याजूज माजूज
इस लेख में विकिपीडिया के गुणवत्ता मापदंडों पर खरे उतरने के लिए सफ़ाई की आवश्यकता है। इसमें मुख्य समस्या है कि: ज्ञानकोशीय शैली में लिखने की आवश्यकता है।। कृपया इस लेख को सुधारने में यदि आप सहकार्य कर सकते है तो अवश्य करें। इसके संवाद पृष्ठ पर कुछ सलाह मिल सकती है। (अगस्त 2017) |
याजूज और माजूज (/ ɡɒɡ /; / meɪɡɒɡ /; हिब्रू: ग्रिप्जग्रिग गोग यू-मागोग) हिब्रू बाइबिल के अनुसार याजूज माजूज किसी व्यक्तियों, लोगों या भूमि का नाम होसकता है। यहेजकेल की पुस्तक के अनुसार परमेश्वर के लोगों का दुश्मन और जेनेसिस के अनुसार नूह के पुत्र याप्थे से निकली संतान है।
याजूज माजूज का जिक्र इस्लाम में भी है। इस्लाम के अनुयायियों के अनुसार, याजूज माजूज की एक पूरी कौम है। कई जानकारों के मुताबिक यह कौम हजरत नूह अलैहिस्सलाम और आप की औलाद में से है । हजरत नूह अलैहिस्सलाम के तीन बेटे थे , जिनमें से एक का नाम याफिश था , याफिश के 12 बेटे थे और उनमें से दो का नाम Yajooj Aur Majooj था । इन्हीं से इनकी नस्ले आगे चली।
अल्लाह के नबी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनके बारे में कहा, कि उनके कद छोटे होंगे और चेहरे चौड़े चौड़े होंगे, और आंखें छोटी सी होंगी।"[1]
इस्लाम में याजूज माजूज
[संपादित करें]मुसलमानों का यह मानना है कि क़ियामते सुग़रा यानी ज़हूरे आले मुहम्मद और क़ियामते कुबरा के दरमियान दज्जाल के बाद याजूज और माजूज का ख़रूज होगा। यह सद्दे सिकन्दरी से निकल कर सारे आलम में फ़ैल जायेंगे और दुनिया के अमनो अमान को तबाह व बरबाद कर देने की पूरी कोशिश करेंगे।
याजूज व माजूज हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बेटे याफ़िस की औलाद से हैं। यह दोनों चार सौ क़बीलों और उम्मतों के सरदार हैं। उनकी कसरत का कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जासकता है। मख़लूक़ात में फ़रिश्तों के बाद उन्हें कसरत दी गई है। उनमें कोई भी ऐसा नहीं है जिसके एक हज़ार औलाद न हों। यानी वह उस वक़्त तक नहीं मरते जब तक एक हज़ार औलाद पैदा न करलें। यह लोग तीन क़िस्म के हैं। एक वह जो ताड़ से ज़्यादा लम्बे हैं। दूसरे वह जिनकी लम्बाई व चौड़ाई बराबर है यानी उनकी मिसाल हाथी से दी जा सकती है। तीसरे वह जो अपना एक कान बिछाते व दूसरा ओढ़ते हैं। उनके सामने लोहा, पत्थर और पहाड़ तो कोई चीज़ ही नहीं है। यह हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के ज़माने में दुनिया के आख़िर में उस जगह पैदा हुए थे जहाँ सबसे पहले सूरज निकला था। ज़माना -ए- फ़तरत से पहले यह लोग अपनी जगह से निकलते थे और अपने क़रीब की सारी दुनिया को खा पी जाते थे। यानी हाथी, घोड़ा, ऊँट इंसान, जानवर, खेती बाड़ी जो भी सामने आजाता था सबको हज़म कर जाते थे। वहाँ के लोग उनसे बहुत तंग थे। ज़मान – ए- फ़तरत में हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के बाद जब ज़ुल क़रनैन उस जगह पहुँचे और उन्हें वहाँ का वाक़िया मालूम हुआ और वहाँ की मख़लूक़ ने उनसे अर्ज़ किया कि हमें इस मुसीबत, याजूज माजूज से बचाईये तो उन्होंने दो पहाड़ों के उस दरमियानी रास्ते को, जिससे वह आते जाते थे, अल्लाह के हुक्म से लोहे की दीवार से बंद कर दिया था। यह दीवार 200 गज़ ऊँची और 50 या 60 गज़ चौड़ी है। इसी दीवार को सद्दे सिकन्दरी कहते हैं। क्योँकि ज़ुल क़रनैन का असली नाम सिकन्दर था। सद्दे सिकन्दरी के बन जाने के बाद उनकी ख़ुराक साँप क़रार दी गई, जो आसमान से बरसते हैं। यह क़ौम इमाम अलैहिस्सलाम के ज़हूर तक वहीं पर बंद रहेगी। उनका असूल व तरीक़ा यह है कि वह लोग पूरी रात सद्दे सिकन्दरी को चाट कर काटते हैं। जब सुबह होती है और उनके ज़िस्मों को धूप लगती है तो हट जाते हैं। फिर दूसरी रात कटी हुई दीवार भी पुर हो जाती है और वह फिर उसे काटने में लग जाते हैं। यह लोग इमाम अलैहिस्सलाम के ज़माने में ख़ुरूज करेंगे दीवार कट जायेगी और यह निकल पड़ेंगे। उस वक़्त हालत यह होगी कि यह सब लोग पूरी दुनिया में फैल जायेंगे और निज़ाम को दरहम बरहम करना शुरू कर देंगे। लाख़ों लोग मारे जायेंगे और दुनिया की खाने पीने की कोई चीज़ ऐसी बाक़ी न रहेगी जिस पर यह तसर्रुफ़ न करलें। यह लोग बला के जंग जू होंगे और दुनिया को मार कर खा जायेंगे। यह लोग आसमान पर तीर फ़ेंक कर आसमानी मख़लूक़ को मारने का होंसला करेंगे। जब उधर से अल्लाह के हुक्म से खूँन लगा तीर वापस आयेगा तो यह बहुत खुश होंगे और आपस में कहेंगे कि अब हमारा इक़्तेदार ज़मीन से बलंद हो कर आसमान तक पहुंच गया है। इसी दौरान हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की बरकत और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की दुआ से अल्लाह एक बीमारी भेजेगा जिसको अरबी में नग़फ़ कहते हैं। यह बीमारी नाक से शुरू हो कर ताऊन की तरह एक ही रात में उन सबका काम तमाम कर देगी। उनके मरने के बाद उनके मुरदा जिस्मों को खाने के लिए उनक़ा नामी परिन्दा पैदा होगा जो ज़मीन से उनकी ग़ंदगी को साफ़ कर देगा।[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Yajooj Aur Majooj Ka Waqia | याजूज माजूज का किस्सा हिन्दी में". Aazad Hindi News, Sports, India, Money, World. 2023-11-17. अभिगमन तिथि 2023-11-20.
- ↑ तफ़सीरे साफ़ी सफ़ा 278 व मिशकात सफ़ा 366 सही मुसलिम व सही तिमीज़ी व इरशाद उत तालेबीन सफ़ा 398 व ग़ायत उल मक़सूद जिल्द न.2 सफ़डा 765 व मजमा उल बहरैन सफ़ा 466 व क़ियामत नामा पन्ना 8