मेरे जीवन साथी (1972 फ़िल्म)
मेरे जीवन साथी | |
---|---|
मेरे जीवन साथी का पोस्टर | |
निर्देशक | रविकांत नगैच |
लेखक | रमेश पंत (संवाद) |
पटकथा | प्रेम मनिक |
निर्माता |
विनोद शाह हरीश शाह |
अभिनेता |
राजेश खन्ना, तनुजा, सुजीत कुमार, नासिर हुसैन |
संपादक | बिमल रॉय |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन तिथि |
1972 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
मेरे जीवन साथी 1972 में बनी हिन्दी भाषा की हास्य प्रेमकहानी फिल्म है। यह रविकांत नगैच द्वारा निर्देशित है, और इसमें राजेश खन्ना, तनुजा, सुजीत कुमार, बिन्दु, हेलन, उत्पल दत्त, नासिर हुसैन और राजेन्द्रनाथ ने अभिनय किया है।
फिल्म राजेश खन्ना की लोकप्रियता की ऊँचाई पर बनी थी और अपने संगीत, संवाद और पहनावे के लिए जानी जाती है। आर॰ डी॰ बर्मन के संगीत और राजेश खन्ना के लिए गाए किशोर कुमार के गीतों के संयोजन ने फिल्म की सफलता में योगदान दिया।
संक्षेप
[संपादित करें]प्रकाश (राजेश खन्ना), अमीर पिता (के एन सिंह) का बेटा है, जो एक कलाकार बनना चाहता है। उसके पिता उसे चुनौती देते हैं कि वे अपने पेशे कमाई अर्जित करें। वह चुनौती स्वीकार करता है और अपने पिता का घर छोड़ देता है। वह अपने कलात्मक चित्रों को बेचने की कोशिश करता है लेकिन विफल रहता है। राजकुमारी कामिनी (हेलन) ने उसे ग्लैमर की दुनिया से परिचित कराया और उसने अपनी पेंटिंग शैली को आधुनिक मांगों के अनुरूप बनाना शुरू किया। दिल से वह परोपकारी व्यक्ति बना रहता है। ज्योति (तनुजा) एक नेत्र चिकित्सक लंदन से बॉम्बे आती है। प्रकाश को उससे प्यार हो जाता है। वे प्रेमी बन जाते हैं। उसका अतीत उसके लिए मुश्किलें खड़ी करता है। कामिनी, प्रकाश के घर के नशे में चूर हो जाती है और जब वह उसको लुभाने की कोशिश कर रही होती है, ज्योति वहाँ पहुंचती है और उन्हें एक साथ पाती है। वह सब कुछ गलत समझ लेती है। प्रकाश, कामिनी से उसे छोड़ने के लिए कहता है। ज्योति को जब कामिनी की सच्चाई बताई जाती है तो वह सुलह कर लेती है। वह उससे शादी करने का प्रस्ताव रखता है। ज्योति के पिता (नासिर हुसैन) प्रकाश को पैसे देकर उसे छोड़ने को कहते हैं। हालांकि, प्रकाश की परोपकारिता को देखने के बाद, वह मान जाते हैं और वे लोग शादी की योजना बनाना शुरू करते हैं।
प्रकाश एक कार दुर्घटना का शिकार हो जाता है और कामिनी उसे ढूंढती है और उसे अपने महल में वापस ले जाती है। वह उसका कैदी बन जाता है। ज्योति को प्रकाश की मौत की सूचना दी जाती है। ज्योति और उसके पिता प्रकाश के निधन पर शोक मनाते हैं। प्रकाश के चेहरे पर पट्टियाँ हटा दी जाती हैं और उसे पता चलता है कि वह अंधा है। ज्योति को कैप्टन विनोद (सुजीत कुमार) द्वारा लुभाया जाता है। ये सब उसे प्रकाश की याद दिलाते हैं। उसके दिल को जीतने के लिए कामिनी प्रकाश को घुड़सवारी के लिए ले जाती है जहाँ से वह भाग जाता है। वह एक चट्टान के पीछे छिप जाता है, और कामिनी पहाड़ से गिर जाती है और मर जाती है। अंततः कैप्टन विनोद द्वारा उसे बचाया जाता है, जो प्रकाश को उसके पिता के घर ले जाता है, जहां उसे पता चलता है कि उसके पिता की एक महीने पहले मृत्यु हो गई। कैप्टन विनोद, प्रकाश को अपने परिवार के घर ले जाता है, जहाँ वह और उसका परिवार उसका पालन-पोषण करते हैं। इससे पहले कि ज्योति, प्रकाश को देख पाती, विनोद के माता-पिता द्वारा उसे भावी बहू बनने के लिए दबाव डालने के बाद वह एक टैक्सी में बैठ चली जाती है। वह घर आती है और उसे पता चलता है कि उसके पिता को दिल का दौरा पड़ा है और उसके पिता ने अपनी बेटी की शादी की इच्छा के बारे में कहा। वह कैप्टन विनोद से शादी करने के लिए सहमत हो जाती है और सगाई की पार्टी शुरू हो जाती है। प्रकाश समारोह में भाग लेता है, जहाँ उससे गाने का अनुरोध किया जाता है। ज्योति उसे गाते हुए देखती है और दूरी में रोने लगती है।
बाद में, विनोद ने ज्योति को फोन किया और उसे सूचित किया कि वह अपने दोस्त को उसकी आँखों के अस्पताल भेज रहा है। प्रकाश और ज्योति की सुलह हो जाती है। वो उसकी आँख की सर्जरी करती है। बाद में कैप्टन विनोद ने उन्हें बगीचे में देख लिया। दोनों आदमी तड़प उठते हैं, विनोद कि वह प्यार का खेल हार चुका है, और प्रकाश कि वह विनोद की खुशी को बर्बाद नहीं करना चाहता। प्रकाश के चले जाने की कसम खाने के बावजूद, विनोद प्रकाश को पीटता है, और ज्योति आती है और उन्हें देखती है। एक लड़ाई जारी हो जाती है, और जैसे ही विनोद प्रकाश को मारने वाला होता है, उसके पिता (उत्पल दत्त) ने उसे पैर में गोली मार देते हैं। प्रकाश और ज्योति की शादी हो जाती है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- राजेश खन्ना — प्रकाश
- तनुजा — ज्योति वर्मा
- सुजीत कुमार — कैप्टन विनोद
- बिन्दू — कमल
- हेलन — कामिनी
- सुलोचना लाटकर — कैप्टन विनोद की माँ
- नासिर हुसैन — लालाजी
- के एन सिंह — गोबिंदरामा
- उत्पल दत्त — कैप्टन विनोद के पिता
- राजेन्द्रनाथ — राजन
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "आओ न गले लग जाओ ना" | आशा भोंसले[1] | 4:58 |
2. | "ओ मेरे दिल के चैन" | किशोर कुमार | 4:39 |
3. | "दीवाना कर के छोड़ोगे" | किशोर कुमार, लता मंगेशकर | 5:57 |
4. | "कितने सपने कितने अरमाँ" | किशोर कुमार | 4:32 |
5. | "चला जाता हूँ किसी की" | किशोर कुमार | 4:35 |
6. | "दीवाना लेके आया है" | किशोर कुमार | 4:40 |
7. | "आओ कन्हाई मेरे धाम" | किशोर कुमार | 4:27 |
8. | "मेरे जीवन साथी" | आर॰ डी॰ बर्मन | 3:23 |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ हिंदी सिनेमा के 150 सितारे (1 संस्करण). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789381063712. मूल से 26 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 फरवरी 2019.