रमाप्रसाद चन्द

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रमाप्रसाद चन्द

रमाप्रसाद चन्द
जन्म 15 अगस्त 1873
मौत 28 मई 1942(1942-05-28) (उम्र 68)
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा इतिहासकार एवं पुरातत्वविद्
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

रमाप्रसाद चंद (15 अगस्त 1873 - 28 मई 1942) बंगाल के एक भारतीय मानवविज्ञानी, इतिहासकार और पुरातत्वविद थे। वे दक्षिण एशिया में अपने क्षेत्र में अग्रणी थे। वरेन्द्र अनुसन्धान संग्रहालय उनकी स्थायी विरासत है जिसे उन्होंने राजशाही (वर्तमान बांग्लादेश में स्थित) में स्थापित किया, जो बंगाल के इतिहास पर शोध के लिए एक प्रमुख संस्थान है। सन् 1920- 1921 तक वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान विभाग के प्रथम प्रमुख थे। वह एक पेशेवर पुरातत्वविद् भी थे और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में काम करते थे। चंदा भारतीय मानवविज्ञान संस्थान के संस्थापकों में से एक थे और 1938-1942 के दौरान इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने 1934 में लंदन में आयोजित मानव विज्ञान की पहली अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने प्राचीन भारतीय साहित्य का उपयोग करके भारतीय आबादी के दैहिक चरित्रों (sematic character) पर मूल शोध किया था और भारतीय जातियों पर एच एच रिसली (भारत का पहला जनगणना आयुक्त) के सिद्धान्त को चुनौती दी थी। [1]

प्रकाशन[संपादित करें]

  • गौदरजमाला, राजशाही: वीरेंद्र रिसर्च सोसाइटी (1912)
  • इंडो आर्यन रेस, राजशाही: वरेंद्र रिसर्च सोसाइटी (1916)
  • राजा राममोहन राय के जीवन से संबंधित पत्र और दस्तावेज

संदर्भ[संपादित करें]

  • Chowdhury, Saifuddin (2012). "Chanda, Ramaprasad". प्रकाशित Islam, Sirajul; Jamal, Ahmed A. (संपा॰). Banglapedia: National Encyclopedia of Bangladesh (Second संस्करण). Asiatic Society of Bangladesh.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]