युगपत समीकरण
गणित के सन्दर्भ में एक से अधिक चरों (variables or unknown) से युक्त एक से अधिक समीकरणों के समूह को युगपत समीकरण (simultaneous equations) कहते हैं। 'युगपत' का अर्थ है - 'एक साथ'।
दिये गये समीकरणों पर गणितीय संक्रियायें करके उनमें आने वाले सभी चरों का ऐसा मान निकालते हैं जो सभी समीकरणों को संतुष्ट करें; इन चरों का मान प्राप्त करना ही युगपत समीकरण का हल कहलाता है।
उदाहरण
[संपादित करें]निम्नलिखित दो समीकरण एक युगपत समीकरण को निरूपित करते हैं। इसमे x और y दो चर हैं। इस उदाहरण में दिये हुए दोनो समीकरण रेखीय बीजीय समीकरण हैं। किन्तु युगपत समीकरणों के समूह में कुछ या सभी समीकरण अरेखिइय या अबीजीय (जैसे त्रिकोणमित्तिय) हो सकते हैं।
समीकरणों के इस निकाय (system of equations) का हल निम्नलिखित है:
इसी प्रकार, निम्नलिखित समीकरण निकाय का हल है - x = 100, y = 0
युगपत समीकरणों का महत्व
[संपादित करें]विज्ञान, तकनीकी एवं अन्य क्षेत्रों में किसी समस्या का विश्लेषण करते समय या किसी डिजाइन के कार्यान्वयन में अक्सर युगपत समीकरणों का निकाय हल करना पडता है। इसके अलावा विभिन्न गणितीय समस्याओं का हल निकालते समय भी अन्त में युगपत समीकरण प्राप्त हो सकता है।
युगपत समीकरणों का हल
[संपादित करें]युगपत समीकरणों के हल के लिये प्राय: निम्नलिखित विधियाँ उपयोग में लायी जाती हैं:
- प्रतिस्थापन विधि (substitution)
- ग्राफीय विधि (समीकरणों का ग्राफ खींचकर)
- विलोपन विधि (elimination)
- मैट्रिक्स विधि
- आंकिक विधि (न्युमेरिकल मेथड)
प्रतिस्थापन विधि
[संपादित करें]इस विधि में दिये गये समीकरणों के निकाय में से कोई एक समीकरण लेते हैं और उसको इस रूप में लिखते हैं कि कोई अज्ञात राशि अन्य अज्ञात राशियों के फलन के रूप में अभिव्यक्त हो जाय। जैसे, यदि मूल समीकरण है तो इसे ) के रूप में लिखेंगे। y का यह मान शेष सभी समीकरणों में रख देंगे। इस प्रकार हमारे पास पहले की अपेक्षा एक कम समीकरण बचा और अज्ञात राशि भी पहले की अपेक्षा एक कम हो गयी। यही क्रम तब तक चलाते हैं जब तक हमें केवल एक समीकरण न मिल जाय। इससे उसमें निहित अज्ञात राशि का मान निकालते हैं और उल्टे क्रम में (back substitution) प्रतिस्थापन करते हुए अन्य अज्ञात राशियों का मान ज्ञात कर लिया जाता है। नीचे के उदाहरण से यह स्पष्ट हो जायेगा-
उदाहरण:
इनमें सबसे पहले को हटाने की कोशिश करते हैं-
अब दूसरे समीकरण से x का मान y के फलन के रूप में व्यक्त करते हुए:
थोड़ा सरल करने पर y का मान निकल जाता है:
अब उल्टे क्रम में पहले x और फिर z का मान निकालते हैं-
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