मेघालय का भूगोल

मेघालय पूर्वोत्तर भारत की सात बहनों वाले राज्य में से एक है। यह एक पर्वतीय राज्य है जिसमें घाटियों और पठारों तथा ऊंची-नीची भूमि वाले क्षेत्र हैं। यहाँ पर भूगर्भीय सम्पदा भी प्रचुर उपलब्ध है। यहां मुख्यतः आर्कियन पाषाण संरचनाएं हैं। इन पाषाण शृंखलाओं में कोयला, चूना पत्थर, यूरेनियम और सिलिमैनाइट जैसे बहुमूल्य खनिजों के भण्डार हैं।
मेघालय में बहुत सी नदियां भी हैं जिनमें से अधिकांश वर्षा आश्रित और मौसमी हैं।
- गारो पर्वतीय क्षेत्र की कुछ महत्त्वपूर्ण नदियां हैं: गनोल, दारिंग, सांडा, बाड्रा, दरेंग, सिमसांग, निताई और भूपाई।[1]
- पठार के पूर्वी (जयन्तिया) एवं मध्य भागों (खासी) में ख्री, दिगारू, उमियम, किन्शी (जादूकता), माओपा, उम्नगोट और मिन्डटू नदियां हैं।[1]
दक्षिणी खासी पर्वतीय क्षेत्र में इन नदियों द्वारा गहरी गॉर्ज रूपी घाटियां एवं ढेरों नैसर्गिक जल प्रपात निर्मित हुए हैं।
पठार क्षेत्र की ऊंचाई 150 मी॰ (490 फीट) से 1,961 मी॰ (6,434 फीट) के बीच है। पठार के मध्य भाग में खासी पर्वतमाला के भाग हैं जिनकी ऊंचाई अधिकतम है। इसके बाद दूसरे स्थान पर जयन्तिया पर्वतमाला वाला पूर्वी भाग आता है। मेघालय का उच्चतम स्थान शिलाँग पीक है, जहां बड़ा वायु सेना स्टेशन है। यह खासी पर्वत का भाग है और यहां से शिलांग शहर का मनोहारी एवं विहंगम दृश्य दिखाई देता है। शिलांग पीक की ऊंचाई 1,961 मी॰ (6,434 फीट) है। पठार के पश्चिमी भाग गारो पर्वत में है और अधिकतर समतल है। गारो पर्वतमाला का उच्चतम शिखर नोकरेक पीक है जिसकी ऊंचाई 1,515 मी॰ (4,970 फीट) है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "South West Garo Hills District". southwestgarohills.gov.in. Archived from the original on 19 अगस्त 2019. Retrieved 2020-02-22.