रखैल

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रखैल महिला को लेकर एक ऐतिहासिक चित्र।

रखैल का अर्थ वह औरत है जिसे एक पुरुष बिना शादी किए पत्नी जैसे संबंध रखे। इसमें विशेष रूप से शारिरिक संबंध शामिल हैं।

लिव-इन सम्बन्ध की महिलाओं को रखैल कहने पर कई लोग आपत्ति करते हैं। 2010 में भारत के उच्चतम न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिलाओं के संबंध टूट जाने के बाद गुज़ारे भत्ते की मांग के मामले में गुरुवार को दिए गए एक फ़ैसले में रखैल शब्द का इस्तेमाल किया था। ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ उस रिश्ते को कहते हैं जिसमें मर्द-औरत विधिवत तौर पर शादी किए बिना ही साथ-साथ रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को पारिभाषित करने की कोशिश की है। इसी संदर्भ में अदालत ने रखैल शब्द का इस्तेमाल किया था[1]

रियासतो में राजा की अविवाहित पत्नी को उपपत्नी, पासवान, पङदायत, दासी कहा जाता था। मारवाड़ रियासत में अक्सर उनके नाम के साथ राय का प्रयोग किया जाता जो उनके रखैल और दासी होने का संकेत था। इन पङदायत/दासी की संतान को चेला, गोटाबरदार, ढीकङिया, वाभा कहा जाता था। मुख्य रूप से रखैल दासी की जाती गुज मेघवाल जैसी शुद्र जाति की स्त्रियां से हुआ करती है । ऐसी दासी स्त्रियां राजा के साथ विवाह के बिना शारीरिक संबध रखती है ऐसी स्त्रियां सिर्फ़ राजा को शारीरिक आनंद और सेवा के लिए होती है । जयपुर मे ऐसी संतान को लालजी कहा जाता था। मारवाड़ में महाराजा तख्त सिंह ने ऐसी संतान को राव राजा की पदवी प्रदान की। इन दासी रखैल के संतानो को थोड़ी जमीन इनायत किये जाते थे ताकि उनका जीवन और राजपरिवार के कुंवरो का जीवन स्तर अलग बना रहे और राजकुमार के राज्यारोहण में कोई बाधा नहीं पैदा करे।

मुख्य रूप से रखैल दासी की जाती मेघवाल,दरजी ,माली जैसी शुद्र जाति से हुआ करती है ।

आज भी उत्तर प्रदेश के कई ब्राह्मणों और ठाकुरों के घरों मैं रखैल के रूप मै की स्त्रियां दासी है ।

सन्दर्भ[संपादित करें]