्टे प्रमुख का राजीव गाँधि के खिलाफ व्यक्तिगत दुश्मनी | इस के अतिरिक्त राजीव गाँधि के प्रशासन
से अन्य तमिल उग्रवादी संगठनों जैसे PLOTE नाराज थे, उन्होने सन १९८८ मे मालदीव के सैन्य तख्तापलट पीछे कर लिया |