मेला (1948 फ़िल्म)

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मेला

मेला का पोस्टर
निर्देशक एस. यू. सुन्नी
लेखक आज़मी बाज़िदपुरी
निर्माता एस. यू. सुन्नी, हीला वाडिया
अभिनेता नरगिस,
दिलीप कुमार,
जीवन,
नूर जहाँ
छायाकार फाली मिस्त्री
संपादक मूसा मंसूर
संगीतकार नौशाद
प्रदर्शन तिथि
1948
देश भारत
भाषा हिन्दी
मेला (1948)

मेला हिन्दी भाषा की एक फ़िल्म है जो 1948 में प्रदर्शित हुई। इसका निर्माण और निर्देशन एस. यू. सनी ने वाडिया मूवीटोन के लिए किया। इसमें दिलीप कुमार, नरगिस, जीवन, रहमान और नूर जहान ने अभिनय किया। फिल्म का संगीत नौशाद ने तैयार किया था। मुकेश ने इस फिल्म में दिलीप के लिए पार्श्वगायन किया और "गाये जा गीत मिलन के" उनका एक हिट गीत रहा था। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ का इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया गया, एक लोकप्रिय गीत "ये ज़िन्दगी के मेले" के लिए। गीतों के बोल शकील बदायूँनी द्वारा जबकि कहानी और संवाद आज़म बाजिदपुरी द्वारा लिखे गए थे।

संक्षेप में कथानक[संपादित करें]

मोहन और मंजू की शादी तय होती है। मोहन शहर में गहने खरीदने जाता है तो उसे चोर पीट डालते हैं। मोहन अस्पताल में होता है, पीछे से गाँव में पंचायत फैसला करती है कि मंजू की शादी किसी और से कर दी जाए। मोहन वापिस पहुँचता है तो मंजू विधवा हो चुकी होती है और अपने पति के बच्चों की देखभाल कर रही होती है।

मुख्य कलाकार[संपादित करें]

संगीत[संपादित करें]

सभी गीत शकील बदायूँनी द्वारा लिखित; सारा संगीत नौशाद द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."मैं भँवरा तू है फूल"मुकेश, शमशाद बेगम3:48
2."धरती को आकाश पुकारे" (सोलो)शमशाद बेगम2:06
3."ये जिंदगी के मेले"मोहम्मद रफी2:21
4."गाये जा गीत मिलन के"मुकेश3:00
5."फिर आह दिल से निकली"ज़ोहराबाई अम्बालेवाली3:02
6."तकदीर बनी बनकर बिगड़ी"शमशाद बेगम3:15
7."परदेस बलम तुम जाओगे"शमशाद बेगम3:16
8."मोहन की मुरलिया बाजे"शमशाद बेगम3:19
9."गम का फसाना"शमशाद बेगम3:21
10."आई सावन ऋत आई"मुकेश, शमशाद बेगम3:29
11."मेरा दिल तोड़ने वाले"मुकेश, शमशाद बेगम3:39
12."धरती को आकाश पुकारे" (डुएट)मुकेश, शमशाद बेगम3:12
कुल अवधि:37:50

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]