मैल्कम एक्स की आत्मकथा
मैल्कम एक्स की आत्मकथा | |
---|---|
लेखक | एलेक्स हेली के साथ मैल्कम एक्स |
देश | संयुक्त राज्य अमेरिका |
भाषा | अंग्रेज़ी |
प्रकार | जीवनी |
ओ॰सी॰एल॰सी॰ क्र॰ | 219493184 |
मैल्कम एक्स की आत्मकथा 1965 में प्रकाशित हुई थी। यह आत्मकथा मानवाधिकार कार्यकर्ता मैल्कम एक्स तथा पत्रकार एलेक्स हैली के आपसी सहयोग का परिणाम थी। हैली ने 1963 से लेकर 1965 (मैल्कम एक्स की हत्या तक ) के बीच मैल्कम से लिए गए अपने गहने साक्षात्कारों के जरिये इस किताब को अंतिम रूप दिया था। आत्मकथा काफी हद तक एक रूहानी परिवर्तन की कथा है, जो ब्लैक आत्मसम्मान, ब्लैक राष्ट्रवाद तथा पैन-अफ्रीकावाद के मैल्कम एक्स के दर्शन को रेखांकित करती है। मैल्कम एक्स की हत्या के बाद हैली ने किताब का उपसंहार लिखा। इस उपसंहार में उन्होंने मैल्कम एक्स के साथ अपने सहयोगी रिश्ते और मैल्कम की जिंदगी की आखिरी घटनाओं का वर्णन किया है।
मैल्कम एक्स समेत किताब के प्रकाशन के समय के विद्वान हैली को किताब का घोस्ट राइटर मानते थे, जबकि आधुनिक विद्वान मानते हैं कि हैली किताब का मुख्य लेखक था। उनका मानना है कि हैली ने जानबूझकर अपनी आवाज को दबा दिया है ताकि ऐसा प्रतीत हो सके कि मैल्कम एक्स खुद ही पाठकों से मुखातिब है। हैली ने कुछ हद तक मैल्कम एक्स की साहित्यिक पसंद को भी प्रभावित किया था। जैसे किताब पर हैली के साथ काम करते वक्त मैल्कम एक्स इस्लामिक राष्ट्र के आन्दोलन से अलग हो चुका था। किताब के पहले अध्याय को इस्लामिक राष्ट्रवादी आन्दोलन के तार्किक खंडन (जो मैल्कम एक्स ने किया था) के तौर पर दुबारा लिखने की बजाय, हैली ने मैल्कम एक्स को इसे ‘रहस्य और कथा’ शैली में लिखे जाने के लिए राजी कर लिया। मैनिंग मार्बल के मुताबिक ‘‘हैली उस बात से काफी चिंतित था जिसे उसने मैल्कम एक्स के एंटी सेमेटिज्म के तौर पर देखा था’’ और उन्हें हटाने के लिए उसने चीजों को दुबारा लिखा।
जब यह आत्मकथा प्रकाशित हुई तो न्युयार्क टाइम्स के समीक्षक ने इसका वर्णन एक ‘बेहतरीन, तकलीफदेह, महत्वपूर्ण किताब’ के तौर पर किया। 1967 में इतिहासकार जॉन विलियम वार्ड ने लिखा कि यह एक क्लासिक अमेरिकी आत्मकथा बनेगी। 1998 में टाइम मैग्जीन ने ‘अनिवार्य तौर पर पठनीय’ दस नॉन-फिक्शन किताबों की सूची में मैल्कम एक्स की आत्मकथा को भी शामिल किया। जेम्स बाल्डविन तथा अर्नाल्ड पर्ल ने इस किताब को फिल्म के लिहाज से अनुकूलित किया; उनकी पटकथा ने 1992 में बनी स्पाइक ली की फिल्म मैल्कम एक्स के लिए स्रोत सामग्री का काम किया।
सारांश
मैल्कम एक्स की मृत्यु के बाद प्रकाशित यह आत्मकथा मैल्कम एक्स के जीवन का लेखा-जोखा है। वह पैदा हुआ तो उसका नाम मैल्कम लिटिल (1925-1965) रखा गया था. आगे चलकर वह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता बन गया। मैल्कम एक्स की मां के गर्भावस्था से शुरु होकर किताब मिशिगन में उसके बचपन, संदिग्ध स्थितियों में उसके पिता की मौत और उसकी मां की उस बेहद खराब मानसिक स्थिति का वर्णन करती है, जिसके कारण उन्हें मनोरोग संबंधी अस्पताल में भरती रहना पड़ा। बोस्टन तथा न्युयार्क शहर में मैल्कम की किशोरावस्था और युवावस्था तथा साथ ही साथ संगठित अपराधों में उसकी भागीदारी को भी किताब में जगह दी गई है। अपराधों में यह भागीदारी उसकी गिरफ्तारी की वजह बनी और उसे आठ से दस साल जेल की सजा हुई, हालांकि उसने इस के साढ़े छह ही साल (1946-1952) जेल मे गुजारे। किताब इलाइजा मुहम्मद तथा इस्लामिक राष्ट्र के साथ मैल्कम के मंत्रिमंडल (1952-1963) और संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर मैल्कम के उभार की चर्चा करती है। यह किताब मार्च 1964 में इस्लामिक राष्ट्र के आन्दोलन से उसके मोहभंग और उसे छोड़ने, तथा मक्का की उसकी यात्रा का उल्लेख करती है, जिसने कट्टरपंथी सुन्नी इस्लाम में उसके धर्मान्तरण और अफ्रीका की उसकी यात्रा को बल प्रदान किया। वे दोनों पुस्तक को खत्म करते, इससे पहले ही फरवरी 1965 में न्युयार्क स्थिति आड्यूबन बालरूम थियेटर में उसकी हत्या कर दी गई। उसका सहयोगी लेखक, पत्रकार एलेक्स हैली मैल्कम एक्स की जिंदगी के आखिरी दिनों का सार प्रस्तुत करता है और आत्मकथा के उपसंहार में अपने दृष्टिकोण समेत मैल्कम एक्स के साथ अपने लेखकीय अनुबंध का विस्तृत वर्णन करता है.