यशवंतराव होलकर द्वितीय

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महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय जन्म: 6 September 1908, इन्दौर मृत्यु : 5 December 1961, मुम्बई

ढोल ग्यारस तिथि अनुसार इंदौर शहर के आखिरी महाराजा आधुनिक इंदौर के निर्माता महाराधिराज राज राजेश्वर श्रीमंत यशवंत राव होलकर जी का जन्म हुआ था

महारानी चन्द्रावति माँ साहेब होलकर व महाराजा तुकोजिराव होलकर तृतीय को 6 सितंबर 1908 को ढोलग्यारस पर प्राप्त होने वाला पुत्ररत्न होलकर राज्य का अंतिम महाराजा होगा यह कोई सोच भी नहीं सकता था।इनका जन्म लालकोठी में हुआ एवं नामकरण किया गया यशवंतराव। इसके बाद लालकोठी का नाम यशवंत निवास कोठी पड गया। इनका बालपन लालबाग पैलेस में गुजरा। शिक्षा विदेश में होने के बावजूद जीवनशैली में भारतीय संस्कार ही भारी

विवाह- कोल्हापुर के पास कागल स्टेट के राजे संजेराव घाटगे की राजकन्या संयोगिता राजे के साथ 9 फरवरी 1924 को वसंत पंचमी के दिन राजवाडे में शाही ठाठबाट के साथ संपन्न हुआ।

राजतिलक- यशवंत के पिता महाराजा तुकोजिराव होलकर के प्रति जनता का अटुट स्नेह अंग्रेजों को नागवार गुजरा। बोवला कांड में महाराजा को ही दोषी ठहराकर अंग्रेजी हुकूमत ने 26 फरवरी 1926 को कोट मे हाजरी दो या गद्दी छोडो ऐसा फरमान जारी कर दिया। महाराजा ने अपने युवराज के लिए गद्दी छोडना उचित समझा। युवराज यशवंतराव भारी मन से इस घटना को स्वीकार करते हुए मात्र 17 वर्ष की आयु मे गदनशील हुए और कहलाए महाराधिराज राज राजेश्वर सवाई श्रीमंत यशवंतराव होलकर द्वितीय। इसके बाद महाराज का निवास माणिकबाग पैलेस रहा।

प्रमुख कार्य- महाराजा यशवंतराव ने 3 फरवरी 1935 को श्री क्षत्रिय धनगर सेवा संघ की स्थापना के बाद जून 1939 मे समाज भवन के लिए प्रिंस यशवंत रोड परदो भूखंड व आर्थिक सहायता प्रदान की जहां शिवाजी भवन बना हुआ है। नगर विकास में महाराजा की अधिक रुचि थी।इन्दौर को वायुसेना से जोड़ने के लिए उन्होंने बिजासन टेकरी के निकट तात्काल योजना स्वीकृत कराई। 1935 में हवाई अड्डे का निर्माण पूरा हुआ। इन्दौर की बढ़ती जनसंख्या को दृष्टिगत रखते हुए भविष्य में होने वाले जलसंकट से निजात पाने के लिए महाराजा ने देपालपुर रोड पर गंभीर नदी पर 1939 मे बड़ा जलाशय बनाया,जो यशवंत सागर नाम से जाना जाता है। 1939 मे द्वितीय विश्वयुद्ध में महाराजा यशवंतराव ने तानाशाह हिटलर से विरुद्ध अपनी आर्थिक एवं सेना सहायता भेजी। साथ ही 1943 मे अपने सैनिकों का हालचाल पुछने स्वयं ही जा पहुंचे। अपने सैनिकों के प्रति स्रेहभाव की संपूर्ण विश्व में उनकी सहारना की गई।

खेल, कला, व्यापार व अन्य क्षेत्रों में महाराजा का काफी योगदान रहा। उनके द्वारा स्थापित होलकर क्रिकेट टीम की अंतर्राष्ट्रीय जगत मे बहुत ख्याति थी। 1935 में महात्मा गांधी के इन्दौर आगमन पर महाराजा साहेब ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन को आर्थिक सहायता प्रदान की थी। 16 जून 1948 को होलकर राज्य का भारतीय संघ में विलय हो गया। महाराजा यशवंतराव द्वितीय पहले महाराजा थे जिन्होंने देश के प्रति अपने राज्य का विलय बिना किसी शर्त पर मंजूर कर लिया । सत्ता समाप्त होने के बावजूद महाराजा ने रेसीडेन्सी क्षेत्र में गरीबों के लिए नि:शुल्क सात मंजिला प्रदेश का सबसे बड़ा चिकित्सालय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (M.Y.H) बनवाया। उस समय यह एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल था।