मोहम्मद अब्दुल ग़फ़्फ़ार

मोहम्मद अब्दुल ग़फ़्फ़ार (1910 –1966), जो अब्दुल ग़फ़्फ़ार के नाम से भी जाने जाते हैं, अरकान, बर्मा (हाल में राखीन राज्य, म्यान्मार) से एक राजनीतिज्ञ थे। 1947 में वे बुथिदाउंग से ब्रिटिश बर्मा की लेजिस्लेटिव असम्ब्ली के सदस्य चुने गए। 1948 में, बर्मा की आज़ादी के बाद, बर्मा के राष्ट्रपति साओ श्वे थाइक ने 1949 में ग़फ़्फ़ार को अराकान की जाँच कमिशन के सात सदस्यों में से एक नियुक्त किया। 1952 में वे सितवे से राष्ट्रीयता के चैंबर के सदस्य चुने गए। 1956 वे माउंगडाव से सांसद चुने गए। वे प्रधानमंत्री उ नू के स्वास्थ्य मंत्रालय के संसदीय सचिव भी थे।
ग़फ़्फ़ार अरकान की भारतीय बिरादरी के सदस्य थे। बर्मा के अरकान राज्य में भारतीयों की सबसे बड़ी जनसंख्या थी।[1] 1949 में उन्होंने क्षेत्रीय स्वायत्तता जाँच कमिशन के सामने ज्ञापन पेश किया था जिसमें अरकान में बसे भारतीयों के वर्णन रोहिंग्या के रूप में किया गया था, यह नाम "रोहांग" या "रोहन", इस क्षेत्र के स्थानीय भारतीय नामों से व्युत्पन्न हुआ।[2][3]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Robert H. Taylor (1987). The State in Burma. C. Hurst & Co. Publishers. pp. 126–127. ISBN 978-1-85065-028-7.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से से 11 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर 2017.
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(help) - ↑ "Who are the Rohingya?". Radio Free Asia. 28 अप्रैल 2019 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 14 अक्तूबर 2017.
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बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- एक्सक्लूसिव: म्यांमार के मशहूर नेता एम्ए ग़फ़्फ़ार ने बताया था रोहिंग्या मुद्दे का समाधान, जानिये क्या कहा था..[मृत कड़ियाँ]
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