मोहन भागवत

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मोहन भागवत
मोहनराव मधुकरराव भागवत

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
मार्च 2009
पूर्वा धिकारी के एस सुदर्शन

जन्म 11 सितम्बर 1950 (1950-09-11) (आयु 73)
चन्द्रपुर, मुम्बई, महाराष्ट्र
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय सरसंघचालक (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख)
धर्म हिन्दु

मोहन मधुकर भागवत (जन्म: 11 सितम्बर 1950, नोखा(राजस्थाऩ) एक पशु चिकित्सक और 2009 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक हैं।[1] उन्हें एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है। के एस सुदर्शन ने अपनी सेवानिवृत्ति पर उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना था।[2]

प्रारम्भिक जीवन[संपादित करें]

मोहनराव मधुकरराव भागवत का जन्म महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार में 11 सितम्बर 1950 को हुआ था। वे संघ कार्यकर्ताओं के परिवार से हैं।[2] उनके पिता मधुकरराव भागवत चन्द्रपुर क्षेत्र के प्रमुख थे जिन्होंने गुजरात के प्रान्त प्रचारक के रूप में कार्य किया था।[2] मधुकरराव ने ही लाल कृष्ण आडवाणी का संघ से परिचय कराया था। उनके एक भाई संघ की चन्द्रपुर नगर इकाई के प्रमुख हैं। मोहन भागवत कुल तीन भाई और एक बहन चारो में सबसे बड़े हैं।

मोहन भागवत ने चन्द्रपुर के लोकमान्य तिलक विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा और जनता कॉलेज चन्द्रपुर से बीएससी प्रथम वर्ष की शिक्षा पूर्ण की। उन्होंने पंजाबराव कृषि विद्यापीठ, अकोला से पशु चिकित्सा और पशुपालन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1975 के अन्त में, जब देश तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी द्वारा लगाए गए आपातकाल से जूझ रहा था, उसी समय वे पशु चिकित्सा में अपना स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अधूरा छोड़कर संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गये।[2]

संघ से सम्बन्ध[संपादित करें]

मोहन भागवत - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

आपातकाल के दौरान भूमिगत रूप से कार्य करने के बाद 1977 में भागवत महाराष्ट्र में अकोला के प्रचारक बने और संगठन में आगे बढ़ते हुए नागपुर और विदर्भ क्षेत्र के प्रचारक भी रहे।[2]

1991 में वे संघ के स्वयंसेवकों के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने और उन्होंने 1999 तक इस दायित्व का निर्वहन किया। उसी वर्ष उन्हें, एक वर्ष के लिये, पूरे देश में पूर्णकालिक रूप से कार्य कर रहे संघ के सभी प्रचारकों का प्रमुख बनाया गया।

वर्ष 2000 में, जब राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) और हो०वे० शेषाद्री ने स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से क्रमशः संघ प्रमुख और सरकार्यवाह का दायित्व छोडने का निश्चय किया, तब के एस सुदर्शन को संघ का नया प्रमुख चुना गया और मोहन भागवत तीन वर्षों के लिये संघ के सरकार्यवाह चुने गये।

21 मार्च 2009 को मोहन भागवत संघ के सरसंघचालक मनोनीत हुए। वे अविवाहित हैं तथा उन्होंने भारत और विदेशों में व्यापक भ्रमण किया है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख चुने जाने वाले सबसे कम आयु के व्यक्तियों में से एक हैं। उन्हें एक स्पष्टवादी, व्यावहारिक और दलगत राजनीति से संघ को दूर रखने के एक स्पष्ट दृष्टिकोण के लिये जाना जाता है।

विचार[संपादित करें]

मोहन भागवत को एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने हिन्दुत्व के विचार को आधुनिकता के साथ आगे ले जाने की बात कही है।[3] उन्होंने बदलते समय के साथ चलने पर बल दिया है। लेकिन इसके साथ ही संगठन का आधार समृद्ध और प्राचीन भारतीय मूल्यों में दृढ़ बनाए रखा है।[4] वे कहते हैं कि इस प्रचलित धारणा के विपरीत कि संघ पुराने विचारों और मान्यताओं से चिपका रहता है, इसने आधुनिकीकरण को स्वीकार किया है और इसके साथ ही यह देश के लोगों को सही दिशा भी दे रहा है।[4]

नवम्बर 2016 में, राष्ट्रसेविका समिति की 80 वीं वर्षगाँठ पर एक 'प्रेरणा शिबिर' को सम्बोधित करते हुए, आरएसएस की महिला शाखा, मोहन भागवत ने कहा कि होमो सेपियन्स ने अतीत में होमो जीनस की अन्य प्रजातियों के अन्तरिक्ष में खाया - जैसे - होमो फ्लोरेसेंसिस और निएंडरथल, लेकिन यहां तक कि होमो सेपियन्स अगले हजार वर्षों में विलुप्त हो सकते हैं।[5]

सितम्बर 2018 में, मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस ने माधव सदाशिव गोलवलकर के "बंच ऑफ़ थॉट्स" के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया है जो वर्तमान परिस्थितियों के लिए प्रासंगिक नहीं हैं।[6]

हिन्दु समाज में जातीय असमानताओं के सवाल पर, भागवत ने कहा है कि अस्पृश्यता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अनेकता में एकता के सिद्धान्त के आधार पर स्थापित हिन्दू समाज को अपने ही समुदाय के लोगों के विरुद्ध होने वाले भेदभाव के स्वाभाविक दोषों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। केवल यही नहीं अपितु इस समुदाय के लोगों को समाज में प्रचलित इस तरह के भेदभावपूर्ण रवैये को दूर करने का प्रयास भी करना चाहिए तथा इसकी शुरुआत प्रत्येक हिन्दू के घर से होनी चाहिए।[7]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "मोहन भागवत इस तरह बने आरएसएस के चीफ". मूल से 14 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2020.
  2. मोहन भागवत: 30 से अधिक वर्षों से एक पशु चिकित्सक और संघ के प्रचारक, 21 मार्च 2009, टाइम्स ऑफ इंडिया,दिल्ली [1]
  3. संघ ने मोहन भागवत को अपना नया प्रमुख घोषित किया: 'व्यावहारिक' और आडवाणी के दोस्त, रविवार, 22 मार्च 2009, इंडियन एक्सप्रेस
  4. संघ बदलते समय के साथ आगे बढ़ता है: भागवत, रविवार, 20 नवम्बर 2005, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस
  5. "Indian Way of Life Only Option Left for World: RSS Chief Mohan Bhagwat". मूल से 26 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2020.
  6. "RSS has discarded chunks of Golwalkar's thoughts". मूल से 13 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2020.
  7. समाज से भेदभाव मिटाएं, सोमवार, 29 जनवरी 2007, हिन्दू [2] Archived 2012-11-07 at the वेबैक मशीन

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

पूर्वाधिकारी
के एस सुदर्शन
संघ के सरसंघचालक
21 मार्च 2009 –
उत्तराधिकारी
पदस्थ