रतौंधी

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== 'रतौंधी' ==

[1]रतौंधी, आंखों की एक बीमारी है। इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता।

रोगी की आँखों की जाँच के दौरान पता चलता है कि आँखों का कॉर्निया (कनीनिका) सूख-सा गया है और आई बॉल (नेत्र गोलक) धुँधला व मटमैला-सा दिखाई देता है। उपतारा (आधरिस) महीन छिद्रों से युक्त दिखता है तथा कॉर्निया के पीछे तिकोनी सी आकृति नजर आती है। आँखों से सफेद रंग का स्त्राव होता है।


रतौंधी का सबसे आम कारण रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, एक विकार है जिसमें रेटिना में रॉड कोशिका धीरे - धीरे उनके प्रकाश के लिए प्रतिक्रिया करने की क्षमता खो देते है। इस आनुवंशिक हालत से पीड़ित मरीजों को प्रगतिशील रतौंधी है और अंत में उनके दिन दृष्टि भी प्रभावित हो सकता है। एक्स - जुड़े जन्मजात स्थिर रतौंधी, जन्म से छड़ या तो सब पर काम नहीं है, या बहुत कम काम करते हैं, लेकिन हालत बदतर नहीं मिलता है। रात का अंधापन का एक अन्य कारण retinol, या विटामिन ए की कमी है, मछली के तेल, लीवर और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है।

"अपवर्तक दृष्टि सुधार सर्जरी" रतौंधी का एक व्यापक कारण है, जो विपरीत संवेदनशीलता समारोह की हानि (सीएसएफ) जो कॉर्निया के प्राकृतिक संरचनात्मक अखंडता में शल्य चिकित्सा के हस्तक्षेप से उत्पन्न प्रकाश स्कैटर intraocular से प्रेरित है।

आधुनिक परिवेश में युवा वर्ग में शारीरिक सौंदर्य आकर्षण को विकसित करने पर अधिक ध्यान देते हैं। ऐसे में वे शरीर के विभिन्न अंगों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते।

ऐसे में नेत्रों को बहुत हानि पहुंचती है और अधिकतर युवक-युवतियां रतौंधी रोग से पीड़ित होते हैं। रतौंधी रोग में रात्रि होने पर रोगी को स्पष्ट दिखाई नहीं देता। यदि इस रोग की शीघ्र चिकित्सा न कराई जाए तो रोगी नेत्रहीन हो सकता है।


उत्पत्तिः अधिक समय तक दूषित, बासी भोजन कर, पौष्टिक व वसायुक्त खाद्य पदार्थों का अभाव होने से नेत्र ज्योति क्षीण होती है और रात्रि के समय रोगी को धुंधला दिखाई देने लगता है।

आधुनिक परिवेश में रात्रि जागरण करने व अधिक समय तक टेलीविजन देखने और कम्प्यूटर पर काम करने से नेत्र ज्योति क्षीण होती है और रात्रि के समय रोगी को धुंधला दिखाई देने लगता है।


लक्षण: रतौंधी होने पर सूरज ढलते ही रोगी को दूर की चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। रात होने पर रोगी को पास की चीजें भी दिखाई देती है। इस रोग की चिकित्सा से अधिक विलम्ब किया जाए तो रोगी को पास की चीजें बिल्कुल दिखाई नहीं देतीं। रोगी तेज रोशनी में ही थोडा़-बहुत देख पाता है।

रोगी बिना चश्में के कुछ नहीं देख पाता। चश्में से भी रोगी को बहुत धुंधला दिखाई देता है।

बल्ब के चारों और रोगी को किरणें फूटती दिखाई देती हैं। धूल-मिट्टी व धुएं के वातावरण से गुजरने पर धुंधलापन अधिक बढ़ जाता है।


रतौंधी का कारण[1] :

  • नेत्रों के भीतरी भाग में स्थित रेटिना दो प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। कुछ कोशिकाएँ छड़ की आकार की और कुछ शंकु के आकार की होती हैं। इन कोशिकाओं में जो रंग कण होते हैं, वे प्रकाश के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  • इन छड़ कोशिकाओं में रोडोप्सीन नामक एक पदार्थ पाए जाते है जो कि एक संयुग्मी प्रोटीन होता है, यह पदार्थ आप्सीन नामक प्रोटीन और रेटीनल नामक अप्रोटीन तत्वों से मिलकर बना होता है।
  • अधिक समय तक प्रकाश रहने पर रोडोप्सीन का विघटन, रंगहीन पदार्थ रेटीनल और आप्सीन के रूप में हो जाता है, लेकिन प्रकाश से अंधेरे में आने पर रोडोप्सीन का तुरंत निर्माण हो जाता है और एक क्षण से भी कम समय में सृष्टि सामान्य हो जाती है।
  • उक्त प्रक्रिया में शामिल रेटीनल विटामिन ए का ही एक प्रकार है अतः विटामिन ए की कमी हो तो उजाले से अँधेरे में आने पर या कम प्रकाश मे रोडोप्सीन का निर्माण नहीं हो पाता और दिखाई नहीं देता। इस स्थिति को रतौंधी कहते हैं।


क्या खांए?

  • प्रतिदिन काली मिर्च का चूर्ण घी या मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर सेवन करने से रतौंधी नष्ट होती है।
  • प्रतिदिन टमाटर खाने व रस पीने से रतौंधी का निवारण होता है।
  • आंवले और मिसरी को बारबर मात्रा में कूट-पीसकर 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।
  • हरे पत्ते वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई आदि की सब्जी बनाकर सेवन करें।
  • अश्वगंध चूर्ण 3 ग्राम, आंवले का रस 10 ग्राम और मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करें।
  • मीठे पके हुए आम खाने से विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होती है। इससे रतौंधी नष्ट होती है।
  • सूर्योदय से पहले किसी पार्क में जाकर नंगे पांव घास पर घूमने से रतौंधी नष्ट होती है।
  • शुद्ध मधु नेत्रों में लगाने से रतौंधी नष्ट होती है।
  • किशोर व नवयुवकों को रतौंधी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें भोजन में गाजर, मूली, खीरा, पालक, मेथी, बथुआ, पपीता, आम, सेब, हरा धनिया, पोदीना व पत्त * गोभी का सेवन कराना चाहिए।

क्या न खाएं?

  • चाइनीज व फास्ट फूड का सेवन न करें।
  • उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन से अधिक हानि पहुंचती है।
  • अधिक उष्ण जल से स्नान न करें।
  • आइसक्रीम, पेस्ट्री, चॉकलेट नेत्रो को हानि पहुंचाते है।
  • अधिक समय तक टेलीविजन न देखा करें। रतौंधी के रोगी को धूल-मिट्टी और वाहनों के धुएं से सुरक्षित रहना चाहिए।
  • रसोईघर में गैंस के धुएं को निष्कासन करने का पूरा प्रबंध रखना चाहिए।
  • खट्टे आम, इमली, अचार का सेवन न करें।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  1. http://www.jiyojindgi.com/night-lindness/[मृत कड़ियाँ]