यूसुफ़ (इस्लाम)
युसुफ (इस्लाम) (अंग्रेज़ी:Joseph in Islam) क़ुरआन में वर्णित अरबी भाषा में नबी पैग़म्बर का नाम है।
इस्लाम धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तक क़िसासुल अंबिया और ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार [1] हजरत यूसुफ़ अलैहि सलाम हज़रत याकूब अलैहि सलाम के बेटे और हजरत इब्राहिम अलैहि सलाम के पड़पोते हैं। उनको यह शरफ़ हासिल है कि वह ख़ुद नबी, उनके वालिद नबी, उनके दादा नबी और परदादा हज़रत इब्राहीम अबुल अंबिया (नबियों के बाप) हैं। कुरआन में इनका जिक्र छब्बीस बार आया है और इनको यह भी फक्र हासिल है कि इनके नाम पर एक सूरः (सूरः यूसुफ़ ) कुरआन में मोजूद है जो सबक और नसीहत का बेनज़ीर जखीरा है, इसीलिए कुरआन मजीद में हज़रत यूसुफ अलैहि सलाम के वाकिए को 'अहसनुल कसस' कहा गया है।[2]
अज़ीज़ मिस्र की पत्नी की तोहमत और नबी युसुफ को भाइयों द्वारा सताने कुएं में डाल देने की कथा क़ुरआन में है।
क़ुरआन में वर्णन
[संपादित करें]- ‘(ऐ बाप!) क्या बात है कि तुमको यूसुफ के बारे में हम पर एतमाद नहीं है, हालांकि हम उसके खैरख्वाह हैं।‘ [यूसुफ 12:11]
- और फुसलाया यूसुफ को उस औरत ने, जिसके घर में वह रहते थे, उसके नफ़्स के मामले में और दरवाजे बन्द कर दिए और कहने लगी, आ मेरे पास आ।’ यूसुफ़ ने कहा, ‘अल्लाह की पनाह।‘ [यूसुफ़ 12:23]
- कहने लगी उस शख्स की सज़ा क्या है जो तेरे अहल के साथ बुराई का इरादा रखता हो, मगर यह कि कैद कर दिया जाए या दर्दनाक अजाब में मुब्तला किया जाए। यूसुफ़ ने कहा, इसी ने मुझको मेरे नफ़्स के बारे में फुसलाया था और फैसला किया औरत के ही घराने के एक बच्चे ने कि अगर यूसुफ़ का पैरहन सामने से चाक है तो औरत सच्ची है और यूसुफ़ झूठा है और अगर पीछे से चाक है तो औरत झूठी है और यूसुफ़ सच्चा है। पस जब उसकी कमीज़ को देखा गया तो पीछे से चाक था, कहा, बेशक ऐ औरत: यह तेरे मक्र व फरेब से है। बेशक तुम्हारा मक्र बहुत बड़ा है। यूसुफ़! तू इस मामले से दरगुजर कर और ऐ औरत! तू अपने गुनाह की माफ़ी मांग, तू बेशक खताकार है।’ [यूसूफ 12:25-29]
- और (जब इस मामले का चर्चा फैला) तो शहर की कुछ औरतें कहने लगीं, देखो अजीज की बीवी अपने गुलाम पर डोरे डालने लगी उसे रिझा ले, वह उसकी चाहत में दिल हार गई हमारे ख्याल में तो बदचलनी में पड़ गई। पस जब अजीज़ की बीवी ने इन औरतों की बातों को सुना, तो उनको बुलावा भेजा और उनके लिए मस्नदें तैयार की और (दस्तूर के मुताबिक) हर एक को एक-एक छुरी पेश कर दी, फिर यूसुफ़ से कहा, सबके सामने निकल आओ। जब यूसुफ़ को इन औरतों ने देखा तो बड़ाई की कायल हो गईं, उन्होंने अपने हाथ काट लिए और (बे-अलिया पुकार उठी, यह तो इंसान नहीं, ज़रूर एक फ़रिश्ता है, बड़े रुतबेवाला फ़रिश्ता। (अज़ीज की बीवी) बोली : तुमने देखा, यह है वह आदमी जिस के बारे में तुमने मुझे ताने दिए।” [यूसुफ़ 12:30-38]
इस्लाम के पैगम्बर कुरान अनुसार | |||||||||||||
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आदम | इदरीस | नुह | हुद | सालेह | इब्राहीम | लूत | इस्माइल | इसहाक | याकूब | यूसुफ़ | अय्यूब | ||
آدم | إدريس | نوح | هود | صالح | إبراهيم | لوط | إسماعيل | إسحاق | يعقوب | يوسف | أيوب | ||
आदम (बाइबल) | इनोच | नोअह | एबर | शेलह | अब्राहम | लॉट | इश्माएल | आइजै़क | जैकब | जोसफ | जॉब | ||
शोएब | मूसा | हारुन | जुल-किफ्ल | दाऊद | सुलेमान | इलियास | अल-यासा | यूनुस | ज़कारिया | यहया | ईसा | मुहम्मद | |
شُعيب | موسى | هارون | ذو الكفل | داود | سليمان | إلياس | إليسع | يونس | زكريا | يحيى | عيسى | مُحمد | |
जेथ्रो | मोजे़ज़ | आरोन | एजी़कल | डैविड | सोलोमन | एलीजाह | एलीशाह | जोनाह | जे़करिया | जॉन | ईशु मसीह | पैराच्लीट |
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ ""हज़रत यूसुफ़"अलैहिस्सलाम क़ससुल अंबिया-पृष्ठ 114". https://archive.org/.
|website=
में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ हज़रत यूसुफ़ अलैहि सलाम https://ummat-e-nabi.com/hi/yusuf-alaihis-salam/[मृत कड़ियाँ]
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- [https://www.australianislamiclibrary.org/prophets.html[मृत कड़ियाँ] किससुल अंबिया - (उर्दू / अरबी / अंग्रेजी / बंगला / पश्तो) नबियों / पैग़म्बरों से सम्बंधित पुस्तकें