राजस्थान के पशु मेले
भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है।
प्रमुख पशु मेले
[संपादित करें]श्री रामदेव पशु मेला-नागौर
[संपादित करें]इस मेले के बारे में प्रारंभ में प्रचलित मान्यता है [1] कि मानसर गांव के समुद्र भू-भाग पर रामदेव जी की मूर्ति स्वतः ही अद्भुत हुई। श्रद्धालुओं ने यहां एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया है और यहां मेले में आने वाला पशुपालक इस मंदिर में जाकर अपने पशुओं के स्वास्थ्य की मनौती मांग ही खरीद [2] फरोख्त किया करते हैं। आजादी के बाद से मेले की लोकप्रियता को देखकर राज्य के पशु पालन विभाग [3] ने इसे राज्यस्तरीय पशु मेलों में शामिल किया तथा फरवरी १९५८ से पशुपालन विभाग इस मेले का संचालन कर रहा है। यह पशु मेला प्रतिवर्ष नागौर शहर से ५ किलोमीटर दूर मानसर गांव में माघ शुक्ल १ से माघ शुक्ल १५ तक लगता है। मारवाड़ के लोकप्रिय नरेश स्वर्गीय श्री उम्मेद सिंह जी को इस मेले का प्रणेता माना जाता है। इस मेले में नागौरी नस्ल के बैलों की बड़ी मात्रा में बिक्री होती है। [4][5][6]
श्री मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा- बालोतरा
[संपादित करें]यह पशु मेला वीर योद्धा रावल मल्लिनाथ की स्मृति में आयोजित होता है। विक्रम संवत १४३१ में मलीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के शुभ अवसर पर एक विशाल समारोह का आयोजन किया [7] गया था जिसमें दूर-दूर से हजारों लोग शामिल हुए। आयोजन की समाप्ति पर लौटने के पहले इन लोगों ने अपनी सवारी के लिए ऊंट, घोड़ा और रथों के सुडौल बैलों का आपस में आदान-प्रदान किया तथा यहीं से इस मेले का उद्भव हुआ। इस मेले का संचालन पशुपालन विभाग ने सन १९५८ में संभाला। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र बुदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक बाड़मेर जिले के पचपदरा तहसील के तिलवाड़ा गांव में लूनी नदी पर लगता है। इस पशु मेले में सांचोर की नस्ल के बैलों के अलावा बड़ी संख्या में मालानी नस्ल के घोड़े और ऊंठ की भी बिक्री होती है।[8]
श्री बलदेव पशु मेला, मेड़ता सिटी-नागौर
[संपादित करें]यह पशु मेला मेड़ता सिटी [9] में चैत्र सुदी १ से चैत्र सुदी १५ तक आयोजित होता है। [10] इस मेले में अधिकांशतः नागौरी बैलों की बिक्री होती है। [11] यह पशु मेला प्रसिद्ध किसान नेता श्री बलदेव राम जी मिर्धा की स्मृति में अप्रैल १९४७ से राज्य का पशुपालन विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है।[12]
श्री वीर तेजाजी पशु मेला परबतसर डीडवाना -कुचामन
[संपादित करें]राजस्थान में यह पशु मेला लोक देवता वीर तेजाजी की याद में भाद्र शुक्ल दशमी (तेजा दशमी) को भरता है। पशुपालन विभाग ने इस मेले की बागडोर [13] सन १९४७ में अपने हाथ में ली थी। यह पशु मेला आमदनी के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है। विक्रम संवत १७९१ में जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह ने यहां तेजाजी का देवल बनाकर एवं उनकी मूर्ति स्थापित कर इस पशु मेले की शुरुआत की थी। यह मेला नागौरी बैलों एवं[14] बीकानेरी ऊंटों के क्रय -विक्रय के लिए प्रसिद्ध है।
महाशिवरात्रि पशु मेला करौली
[संपादित करें]करौली जिले में भरने वाला यह पशु मेला राज्य स्तरीय पशु मेलों में से एक है। इस पशु मेले का आयोजन प्रतिवर्ष [15] फाल्गुन कृष्णा में किया जाता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर आयोजित होने से इस पशु मेले का नाम शिवरात्रि पशु मेला पड़ गया है। इस मेले के आयोजन का प्रारंभ रियासत काल में हुआ था। मेले में हरियाणवी नस्ल के पशुओं की बिक्री बहुत होती है। राजस्थान के [16] अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के व्यापारी भी इस मेले में आते हैं। पशु मेला समाप्त हो जाने के करीब १ सप्ताह बाद इसी स्थल पर माल मेला भरता है जिसमें करौली कस्बे के आस-पास के व्यापारी वर्ग अपनी दुकानें लगाते हैं और ग्राम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों द्वारा इस मेले में आवश्यक वस्तुओं को खरीदा जाता है और चुना जाता है कि इस मेले में रियासत के समय जवाहरात की दुकानें भी लगाई जाती थीं।[17]
गोमती सागर पशु मेला-झालावाड़
[संपादित करें]झालावाड़ जिले के [18] झालरापाटन कस्बे में यह पशु मेला प्रतिवर्ष वैशाख सुदी तेरस से ज्येष्ठ बुदी पंचम तल गोमती सागर की [19] पवित्रता पर बढ़ता है यह पशु मेला हाड़ौती अंचल का सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध मेला है। पशुपालन विभाग मई १९५९ से इस पशु मेले को आयोजित कर रहा है।[20]kgkkyyklhg
श्री गोगामेड़ी पशु मेला-हनुमानगढ़
[संपादित करें]गोगामेड़ी राजस्थान के पांच[21] पीरों में से एक वीर तथा लोक देवता गोगा जी का समाधि स्थल है यह वर्तमान में हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में है यहां [22] प्रतिवर्ष श्रावण सुदी पूनम से भादवा सुदी पूनम तक पशु मेले का आयोजन होता है इस मेले के संचालन का काम पशुपालन विभाग द्वारा अगस्त १९५९ से हो रहा है।[23]
श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला-भरतपुर
[संपादित करें]भरतपुर रियासत के [24] स्वर्गीय महाराजा जसवंत सिंह की याद में इस प्रदर्शनी तथा पशु मेले का आयोजन होता है प्रतिवर्ष यह पशु मेला आसोज [25] सुदी पंचम से आसोज सुदी १४ तक लगता है इस मेले में हरियाणा नस्ल के बैलों का कई अभिक्रिया होता है अक्टूबर १९५८ से पशुपालन विभाग पशु मेले को आयोजित कर रहा है।[26]
आय की दृष्टि से सबसे बड़ा पशु मेला है।
श्री चंद्रभागा पशु मेला-झालावाड़
[संपादित करें]झालावाड़ जिले के झालरापाटन कस्बे [27] में यह पशु मेला हर साल कार्तिक सुदी ग्यारस से मिगसर बदी पंचम तक चलता है इस पशु मेले में मालवी नस्ल के बैलों की भारी तादाद में खरीद होती है पशुपालन विभाग द्वारा इस मेले का संचालन नवंबर १९५८ से हो रहा है। [28]
पुष्कर पशु मेला-अजमेर
[संपादित करें]अजमेर से ११ कि॰मी॰ दूर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है।[29] यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं।[30] हजारों हिन्दू लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। भक्तगण एवं पर्यटक श्री रंग जी एवं अन्य मंदिरों के दर्शन कर आत्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।[31]
राज्य प्रशासन भी इस मेले को विशेष महत्त्व देता है। स्थानीय प्रशासन इस मेले की व्यवस्था करता है एवं कला संस्कृति तथा पर्यटन विभाग इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयाजन करते हैं।[32]
इस समय यहां पर पशु-मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें पशुओं से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम भी किए जाते हैं, जिसमें श्रेष्ठ नस्ल के पशुओं को पुरस्कृत किया जाता है। इस पशु मेले का मुख्य आकर्षण होता है।[33]
भारत में किसी पौराणिक स्थल पर आम तौर पर जिस संख्या में पर्यटक आते हैं, पुष्कर में आने वाले पर्यटकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। इनमें बड़ी संख्या विदेशी सैलानियों की है, जिन्हें पुष्कर खास तौर पर पसंद है। हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी [34] बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं। मेला रेत के विशाल [35] मैदान लगाया जाता है। ढेर सारी कतार की कतार दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सर्कस, झूले और न जाने क्या-क्या। ऊंट मेला और रेगिस्तान की नजदीकी है इसलिए ऊंट तो हर तरफ देखने को मिलते ही हैं। लेकिन कालांतर में इसका स्वरूप विशाल पशु मेले का हो गया है। [36]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ स्क्रोल डॉट इन. "In Rajasthan, BJP faces the first serious challenge to its cow politics – from angry farmers". मूल से 17 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अक्तूबर 2017.
- ↑ दैनिक भास्कर. "रामदेव पशु मेला आज से, 600 पशु पहुंचे". अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ पत्रिका. "आखिर देश के हर कौने से नागौर क्यों पहुंचे ?". राजस्थान पत्रिका. मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ पत्रिका. "पशु मेले में साल दर साल घट रहे नागौरी बैल". राजस्थान पत्रिका. मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ ख़ास खबर. "प्रदर्शनी एवं पशु मेला का समापन". मूल से 8 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अक्तूबर 2017.
- ↑ "Nagaur Cattle Fair, Rajasthan's second largest cattle fair - 10 Year Itch" [नागौर के पशु मेले]. मूल से 11 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2017.
- ↑ पत्रिका. "मल्लीनाथ पशु मेले का आगाज". राजस्थान पत्रिका. मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ डिस्कवर इंडिया. "Mallinath Fair held in the Honor of King Rawal Malignant - India". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ राजस्थान ट्यूरिज्म. "Fairs and Festivals of Rajasthan - Rajasthan Tourism". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ कश्मीर मोनिटर. "Killings are killing secularism in India". मूल से 12 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2017.
- ↑ नेशनल हेराल्ड. "Disagreements with RSS ideologue brings Income Tax notice to Harsh Mander's door". मूल से 11 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2017.
- ↑ वॉक थ्रू इंडिया. "7 Biggest and Largest Cattle Fairs of India". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. "'New rules will toughen cattle trade, cause unemployment'". मूल से 29 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ इंडिया टुडे. "Nagaur: Cattle fairs become hubs for illegal animal trafficking". मूल से 8 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ राजस्थान पत्रिका. "खो ना जाए शिवरात्रि पशु मेले की पहचान". राजस्थान पत्रिका. मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ भास्कर. "महाशिवरात्रि मेला 10 से, अब याद आए अतिक्रमण". दैनिक भास्कर. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ राजस्थान इंफॉर्मेशन. "राजस्थान प्रदेश के प्रमुख मेले - Rajasthan information". मूल से 21 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ हिन्दुस्तान टाइम्स. "Inter-state cattle transport: Rajasthan 'nodal' officer ignorant about permit norms". मूल से 11 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2017.
- ↑ "राजस्थान के प्रमुख पशु मालवी नस्ल से संबंधित है। मेले". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
|title=
में 24 स्थान पर line feed character (मदद) - ↑ दैनिक भास्कर. "गोमती सागर में लगने वाला पशु मेला निरस्त". भास्कर. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ टाइम्स ऑफ़ इंडिया. "Rajasthan minister caught in tricky 'serpentine' knot". मूल से 22 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ एनडीटीवी. "Gogamedi Fair 2017: The Grand Rajasthani Food, Cattle and ..." मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ यूट्यूब. "Designer Camel With Beautiful Rajasthani Art Hair cutting". अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ Raftaar News. " श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेले के संबंध में हुई बैठक". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
|title=
में 1 स्थान पर zero width space character (मदद) - ↑ ख़ास खबर. "जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेले का उद्घघाटन, सुरक्षा ..." मूल से 25 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ ख़ास खबर. "शाहपुरा के बिशनगढ़ में दो दिवसीय पशु मेला व ..." मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ पत्रिका. "झालरापाटन में चंद्रभागा मेले का आगाज". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ "Activities - Animal Husbandry Rajasthan". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ "मशहूर पुष्कर मेला शुरू, उमड़ पड़ी भीड़". मूल से 25 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितंबर 2017.
- ↑ "Through foreign eyes, Sonepur fares better Visitors say state's cattle mela mirrors real India more than Pushkar fair does". मूल से 25 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितंबर 2017.
- ↑ "Pushkar Camel Fair Rajasthan India". मूल से 11 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2017.
- ↑ Pushkar Cattle Fare. "Pushkar cattle fair". मूल से 11 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 अक्तूबर 2017. पाठ "Rajasthan camel fair" की उपेक्षा की गयी (मदद)
- ↑ द टाइम्स ऑफ़ इंडिया. "Pushkar fair concludes on Tuesday". मूल से 12 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ राजस्थान पत्रिका. "इस साल देखने लायक होगा पुष्कर मेला, हाईटेक सिस्टम से रहेगी यात्रियों पर नजर , पढ़ें और क्या होगा खास". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ द आइलैंड नाओ. "Going Places Near & Far… Day into Night at Rajasthan's Pushkar Camel Fair & Festival of Brahma". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- ↑ "Pushkar Fair in Pushkar 2017". मूल से 26 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017. पाठ "Highlights of Pushkar Fair" की उपेक्षा की गयी (मदद)